News India Live, Digital Desk: पुलिस थाने का नाम सुनते ही हमारे मन में एक अजीब सा डर और हिचकिचाहट आ जाती है. लगता है कि वहां हमारी बात सुनी भी जाएगी या हमें ही सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया जाएगा. पीड़ितों के साथ पुलिस के रूखे व्यवहार की खबरें हम अक्सर सुनते हैं. लेकिन हरियाणा में अब शायद यह तस्वीर बदलने वाली है. प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) ने एक ऐसा आदेश दिया है, जो सुनने में तो बहुत छोटा लगता है, लेकिन इसका असर बहुत बड़ा हो सकता है.नए DGP ने प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि जब भी कोई पीड़ित या फरियादी (शिकायतकर्ता) अपनी समस्या लेकर थाने आए, तो सिर्फ़ उसकी FIR ही न लिखी जाए, बल्कि सबसे पहले उसे सम्मान के साथ बिठाया जाए और उसे चाय-पानी भी पूछा जाए.यह सिर्फ़ चाय-पानी नहीं, सोच बदलने की कोशिश हैनए DGP का मानना है कि जो व्यक्ति पहले से ही किसी जुर्म या घटना का शिकार होकर परेशान है, वह जब थाने आता है तो उसे सहारे और हमदर्दी की ज़रूरत होती है, न कि बेरुखी की. एक गिलास पानी या एक कप चाय पिलाना सिर्फ़ एक शिष्टाचार नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि "हम आपकी तकलीफ़ को समझते हैं और आपकी मदद के लिए यहां हैं."इस छोटे से कदम के पीछे एक बड़ी सोच छिपी है:पुलिस की छवि को सुधारना: इसका मकसद पुलिस की उस पारंपरिक 'डरावनी' छवि को तोड़कर उसे एक 'सहायक' की छवि देना है.भरोसे का रिश्ता बनाना: जब पीड़ितों को थाने में सम्मान मिलेगा, तो उनका पुलिस पर भरोसा बढ़ेगा और वे बिना डरे अपनी शिकायत दर्ज कराने आएंगे.माहौल को बदलना: यह आदेश थाने के माहौल को कम तनावपूर्ण और ज़्यादा मानवीय बनाने की एक कोशिश है.यह कदम हरियाणा पुलिस को 'पीपल फ्रेंडली' बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है. एक छोटा सा बदलाव यह दिखा सकता है कि कानून के रखवाले सिर्फ़ सख्त ही नहीं, बल्कि संवेदनशील भी हो सकते हैं.अब देखना यह कि DGP का यह 'चाय-पानी' वाला मंत्र ज़मीन पर कितना असर दिखाता है और क्या यह वाकई में आम जनता और पुलिस के बीच की उस गहरी खाई को थोड़ा भी कम कर पाता है.
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