राजस्थान, भारत का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध राज्य है, जिसे ‘राजाओं की धरती’ भी कहा जाता है। यहां के हर शहर की अपनी एक विशेष पहचान, इतिहास और स्थापत्य कला है। इस लेख में हम बात करेंगे राजस्थान के पाँच प्रमुख शहरों — जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और अलवर — के इतिहास के बारे में, कि ये शहर कब और किसने बसाए।
1. जयपुर – गुलाबी नगर (Pink City)स्थापना: 1727 ई.
संस्थापक: महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय
जयपुर, जिसे ‘गुलाबी नगर’ कहा जाता है, राजस्थान की राजधानी है। इस शहर की स्थापना आमेर के शासक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1727 ई. में की थी। आमेर की बढ़ती जनसंख्या और पानी की समस्या के कारण उन्होंने एक नया, योजनाबद्ध शहर बसाने का निर्णय लिया। जयपुर भारत का पहला योजनाबद्ध शहर है जिसे वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के सिद्धांतों पर बनाया गया। इस शहर की योजना प्रसिद्ध वास्तुकार विद्यासागर चंद्रा ने बनाई थी। 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत में इस शहर को गुलाबी रंग में रंगा गया, तभी से इसे 'पिंक सिटी' कहा जाने लगा।
2. जोधपुर – सूर्य नगरी (Sun City)स्थापना: 1459 ई.
संस्थापक: राव जोधा
जोधपुर की स्थापना राठौड़ वंश के राव जोधा ने 1459 ई. में की थी। पहले यह मंडोर राजधानी थी, लेकिन सुरक्षा कारणों और भू-स्थिति की दृष्टि से राव जोधा ने एक नई राजधानी के रूप में जोधपुर को बसाया। मेहरानगढ़ किला इस शहर का प्रमुख आकर्षण है और यह इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार इस शहर ने राजपूताना शौर्य और वास्तुकला को संजोकर रखा है। जोधपुर को 'सूर्य नगरी' कहा जाता है क्योंकि यहाँ सूर्य देव की पूजा विशेष रूप से होती थी और यहाँ का मौसम सालभर तेज धूप वाला रहता है।
3. बीकानेर – रेगिस्तान की ओट में बसी नगरीस्थापना: 1488 ई.
संस्थापक: राव बीका
बीकानेर की स्थापना जोधपुर के राठौड़ वंश के राव बीका ने 1488 ई. में की थी। यह क्षेत्र पहले 'जंगल देश' कहलाता था। राव बीका ने अपने पिता राव जोधा से अलग होकर इस इलाके में एक स्वतंत्र रियासत की स्थापना की। बीकानेर की स्थिति सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह दिल्ली और सिंध के बीच व्यापारिक मार्ग पर स्थित था। जूनागढ़ किला और ऊँट अनुसंधान केंद्र आज भी बीकानेर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
4. उदयपुर – झीलों की नगरी (City of Lakes)स्थापना: 1559 ई.
संस्थापक: महाराणा उदयसिंह द्वितीय
उदयपुर की स्थापना मेवाड़ राज्य के महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने 1559 ई. में की थी। चित्तौड़गढ़ पर मुगलों के लगातार हमलों के कारण उन्होंने एक सुरक्षित स्थान की तलाश की और अरावली की पहाड़ियों के बीच इस सुंदर शहर की नींव रखी। उदयपुर को 'झीलों की नगरी' कहा जाता है क्योंकि यहाँ पिछोला, फतेह सागर, स्वरूप सागर जैसी कई झीलें हैं। सिटी पैलेस, जग मंदिर और बागोर की हवेली इसकी प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरें हैं।
5. अलवर – प्राचीन मत्स्य जनपद का हिस्सास्थापना: 1770 ई. (आधुनिक अलवर)
संस्थापक: प्रताप सिंह
अलवर का इतिहास प्राचीन मत्स्य जनपद से जुड़ा हुआ है, लेकिन आधुनिक अलवर शहर की स्थापना कछवाहा वंश के महाराजा प्रताप सिंह ने 1770 ई. में की थी। यह शहर रणनीतिक रूप से दिल्ली और राजस्थान के बीच स्थित है, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व बढ़ जाता है। अलवर राज्य का किला, सरिस्का अभयारण्य और विनय विलास महल आज भी इसके गौरवशाली अतीत की कहानी कहते हैं।
निष्कर्ष:जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और अलवर न केवल राजस्थान के भौगोलिक मानचित्र पर महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक योगदान भी अपार है। इन शहरों की स्थापना ने न केवल राजाओं की राजनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाया, बल्कि उस समय की कला, संस्कृति, युद्धनीति और वास्तुशिल्प का भी उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया। आज ये शहर पर्यटन, सांस्कृतिक अध्ययन और विरासत संरक्षण के मुख्य केंद्र बन चुके हैं।
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