राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित पटवों की हवेली केवल एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि इतिहास, शिल्पकला और समृद्ध व्यापारिक विरासत का जीवंत प्रमाण है। पीले पत्थर से बनी ये हवेली जैसलमेर की "गोल्डन सिटी" पहचान को और भी भव्यता प्रदान करती है। अगर आप भी इस शानदार हवेली की सैर करने की योजना बना रहे हैं तो यह लेख आपके लिए संपूर्ण मार्गदर्शक साबित होगा। आइए जानते हैं पटवों की हवेली तक कैसे पहुंचे, क्या है इसका टिकट किराया, और किन दर्शनीय स्थलों को इस यात्रा में शामिल करना बिल्कुल न भूलें।
पटवों की हवेली का इतिहास
पटवों की हवेली का निर्माण 19वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ था। इसे गुमानचंद पटवा नामक एक अमीर व्यापारी ने बनवाया था, जो तत्कालीन समय में ब्रोकेरेज और व्यापार में लिप्त थे। खास बात यह है कि यह एक नहीं बल्कि पांच अलग-अलग हवेलियों का समूह है, जिन्हें गुमानचंद पटवा ने अपने पाँच बेटों के लिए बनवाया था। यही वजह है कि यह हवेली "पटवों की हवेली" कहलाती है। पत्थर पर बारीक नक्काशी, झरोखे, खिड़कियाँ और गलियारे इस हवेली को वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण बनाते हैं।
कैसे पहुंचे पटवों की हवेली?
हवाई मार्ग से:
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जैसलमेर एयरपोर्ट है, जो हवेली से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एयरपोर्ट जयपुर, दिल्ली और जोधपुर जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग से:
जैसलमेर रेलवे स्टेशन हवेली से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्टेशन जोधपुर और दिल्ली से सीधी रेल सेवा से जुड़ा है। स्टेशन से ऑटो या कैब के जरिए आप आसानी से हवेली तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से:
जैसलमेर राजस्थान के बड़े शहरों जैसे जोधपुर (285 किमी), बीकानेर (330 किमी), और जयपुर (560 किमी) से राज्य परिवहन की बस सेवा या निजी वाहन से जुड़ा हुआ है। NH-11 और NH-15 मार्ग इस दिशा में प्रमुख हैं।
पटवों की हवेली का टिकट किराया
भारतीय नागरिकों के लिए: ₹50 प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटकों के लिए: ₹250 प्रति व्यक्ति
कैमरा चार्ज (फोटोग्राफी): ₹50
वीडियोग्राफी चार्ज: ₹100
(नोट: ये शुल्क समय-समय पर राज्य पर्यटन विभाग द्वारा बदले जा सकते हैं।)
हवेली घूमने का समय
खुलने का समय: सुबह 9:00 बजे
बंद होने का समय: शाम 5:00 बजे
सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है
पटवों की हवेली में क्या देखें?
नक्काशीदार झरोखे और दरवाजे: हर हवेली की दीवारों और खिड़कियों पर की गई बारीक नक्काशी आपको मोहित कर देगी।
पुरानी कलाकृतियाँ और वस्त्र: हवेली के अंदर आपको उस काल के वस्त्र, हथियार, और चित्रकारी भी देखने को मिलेगी।
वास्तुकला: हवेली में मिश्रित राजस्थानी और इस्लामिक स्थापत्य शैली साफ नजर आती है।
म्यूज़ियम अनुभाग: हवेली के एक भाग में छोटा संग्रहालय भी बनाया गया है, जहाँ जैसलमेर के व्यापारिक इतिहास से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ मिलती हैं।
हवेली के आसपास घूमने लायक स्थल
जैसलमेर किला (सोनार किला): हवेली से लगभग 1.5 किमी दूरी पर स्थित यह किला UNESCO की विश्व धरोहर में शामिल है।
सालिम सिंह की हवेली: यह भी एक ऐतिहासिक हवेली है जो अपने अलग डिजाइन और उभरे हुए छत के कारण प्रसिद्ध है।
नाथमल की हवेली: दो शिल्पकार भाइयों द्वारा बनाई गई यह हवेली भी नक्काशी के लिए मशहूर है।
गडीसर झील: शांत जल और नाव की सवारी के लिए प्रसिद्ध यह झील हवेली से लगभग 2 किमी दूरी पर है।
लोकल बाजार: पटवों की हवेली के पास कई हैंडीक्राफ्ट और कढ़ाई वाले वस्त्रों की दुकानें हैं, जहाँ से आप स्थानीय कला का आनंद ले सकते हैं।
क्या खाएं?
जैसलमेर में घूमते वक्त यहां के पारंपरिक व्यंजन जरूर चखें जैसे:
दाल-बाटी-चूरमा
केर-सांगरी की सब्जी
घेवर और गोंद के लड्डू
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