नई दिल्लीः यमुना में आई बाढ़ का सबसे ज्यादा असर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के पुराना उस्मानपुर गांव, गढ़ी मेंडू और बदरपुर खादर गांव पर पड़ा। इन तीनों गांवों में घरों के अंदर कई फीट कीचड़ जमा हो गई है। इसे साफ करने में कई दिन लग जाएंगे। गांवों में अभी बिजली सप्लाई भी बहाल नहीं हो पाई। ऐसे में सड़क किनारे दिन-रात गुजार रहे लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पुराना उस्मानपुर गांव में रहने वाली ममता ने बताया कि यमुना का पानी इतनी तेजी से आया कि ज्यादा सामान नहीं निकाल पाई। बस किसी तरह से कुछ जरूरी सामान समेटकर परिवार के साथ जान बचाकर वहां से बाहर निकल आई।
हमारे बच्चे इस परेशानी को न झेलेंबच्चों के स्कूल बैग भी नहीं ले पाए। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है। उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिला प्रशासन से टेंट मिला है। टेंट के अलावा यहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। रात के समय लाइट की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से जवान बेटी को रिश्तेदारों के पास भेजना पड़ा। रात में इतने मच्छर होते हैं कि सो नहीं पा रहे है। टायलेट आदि की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है। प्रशासन से एक ही अपील है कि गांव में मेरे पास जितनी जगह है, यहां से बाहर इससे आधी जगह भी मिल जाएगी, तो मै परिवार के साथ वहां शिफ्ट हो जाऊंगी। जितना हमने झेला है, हमारे बच्चे इस परेशानी को न झेलें।
सामान खरीदने के लिए इतना पैसा कहां से लाएदेवर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है। जहां भी रिश्ते की बात चलती है, पुराना उस्मानपुर का नाम आते ही बेटी का रिश्ता करने से यह कहते हुए मना कर देते हैं की वहां तो हर साल बाढ़ आती है। वहीं, सारिका ने बताया कि घर के अंदर बाढ़ का पानी घुसने की वजह से एसी, फ्रिज और एलईडी समेत कई सामान खराब हो जाता है। साल 2023 में तो इससे भी भयंकर बाढ़ आई थी। तब भी हमारा भारी नुकसान हुआ था। अब हर साल घर का सामान खरीदने के लिए इतना पैसा कहां से लाए।
बह गया हजारों रुपये का जमा कबाड़सलीम शेख ने बताया कि वह लगभग 30 साल से दिल्ली में अपने परिवार के साथ रह रहे है। पहले मैं सवारी रिक्शा चलाकर परिवार पाल रहा था, लेकिन कमजोरी के कारण कबाड़ी का काम शुरू कर दिया। मेरा पूरा परिवार कबाड़ी का ही काम करता है। परिवार के साथ पुराना उस्मानपुर गांव में रेट पर रहता हूं। इस बाढ़ में हजारों रुपये का कबाड़ पानी में बह गया।
हमारे बच्चे इस परेशानी को न झेलेंबच्चों के स्कूल बैग भी नहीं ले पाए। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है। उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिला प्रशासन से टेंट मिला है। टेंट के अलावा यहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। रात के समय लाइट की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से जवान बेटी को रिश्तेदारों के पास भेजना पड़ा। रात में इतने मच्छर होते हैं कि सो नहीं पा रहे है। टायलेट आदि की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है। प्रशासन से एक ही अपील है कि गांव में मेरे पास जितनी जगह है, यहां से बाहर इससे आधी जगह भी मिल जाएगी, तो मै परिवार के साथ वहां शिफ्ट हो जाऊंगी। जितना हमने झेला है, हमारे बच्चे इस परेशानी को न झेलें।
सामान खरीदने के लिए इतना पैसा कहां से लाएदेवर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है। जहां भी रिश्ते की बात चलती है, पुराना उस्मानपुर का नाम आते ही बेटी का रिश्ता करने से यह कहते हुए मना कर देते हैं की वहां तो हर साल बाढ़ आती है। वहीं, सारिका ने बताया कि घर के अंदर बाढ़ का पानी घुसने की वजह से एसी, फ्रिज और एलईडी समेत कई सामान खराब हो जाता है। साल 2023 में तो इससे भी भयंकर बाढ़ आई थी। तब भी हमारा भारी नुकसान हुआ था। अब हर साल घर का सामान खरीदने के लिए इतना पैसा कहां से लाए।
बह गया हजारों रुपये का जमा कबाड़सलीम शेख ने बताया कि वह लगभग 30 साल से दिल्ली में अपने परिवार के साथ रह रहे है। पहले मैं सवारी रिक्शा चलाकर परिवार पाल रहा था, लेकिन कमजोरी के कारण कबाड़ी का काम शुरू कर दिया। मेरा पूरा परिवार कबाड़ी का ही काम करता है। परिवार के साथ पुराना उस्मानपुर गांव में रेट पर रहता हूं। इस बाढ़ में हजारों रुपये का कबाड़ पानी में बह गया।
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