नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारत में अवैध रूप से रुकने वाले विदेशियों के लिए देश को एक 'स्वर्ग' जैसा बताया। कोर्ट ने गोवा में एक रूसी महिला के साथ रह रहे एक इजरायली व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी दो नाबालिग बेटियों को रूस वापस भेजे जाने से रोकने की मांग की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने इस याचिका को 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट' और 'तुच्छ' करार दिया।
बेंच ने कहा, 'यह देश हर तरह के लोगों के लिए स्वर्ग बन गया है। कोई भी आता है और यहीं रुक जाता है।' कोर्ट ने इजरायली नागरिक से पूछा कि वह भारत में कैसे रह रहा है और उसकी आजीविका का क्या जरिया है। कोर्ट ने कहा, 'आप इजरायली होकर भारत में क्यों हैं? आपकी आजीविका का स्रोत क्या है? हम आपकी गतिविधियों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन आप गोवा में कैसे गुजारा कर रहे हैं?'
जब याचिकाकर्ता के वकील दीपक प्रकाश ने बच्चों के रूस भेजे जाने की पुष्टि करने और केंद्र को याचिका की कॉपी देने के लिए समय मांगा, तो बेंच ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, 'हमें यह विशेष अनुमति याचिका पूरी तरह से तुच्छ लगती है। जाहिर है, याचिकाकर्ता केवल प्रचार के लिए हाई कोर्ट और इस अदालत में आया है।' अंत में, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और उसे वापस लिया हुआ मान लिया।
'अगर आप पिता हैं, तो...'सुनवाई के दौरान, बेंच ने याचिकाकर्ता से यह साबित करने के लिए कोई सबूत या गवाही मांगी कि वह उन लड़कियों का पिता है। कोर्ट ने पूछा, 'अगर आप पिता हैं, तो जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे तब आप क्या कर रहे थे? हम आपको भी निर्वासित करने का आदेश क्यों न दें?'
क्या है मामला? यह मामला जुलाई में तब सामने आया जब 40 वर्षीय रूसी महिला नीना कुटिना और उसकी छह और पांच साल की दो बेटियां कर्नाटक के एक जंगल की गुफा से बचाई गईं। तीनों कथित तौर पर बिना वैध यात्रा या निवास दस्तावेजों के हफ्तों से वहां रह रही थीं। कुटिना और उसकी बेटियों को बाद में विदेशी निरोध केंद्र भेजा गया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को उनके प्रत्यावर्तन के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया था। उन्हें 28 सितंबर को रूस वापस भेज दिया गया था। उनके साथ कुटिना का एक और रिश्ते का नाबालिग बेटा भी था, जो गोवा में मिला था।
हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी खुद को गोवा में रहने वाला इजरायली व्यवसायी बताने वाले गोल्डस्टीन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रत्यावर्तन रोकने और दोनों लड़कियों की हिरासत की मांग की थी। उसने दावा किया था कि वह उनकी देखभाल कर रहा था। हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि उसके दावों के बावजूद, महिला और उसकी बेटियां अजीब तरह से एक अलग-थलग गुफा में रहती पाई गईं और गोल्डस्टीन इन परिस्थितियों के बारे में कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सका।
बेंच ने कहा, 'यह देश हर तरह के लोगों के लिए स्वर्ग बन गया है। कोई भी आता है और यहीं रुक जाता है।' कोर्ट ने इजरायली नागरिक से पूछा कि वह भारत में कैसे रह रहा है और उसकी आजीविका का क्या जरिया है। कोर्ट ने कहा, 'आप इजरायली होकर भारत में क्यों हैं? आपकी आजीविका का स्रोत क्या है? हम आपकी गतिविधियों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन आप गोवा में कैसे गुजारा कर रहे हैं?'
जब याचिकाकर्ता के वकील दीपक प्रकाश ने बच्चों के रूस भेजे जाने की पुष्टि करने और केंद्र को याचिका की कॉपी देने के लिए समय मांगा, तो बेंच ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, 'हमें यह विशेष अनुमति याचिका पूरी तरह से तुच्छ लगती है। जाहिर है, याचिकाकर्ता केवल प्रचार के लिए हाई कोर्ट और इस अदालत में आया है।' अंत में, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और उसे वापस लिया हुआ मान लिया।
'अगर आप पिता हैं, तो...'सुनवाई के दौरान, बेंच ने याचिकाकर्ता से यह साबित करने के लिए कोई सबूत या गवाही मांगी कि वह उन लड़कियों का पिता है। कोर्ट ने पूछा, 'अगर आप पिता हैं, तो जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे तब आप क्या कर रहे थे? हम आपको भी निर्वासित करने का आदेश क्यों न दें?'
क्या है मामला? यह मामला जुलाई में तब सामने आया जब 40 वर्षीय रूसी महिला नीना कुटिना और उसकी छह और पांच साल की दो बेटियां कर्नाटक के एक जंगल की गुफा से बचाई गईं। तीनों कथित तौर पर बिना वैध यात्रा या निवास दस्तावेजों के हफ्तों से वहां रह रही थीं। कुटिना और उसकी बेटियों को बाद में विदेशी निरोध केंद्र भेजा गया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को उनके प्रत्यावर्तन के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया था। उन्हें 28 सितंबर को रूस वापस भेज दिया गया था। उनके साथ कुटिना का एक और रिश्ते का नाबालिग बेटा भी था, जो गोवा में मिला था।
हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी खुद को गोवा में रहने वाला इजरायली व्यवसायी बताने वाले गोल्डस्टीन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रत्यावर्तन रोकने और दोनों लड़कियों की हिरासत की मांग की थी। उसने दावा किया था कि वह उनकी देखभाल कर रहा था। हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि उसके दावों के बावजूद, महिला और उसकी बेटियां अजीब तरह से एक अलग-थलग गुफा में रहती पाई गईं और गोल्डस्टीन इन परिस्थितियों के बारे में कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सका।
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