News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित 160 साल पुराने ऐतिहासिक रेलवे पुल का अब कायाकल्प होने जा रहा है। ब्रिटिशकालीन इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल यह पुल ऊपर ट्रेनों और नीचे सड़क यातायात के संचालन के लिए प्रसिद्ध रहा है। रेलवे बोर्ड ने पुराने पुल की जगह यमुना नदी पर एक अत्याधुनिक नए पुल के निर्माण को मंजूरी दी है।
नए पुल की विशेषताएंप्रयागराज मंडल के प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड ने अपनी सहमति दी है और आवश्यक बजट स्वीकृत किया है। नए पुल का सर्वे भी शुरू हो चुका है, जिसके आधार पर निर्माण जल्द आरंभ होगा। नए पुल की अनुमानित लंबाई करीब एक हजार मीटर होगी, हालांकि अंतिम सर्वे के बाद इसमें कुछ बदलाव संभव हैं। यह पुल जीवनज्योति अस्पताल से शुरू होकर ईसीसी के समीप शुआट्स तक जाएगा।
नवीनतम तकनीक का उपयोगनया पुल दो लेन का होगा और स्फेरिकल बेयरिंग तकनीक पर आधारित होगा, जो इसे भूकंप, चक्रवात और विस्फोट जैसी आपदाओं के विरुद्ध अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बनाएगा। यह तकनीक वर्तमान में रेलवे की आधुनिक परियोजनाओं में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
कुम्भ मेले से पहले तैयार करने का लक्ष्यइस पुल को 2031 में होने वाले प्रयागराज कुंभ मेले से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे प्रशासन का मानना है कि नया पुल प्रयागराज की रेल कनेक्टिविटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। मुंबई-प्रयागराज रूट पर तीसरी लाइन के निर्माण के साथ-साथ इस पुल का निर्माण अत्यावश्यक हो गया है।
प्रयागराज मंडल के ADMR संजय सिंह ने कहा, “यह पुल प्रयागराज के रेलवे नेटवर्क के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर इस पुल को समय से पहले पूरा करने का प्रयास करेंगे।”
पुराना ऐतिहासिक पुल1865 में ब्रिटिश शासन के दौरान निर्मित इस पुल पर बीते कुछ वर्षों से भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया था, अब केवल हल्के वाहन ही इस पुल का उपयोग कर रहे हैं। विशेषकर महाकुंभ जैसे आयोजनों में भारी भीड़ के कारण नए पुल की आवश्यकता महसूस की गई थी।
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