मनीला: "मेरे पिता ने भ्रष्टाचार किया है, पर कम से कम वह जनता का काम तो करते हैं!" यह शर्मनाक बयान किसी और का नहीं, बल्कि फिलीपींस के एक बड़े नेता की बेटी का है, और इसी एक लाइन ने पूरे देश में एक नई और तीखी बहस छेड़ दी है। इस बहस के केंद्र में हैं देश के 'नेपो बेबीज' - यानी वो नेता, जज और बड़े अधिकारियों की संतानें जो अपने माता-पिता के रसूख और दौलत पर आलीशान जिंदगी जीते हैं, जबकि देश की आम जनता गरीबी, महंगाई और बाढ़ जैसी आपदाओं से जूझ रही है।क्या है यह पूरा मामला?यह कहानी फिलीपींस की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक आग की तरह फैल गई है। इसकी शुरुआत तब हुई जब आम लोगों ने बाढ़ और तूफान में डूबे अपने घरों की दर्दनाक तस्वीरों के साथ नेताओं के बच्चों की लग्जरी पार्टियों, डिजाइनर कपड़ों और महंगी विदेश यात्राओं की तस्वीरें पोस्ट करना शुरू कर दिया। यह तुलना इतनी सीधी और कड़वी थी कि इसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि जिस देश में लाखों लोग दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां आपदा आने पर लोगों को बचाने के लिए साधन कम पड़ जाते हैं, वहीं देश के नेताओं के बच्चे जनता के पैसे पर सात समंदर पार बैठकर अय्याशी भरी जिंदगी जी रहे हैं।"मैं एक नेपो बेबी हूं"गुस्से के इस माहौल में, एक कैंपेन चल पड़ा है जिसमें नेताओं के बच्चे खुद को "नेपो बेबी" बता रहे हैं, मानो यह कोई गर्व की बात हो। लेकिन उनकी अकड़ और जनता के दर्द से पूरी तरह बेखबर होकर दिए गए बयान लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। वे अपनी लग्जरी जिंदगी को सही ठहराते हुए ऐसे तर्क दे रहे हैं जो बेहद शर्मनाक हैं।इस पूरी स्थिति की तुलना अब नेपाल और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से की जा रही है, जहां राजनीतिक परिवारों में पैदा होना ही सत्ता और सुविधाओं का टिकट बन जाता है।यह मामला सिर्फ फिलीपींस का नहीं है, बल्कि यह हर उस देश की कहानी है जहां आम आदमी और खास आदमी के बीच की खाई इतनी गहरी हो चुकी है। यह इस बात का प्रतीक है कि जब देश के रहनुमाओं की अगली पीढ़ी जनता के दुख-दर्द से कटकर सिर्फ अपनी ही दुनिया में जीने लगे, तो देश का भविष्य कैसा होगा।
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एक गाँव में एक विधवा और` उसकी 6-7 साल की छोटी बेटी रहती थी। दोनों गरीबी में किसी तरह अपना जीवन काट रहे थे। एक दिन माँ सुबह-सुबह घास लाने गई और साथ में काफल भी तोड़ लाई। बेटी ने काफल देखे तो उसकी खुशी का