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भारत ने पाकिस्तान को फिर सुनाई खरी-खरी, अभिव्यक्ति पर यूएन की रिपोर्ट के दावे को भी किया खारिज

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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को फिर से आईना दिखाया है। भारत की प्रथम सचिव भाविका मंगालानंद ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में हो रहे मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान से इसे तुरंत बंद करने की मांग की। साथ ही, भारत ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को भी सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि देश की पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां खतरे में हैं। भारत ने साफ कहा कि उसकी पारंपरिक कलाएं और शिल्प आज भी खूब फल-फूल रहे हैं। यह भारत की मजबूत कूटनीति का एक और उदाहरण है, जो एक साथ कई मोर्चों पर अपनी बात मजबूती से रख रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की प्रथम सचिव भाविका मंगालानंद ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पीओके में मानवाधिकारों का भयानक उल्लंघन हो रहा है। भाविका ने बताया कि पाकिस्तानी सेना वहां के उन नागरिकों को बेरहमी से दबा रही है जो अपने अधिकारों और आजादी के लिए आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीओके के लोग अब पाकिस्तान के जुल्म और शोषण के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।

भाविका ने यह भी कहा कि पाकिस्तान बार-बार भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है, लेकिन सच्चाई कभी नहीं बदलती। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान का यह ढोंग संयुक्त राष्ट्र के कीमती समय और ध्यान के लायक नहीं है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में लोगों की भारी भागीदारी को लोकतंत्र की एक मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत के लोगों की तरक्की और आत्मनिर्णय का सबूत है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को गलत बतायाइसके अलावा, भारत ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को भी पूरी तरह से गलत बताया जिसमें यह दावा किया गया था कि देश की पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां खतरे में हैं। भारत की ओर से लोकसभा सांसद इंद्र हांग सुब्बा ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक कलाएं, संगीत, शिल्प और प्रदर्शन कलाएं हजारों साल पुरानी हैं और आज भी पूरे देश में बहुत अच्छी तरह से चल रही हैं।

'सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की रक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा'उन्होंने बताया कि भारत ने अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की रक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया है। कॉपीराइट कानून कलाकारों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। सुब्बा ने यह भी बताया कि नई तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने इन कलाओं की पहुंच और मांग को और बढ़ाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की जो भावनात्मक गहराई है, उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कभी भी दोहरा नहीं सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह कला इंसान की अपनी भावनाओं और रचनात्मकता से पैदा होती है।

भारत की मुखर कूटनीतियह घटनाक्रम भारत की मुखर कूटनीति को दर्शाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात को मजबूती से रखने में सक्षम है। भारत ने पाकिस्तान को न केवल उसके अपने देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए घेरा, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की एक ऐसी रिपोर्ट को भी चुनौती दी जो भारत की सांस्कृतिक विरासत की स्थिति पर सवाल उठा रही थी। भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित है और फल-फूल रही है, जो उसकी मजबूत सांस्कृतिक जड़ों और संरक्षण के प्रयासों का प्रमाण है।
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