इंटरनेट डेस्क। आपने देखा होगा की बहुत से लोग मंदिर के दर्शन करने के बाद वापस आते हैैं तो थोड़ी देर मंदिर की सीढ़ियो पर बैठ जाते है। वैसे इसके भी कई नियम बताएं गए है। इन नियमों का पालन करने से ही मंदिर में देवी-देवताओं के दर्शन करने का पूरा फल और लाभ मिलता है। इसमें एक महत्वपूर्ण नियम है मंदिर में दर्शन करने के बाद वापस आते समय मंदिर की सीढ़ी या चबूतरे पर बैठना।
मंदिर की सीढ़ी या चबूतरे पर बैठना
मंदिर की पैड़ी या सीढ़ी पर बैठना सिर्फ आराम करने का जरिया नहीं, बल्कि इसके पीछे एक खास परंपरा और उद्देश्य छिपा है। जब भी हम किसी मंदिर में दर्शन करते हैं, तो बाहर आकर थोड़ी देर पैड़ी पर बैठकर भगवान का ध्यान करना चाहिए। मंदिर की सीढ़ी पर बैठते ही एक विशेष श्लोक अनायासेन मरणम्, बिना देन्येन जीवनम्. देहान्त तव सानिध्यम्, देहि में परमेश्वरम्.श् का पाठ करना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमारी मृत्यु बिना किसी तकलीफ के हो, हम बीमार होकर या परेशान होकर न मरें साथ ही जीवन ऐसा हो कि हमें किसी पर आश्रित न रहना पड़े, अपने बलबूते पर जीवन व्यतीत करें. जब भी मृत्यु हो, भगवान के सामने हमारे प्राण जाएं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो।
दर्शन करते समय खुली रखें आंखें
दर्शन करते समय आंखें खुली रखनी चाहिए और भगवान के स्वरूप, चरण, मुखारविंद और श्रृंगार का पूरा आनंद लेना चाहिए। लेकिन बाहर आने के बाद, पैड़ी पर बैठकर आंखें बंद करके भगवान का ध्यान करना चाहिए और ऊपर बताए गए श्लोक का पाठ करना चाहिए।
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