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शिक्षक राष्ट्र के भविष्य के निर्माता : विजेंद्र गुप्ता

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नई दिल्ली, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शिक्षकों को राष्ट्र के भविष्य का निर्माता बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों में निवेश करना, राष्ट्र के भाग्य में निवेश करना है। विजेंद्र गुप्ता शुक्रवार को शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में सम्मिलित होकर पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 137वीं जयंती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम महामना मालवीय मिशन दिल्ली द्वारा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 137वीं जयंती के उपलक्ष्य में मालवीय स्मृति भवन में आयोजित किया गया।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में मनाया जाता है, जो मानते थे कि शिक्षा राष्ट्र निर्माण का सबसे सशक्त माध्यम है और शिक्षक समाज के सच्चे संरक्षक हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई, तो उन्होंने विनम्रता से अनुरोध किया कि इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, जो आज पूरे देश में आदर और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन का जीवन हमें सिखाता है कि शिक्षक केवल ज्ञान ही नहीं बल्कि मूल्य, अनुशासन और सत्य के प्रति आजीवन प्रतिबद्धता भी प्रदान करते हैं।

स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह दिन महामना मदन मोहन मालवीय की प्रेरणादायी विरासत को भी याद करता है, जिनकी शिक्षा संबंधी दृष्टि मात्र साक्षरता तक सीमित नहीं थी बल्कि उसमें चरित्र निर्माण और नैतिक शक्ति का भी समावेश था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और महान राष्ट्रनेता के रूप में उन्होंने शिक्षा को सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण आधार माना। उन्होंने विद्या, सेवा और संस्कार को सशक्त समाज के मूल स्तंभ बताया।

गुप्ता ने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि महामना मालवीय मिशन शिक्षा, सेवा और संस्कृति के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से इस दृष्टि को आगे बढ़ा रहा है।

गुप्ता ने कहा कि प्राचीन गुरुकुलों से लेकर आधुनिक कक्षाओं तक, गुरु-शिष्य परंपरा भारत की सभ्यता का केंद्र रही है। शिक्षक विद्यार्थियों को केवल परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए तैयार करते हैं, उनमें जिज्ञासा, सृजनशीलता, अनुशासन और करुणा का विकास करते हैं। जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, जिम्मेदार, लोकतांत्रिक मूल्यों, समावेशिता और ईमानदारी से युक्त नागरिक बनाने में शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत और अमृत काल के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित नया भारत आज हमारे कक्षाओं में तैयार हो रहा है। शिक्षक इस दृष्टि को साकार करने वाली प्रेरक शक्ति हैं जो ऐसे नागरिक का निर्माण करते है जो न केवल कुशल हों बल्कि मूल्यों, नैतिकता और राष्ट्रीय गौरव में रचे-बसे हों।

गुप्ता ने कहा कि शिक्षकों में निवेश करना, राष्ट्र के भाग्य में निवेश करना है। उन्होंने शिक्षकों को अधिक मान्यता, संसाधन और सम्मान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिनका योगदान अक्सर अनदेखा रह जाता है, लेकिन वे समाज पर अमिट छाप छोड़ते हैं। उन्होंने देश के सभी शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं और अभिनंदन अर्पित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि उनका ज्ञान, समर्पण और मार्गदर्शन भारत को एक विकसित और मूल्य प्रधान राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रकाशमान करता रहेगा।

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

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