पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हाल के दिनों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पाकिस्तान सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए की गई तमाम कोशिशों के बाद, अब एक नया संकट सामने आया है। पीओके के कथित प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक की कैबिनेट के तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। इन मंत्रियों ने अनवारुल हक पर पीओके के निवासियों और पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के संवैधानिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। तीनों मंत्रियों का इस्तीफा पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।
पाकिस्तानी वेबसाइट द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पीओके के सूचना मंत्री पीर मजहर सईद ने सबसे पहले इस्तीफा दिया। इसके बाद, वित्त मंत्री अब्दुल मजीद खान, खाद्य मंत्री चौधरी अकबर इब्राहिम और असीम शरीफ बट ने शनिवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की। अपने इस्तीफे के बाद जारी एक बयान में, इन नेताओं ने कहा कि पीओके के लोगों और पाकिस्तान में रह रहे 25 लाख कश्मीरी शरणार्थियों के मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने के कारण हक की सरकार ने नैतिक और राजनीतिक वैधता खो दी है।
कश्मीरियों के अधिकार सुरक्षित नहीं
इस्तीफ़ा देने वाले मंत्रियों ने कहा कि अनवारुल हक़ को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने हालिया अशांति से निपटने के सरकार के तरीके की भी कड़ी आलोचना की। अब्दुल मजीद खान ने इस्तीफ़ा देने के बाद कहा कि वह कश्मीरी शरणार्थियों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते सरकार छोड़ रहे हैं।
मजीद ने जम्मू-कश्मीर संयुक्त कार्रवाई समिति (JAAC) की आलोचना करते हुए कहा कि उसने विधानसभा में 12 आरक्षित शरणार्थी सीटों को समाप्त करने की विभाजनकारी और अवसरवादी मांग रखी है। उन्होंने कहा कि JAAC और संघीय प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते में वैधता और व्यापक सहमति का अभाव है।
पाक प्रधानमंत्री को पत्र
चौधरी अकबर इब्राहिम ने कहा कि शरणार्थी केवल राजनीतिक संख्याएँ नहीं हैं। वे वे लोग हैं जिन्होंने दशकों तक विस्थापन सहा है। सरकार को उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाने की ज़रूरत है। पीओके सरकार से इस्तीफ़ा देने वाले मंत्रियों ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
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