नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन नेवी ने ‘साइलेंट’ रहकर अपना रोल निभाया और इस तरह निभाया कि पाकिस्तान के पास मौजूद सीमित वॉरशिप भी अपने हार्बर से बाहर नहीं आ पाए। इंडियन नेवी का दबाव इतना ज्यादा था कि पाकिस्तान ने समंदर में कोई हरकत करने की सोची भी नहीं। साथ ही इंडियन नेवी के कैरियर बेटल ग्रुप और दूसरे वॉरशिप ने जिस तरह पेट्रोलिंग की और निगरानी की उससे कई मर्चेंट शिप ने अपना रास्ता बदल लिया और पाकिस्तान के पोर्ट पर जाने से बचने लगे। जिससे पाकिस्तान की इकॉनमी भी हिट होने लगी। क्यों पाकिस्तान पर था नेवी का भारी दवाबइंडियन नेवी की तैनाती ने पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया था कि अगर पाकिस्तान ज्यादा तनाव बढ़ाता है यानी स्थिति ज्यादा एस्केलेट होती है तो नेवी के निशाने पर सिर्फ उसके वॉरशिप ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के जमीनी ठिकाने भी हैं। एक तरफ पाकिस्तान की एयरफोर्स और आर्मी को भारत की एयरफोर्स और आर्मी करारा जवाब दे रही थी, वहीं इंडियन नेवी की तरफ से साफ था कि अगर पाकिस्तान बाज नहीं आएगा और इंडियन नेवी ने एक्शन शुरू कर दिया तो पाकिस्तान की एयरफोर्स को दो हिस्सों में बंटकर काम करना होगा, जो पाकिस्तान के लिए बहुत ही खराब स्थिति होती। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की नेवी के पास कोई एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है। इसलिए पाकिस्तान नेवी को अपने एयर ऑपरेशन के लिए अपनी एयरफोर्स पर ही निर्भर रहना होता। जबकि इंडियन नेवी का एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत फॉरवर्ड एरिया में लगातार चक्कर लगा रहा था। कैरियर बेटल ग्रुप के साथ कई वॉरशिप भीइंडियन नेवी के कैरियर बेटल ग्रुप में एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के साथ ही कई वॉरशिप तैनात कर दी गई। एयरक्राफ्ट कैरियर में फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर दोनों ही होते हैं। मिग-29K फाइटर जेट के साथ रोमियो हेलिकॉप्टर पाकिस्तान की नीदें उड़ा रहा था। एयरक्राफ्ट कैरियर में 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट आ सकते हैं। साथ ही लंबी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल की मौजूदगी ने पाकिस्तान को लगातार दबाव में रखा। नेवी के एयर बॉर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगातार हवा में थे और लगातार लंबी दूरी तक उनकी चौकस नजरें थी। कैरियर बेटल ग्रुप में एयरक्राफ्ट कैरियर के चारों तरफ सबमरीन भी होती हैं, साथ ही 8 से 10 वॉरशिप भी इसका हिस्सा होते हैं। इंडियन नेवी की क्षमता और नंबर दोनों ज्यादानेवी ने वेस्टर्न कोस्ट में एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ कम से कम 7 डिस्ट्रॉयर तैनात किए, इसमें सबसे आधुनिक ड्रिस्ट्रॉयर भी शामिल हैं। साथ ही करीब सात फ्रिगेट भी लगातार पाकिस्तान को दबाव में रख रही थी। डिस्ट्रॉयर में सर्फेस टू सर्फेंस और सर्फेस टू एयर अटैक की क्षमता है। इसमें एंटी सबमरीन कैपिसिटी के साथ दो हेलिकॉप्टर भी कैरी किए जा सकते हैं। इसके अलावा कई फास्ट अटैक क्राफ्ट, मिसाइल बोट भी बड़ी संख्या में तैनाती में थी। जबकि पाकिस्तान की क्षमता देखें तो उसके पास एक भी डिस्ट्रॉयर नहीं है। फ्रिगेट कुछ पुरानी हैं और नई फ्रिगेट सिर्फ चार ही हैं। 3 से 4 सबमरीन ही ऑपरेशनल हैं।
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