भोपाल: मध्य प्रदेश के सात जिलों में लंपी वायरस का संक्रमण फैलने के बाद पशुपालन विभाग ने प्रदेश भर के लिए अलर्ट जारी किया है। झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर और भोपाल जिलों से पशुओं में लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) के मामले सामने आए हैं, जिनकी पुष्टि भोपाल स्थित उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला में हुई है। विभाग ने बचाव के लिए पशुओं को टीका लगवाने और स्वस्थ पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखने के निर्देश दिए हैं। संक्रमण से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण और पशुपालकों को रोग से बचाव के संबंध में परामर्श दिया जा रहा है।
लंपी वायरस के लक्षण
लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) पशुओं में होने वाली एक वायरस जनित बीमारी है जो मुख्य रूप से गोवंशीय पशुओं में वर्षा के दिनों में फैलती है। इस रोग की शुरुआत में पशुओं को हल्का बुखार दो से तीन दिन के लिए रहता है और उनके शरीर में गठानें निकल आती हैं। इसके परिणामस्वरूप दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग मच्छर, काटने वाली मक्खी और किल्ली जैसे वाहकों से एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है। अधिकतर संक्रमित पशु दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादकता में कमी कुछ समय तक बनी रह सकती है।
टीके से हो सकता है बचाव
संचालक पशुपालन डॉ. पी.एस. पटेल ने बताया कि बचाव के लिए पशुओं को टीका लगवाने और स्वस्थ पशुओं को बीमार से अलग रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। संक्रमण से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण एवं पशुपालकों को रोग से बचाव के संबंध में परामर्श दिया जा रहा है। विभाग द्वारा राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है, जिसका दूरभाष नंबर 0755-2767583 है। कोई भी पशुपालक इस पर संपर्क कर सहायता प्राप्त कर सकता है।
लंपी वायरस के लक्षण
लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) पशुओं में होने वाली एक वायरस जनित बीमारी है जो मुख्य रूप से गोवंशीय पशुओं में वर्षा के दिनों में फैलती है। इस रोग की शुरुआत में पशुओं को हल्का बुखार दो से तीन दिन के लिए रहता है और उनके शरीर में गठानें निकल आती हैं। इसके परिणामस्वरूप दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग मच्छर, काटने वाली मक्खी और किल्ली जैसे वाहकों से एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है। अधिकतर संक्रमित पशु दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादकता में कमी कुछ समय तक बनी रह सकती है।
टीके से हो सकता है बचाव
संचालक पशुपालन डॉ. पी.एस. पटेल ने बताया कि बचाव के लिए पशुओं को टीका लगवाने और स्वस्थ पशुओं को बीमार से अलग रखने के निर्देश जारी किए गए हैं। संक्रमण से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण एवं पशुपालकों को रोग से बचाव के संबंध में परामर्श दिया जा रहा है। विभाग द्वारा राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है, जिसका दूरभाष नंबर 0755-2767583 है। कोई भी पशुपालक इस पर संपर्क कर सहायता प्राप्त कर सकता है।
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