बनारसी वस्त्र उद्योग को पुनर्जीवित करने और व्यापारियों को राहत देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में स्थानीय एसोसिएशन ने देसावर विवाद समिति के माध्यम से 200 से अधिक विवादों का निपटारा किया, जिससे व्यापारियों को लगभग 13 करोड़ रुपये की वसूली हुई।
पूर्व विधान परिषद सदस्य अशोक धवन ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे देश के लिए एक रोल मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल व्यापारिक समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं, बल्कि उद्योग की प्रतिष्ठा और प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देते हैं।
बनारसी वस्त्र उद्योग, जो देश और विदेश में अपनी अनोखी बनावट और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न समस्याओं और विवादों के कारण सुस्त पड़ गया था। एसोसिएशन और देसावर विवाद समिति ने इन समस्याओं को हल करने के लिए विशेष ध्यान दिया।
व्यापारियों का कहना है कि विवादों का समाधान और वसूली प्रक्रिया उनके लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुई। इससे उनके व्यवसाय में स्थिरता आई और उद्योग में विश्वास की भावना बढ़ी। विशेष रूप से छोटे और मध्यम व्यापारियों को इस पहल से काफी राहत मिली है।
अशोक धवन ने बताया कि यह पहल पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है और अन्य उद्योगों के लिए भी इससे सीख ली जा सकती है। उन्होंने अधिकारियों और व्यापारिक संगठनों से अपील की कि वे इस तरह के विवाद समाधान मॉडल को अपनाएं, जिससे व्यापारिक विवादों का समय पर और न्यायसंगत समाधान सुनिश्चित किया जा सके।
स्थानीय उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बनारसी वस्त्र उद्योग का यह पुनरुत्थान वाराणसी की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यापारियों की आर्थिक सुरक्षा और विवादों के शीघ्र निपटान से उद्योग में निवेश और उत्पादन में वृद्धि संभव होगी।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी कहा कि भविष्य में ऐसे ही और अधिक प्रयास किए जाएंगे ताकि बनारसी वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
इस पहल ने यह संदेश दिया है कि व्यापारिक विवादों का समाधान और उद्योग की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास और सुनियोजित नीतियां आवश्यक हैं। बनारसी वस्त्र उद्योग के लिए यह संजीवनी साबित हुई और व्यापारियों को विश्वास मिला कि उनका हित संरक्षित है।
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