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पाकिस्तान के सीने पर प्रहार, सरगोधा एयरबेस पर भारत के हमले से घुटनों पर कैसे आया जिन्ना का देश

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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारत ने यह दिखा दिया कि वह दुश्मन से कितना आगे है। नौ आतंकवादी ठिकानों पर भारत की एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जमकर जहर उगला था। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने अगले ही दिन भारत के खिलाफ ड्रोन और मिसाइल हमले भी किए। भारत ने उनके हर हमलों को नाकाम कर दिया और उसके हवाई ठिकानों पर जबरदस्त हवाई हमले किए। इन हमलों ने पाकिस्तान को इतना डरा दिया कि वह बिना शर्त भारत से बातचीत को तैयार हो गया। इसी बातचीत ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की पटकथा तैयार की, जिसका ऐलान एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया। सरगोधा एयरबेस पर हमला महत्वपूर्ण क्यों?भारत के हवाई हमलों में सबसे महत्वपूर्ण पाकिस्तान के सरगोधा एयरफील्ड और किराना हिल्स पर हमला था। सरगोधा एयरबेस में बिना किसी अवरोध के भारत के हमलों ने पाकिस्तान को दिखा दिया कि हमारी ताकत कितनी ज्यादा है। इस हमले ने न सिर्फ सरगोधा एयरबेस को तबाह कर दिया, बल्कि किराना हिल्स को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस के अनुसार, किराना हिल्स पर भारत ने बंकर बस्टर बम से दो हमले किए। यह हमला इतना तेज और सटीक था कि यहां तैनात पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम को जवाब देने का मौका तक नहीं मिला। वो भी तब जब यहां पर अघोषित रूप से पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को छिपाया हुआ है। पाकिस्तान ने किराना हिल्स को किले में बदला2017 में द प्रिंट की एक रिपोर्ट में भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल विनायक भट्ट ने सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर बताया था कि पंजाब प्रांत के किराना हिल्स में पाकिस्तान की भूमिगत सुविधाएं अच्छी तरह से सुरक्षित हैं। इस साइट का इस्तेमाल 1980 के दशक में परमाणु परीक्षण करने के लिए किया गया था। पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को स्टोर करने के लिए कई सुरंगों का निर्माण किया है। ऐसी भूमिगत सुविधाओं को विभिन्न तरीकों से सुरक्षित किया जा सकता है जैसे कि उनको दुनिया की नजर से ओझल करना, लोगों तक पहुंच को नियंत्रित करना और घुसपैठ का पता लगाना। पाकिस्तान ने इस जगह को किले में तब्दील कर दिया है। उसका दावा है कि इस फैसिलिटी पर दुश्मन के बंकर बस्टर बम का भी असर नहीं होगा। किराना हिल्स महत्वपूर्ण क्यों हैकिराना हिल्स में भूमिगत सुविधा सरगोधा एयर बेस से लगभग 8 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह सुविधा 39 किमी की परिधि के साथ 67.59 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली हुई है। संभवतः किसी भी सुरक्षा उल्लंघन से बचने के लिए पूरा क्षेत्र पाकिस्तान सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया है। यह क्षेत्र विभिन्न खतरों और संकटों से सुरक्षित है। यह फैसिलिटी सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। यह फैसिलिटी दुनिया की नजर में तब आई थी जब अमेरिकी उपग्रहों ने 1983 और 1990 के बीच पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षण की तैयारियों का पता लगाया था। 1990 में वाशिंगटन की कड़ी आपत्तियों के बाद परीक्षण रद्द कर दिए गए थे। हालाँकि, यह फैसिलिटी अपना महत्व बनाए रखती है क्योंकि माना जाता है कि चीन द्वारा आपूर्ति की गई M-11 मिसाइलें यहां रखी गई हैं।
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