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भगवान श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन आज भी प्रासंगिक : स्वामी श्री प्रपन्नाचार्य

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बाराबंकी, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं और अधर्म का बोलबाला होता है तब ईश्वरीय शक्तियां आतताई शक्तियों का विनाश करके धर्म की स्थापना करती है. कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने इस पृथ्वी पर अवतार लिया था.

यह विचार रामनगर कस्बे के धमेडी़ मोहल्ले में स्थित लक्ष्मी नारायण शुक्ला के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन sunday काे

वैष्णवाचार्य स्वामी प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कृष्ण जन्म कथा प्रसंग के दौरान व्यक्त किए. उन्होंने कथा काे विस्तार देते हुए कहा कि द्वापर युग में जब मथुरा नरेश कंश का अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं ने कंस के अत्याचारों की सारी कहानी सुनाई तो भगवान विष्णु ने मथुरा के कारागार में बंद कंस की बहन देवकी के पेट से भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया.

स्वामी प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कथा में आगे बताया कि कंस के वध और महाभारत में भगवान कृष्ण की भूमिका का बड़ा सुंदर ही चित्रण किया. इसी क्रम में महाराज ने ध्रुव चरित्र भक्त प्रहलाद, समुद्र मंथन और रामचरित्र के विभिन्न कथा प्रसंगों पर प्रकाश डाला.

इस अवसर पर आयोजक लक्ष्मी नारायण शुक्ला, आचार्य शिवानंद महाराज अयोध्याधाम अनिल अवस्थी, मधुबन मिश्रा, आशीष पांडे, बृजेश शुक्ला, दुर्गेश शुक्ला, गोपाल जी महाराज, उमेश पांडे, निर्मल मिश्रा, शुभम जायसवाल, लवकेश शुक्ला, शिवम शुक्ला आदि मौजूद रहे.

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(Udaipur Kiran) / पंकज कुमार चतुवेर्दी

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