Personal Loan : अगर आप पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो सिर्फ बैंक में फॉर्म भरना ही काफी नहीं है। लोन अप्रूव (Loan Approval) होना आपकी फाइनेंशियल कंडीशन पर भी डिपेंड करता है। बैंक या फाइनेंशियल कंपनी आपको कितना ट्रस्टवर्थी मानती है, ये फैक्टर भी बड़ा रोल प्ले करता है।
कई बार लोग एक्साइटेड होकर अप्लाई करते हैं, लेकिन रिजेक्शन लेटर आ जाता है। वजह समझ न आए तो परेशानी होती है, लेकिन इसके पीछे कुछ कॉमन कारण छिपे होते हैं। आइए, डिटेल में जानते हैं उन 5 बड़ी वजहों के बारे में जो आपकी लोन लेने की चांस को कम कर देती हैं…
खराब क्रेडिट स्कोर (Credit Score)
क्रेडिट स्कोर (Credit Score) आपका फाइनेंशियल हिस्ट्री का आईना है। ये बताता है कि आपने पहले लोन (Loan) चुकाने में कितने रेगुलर थे। अगर पुराने लोन की EMI टाइम पर नहीं भरी या क्रेडिट कार्ड का बैलेंस हमेशा पेंडिंग रहता है, तो स्कोर गिर जाता है। बैंक ज्यादातर 720 या इससे ज्यादा स्कोर वालों को प्रेफर करते हैं।
अगर आपका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) 600 से नीचे है, तो पर्सनल लोन (Personal Loan) मिलना सपना बन जाता है। इसे सुधारने के लिए पुराने बिल्स क्लियर करें और क्रेडिट हिस्ट्री बिल्ड करें।
ज्यादा कर्ज का बोझ
बैंक हमेशा चेक करते हैं कि आपकी इनकम पर पहले से कितने लोन (Loan) रन कर रहे हैं। अगर सैलरी का बड़ा चंंक मौजूदा EMI में निकल रहा है, तो नया पर्सनल लोन (Personal Loan) अप्रूव (Loan Approval) होना टफ हो जाता है। इसे डेट-टू-इनकम रेशियो (Debt-to-Income Ratio) कहते हैं।
ये रेशियो जितना हाई, आपकी लोन एलिजिबिलिटी उतनी ही कम। मिसाल के तौर पर, अगर आपकी मंथली इनकम 50 हजार है और 30 हजार EMI में जा रहा है, तो बैंक नया लोन देने से हिचकिचाएगा। पहले पुराने कर्ज सेटल करें।
कम इनकम की मार
कम कमाई वाले अप्लिकेंट्स के लिए लोन रिजेक्शन (Loan Rejection) कॉमन है। बैंक को लगता है कि इतनी इनकम से EMI मैनेज नहीं होगी। भले ही आपका क्रेडिट स्कोर (Credit Score) टॉप पर हो, लेकिन लो इनकम की वजह से पर्सनल लोन (Personal Loan) रिजेक्ट हो सकता है। वो हर महीने की EMI को आपकी सैलरी से मैच करते हैं। सलाह है, पहले इनकम बढ़ाने या एक्स्ट्रा सोर्स ढूंढने की कोशिश करें ताकि लोन अप्रूव (Loan Approval) चांस बढ़े।
जरूरत से ज्यादा अमाउंट डिमांड करना
अगर आपने अपनी रिक्वायरमेंट से कहीं ज्यादा लोन अमाउंट मांगा है और आपकी इनकम उसे जस्टिफाई नहीं कर पा रही, तो बैंक सीधा ना बोल देगा। बड़ा लोन (Loan) मतलब बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी, और बैंक तभी देगा जब आपकी कमाई उसका बोझ संभाल सके। उदाहरण लें, 5 लाख का लोन मांग लिया लेकिन मंथली इनकम सिर्फ 20 हजार – ये रेड फ्लैग है। हमेशा रियल नीड के हिसाब से अप्लाई करें ताकि लोन रिजेक्शन (Loan Rejection) न हो।
छोटी-मोटी नेग्लिजेंस जो बड़ा नुकसान कर दे
लोन रिजेक्ट (Loan Rejection) होने के और भी कुछ हिडन कारण होते हैं, जो लोग अक्सर इग्नोर कर देते हैं। जैसे उम्र बहुत कम या ज्यादा होना, आधार कार्ड से मोबाइल नंबर लिंक न होना, पिछले कुछ सालों में ITR (Income Tax Return) फाइल न करना, जॉब में स्टेबिलिटी न होना या ट्रायल पीरियड में सर्विंग होना।
ये सब फैक्टर पर्सनल लोन (Personal Loan) पास होने में अड़चन डालते हैं। इनकी चेकलिस्ट बनाकर अप्लाई करें, तो क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अच्छा होने पर भी रिजेक्शन से बच सकते हैं।
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