नई दिल्ली: भारत ने चीन की मंशा को भांपकर बड़ा कदम उठा दिया है। उसने आयातित फ्लैट स्टील उत्पादों पर 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगा दी है। इससे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को राहत मिली है। इससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी। साथ ही घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल, अमेरिका ने चीन से आने वाले स्टील पर भारी टैक्स लगा दिया है। इससे भारतीय स्टील कंपनियों को डर था कि चीन अपना सस्ता स्टील भारत में बेचेगा। सबसे पहले यह चिंता सरकारी कंपनी SAIL ने जताई थी। फिर, एक और बड़ी कंपनी AMNS इंडिया ने भी अमेरिका के फैसले पर चिंता जताई। कंपनी का कहना था कि अगर चीन से सस्ता स्टील भारत आया तो भारतीय उद्योग को नुकसान हो सकता है। इसी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया। इस कदम का इंडस्ट्री ने स्वागत किया है। स्टील उद्योग के दिग्गजों का कहना था कि अमेरिका के टैक्स लगाने से दुनिया भर में स्टील का व्यापार बदल सकता है। इससे भारत में स्टील का इम्पोर्ट बढ़ सकता है। भारत को डर था कि चीन अपना सस्ता स्टील भारत में डंप कर सकता है। AMNS इंडिया के डायरेक्टर रंजन धर ने NBT डिजिटल को बताया था कि भारतीय स्टील उद्योग को सुरक्षा की जरूरत है। उनका कहना था कि भारत में इम्पोर्टेड स्टील की कोई मांग नहीं है। घरेलू स्टील उद्योग को प्रोटेक्शनिज्म की जरूरत है। इसका मतलब है कि सरकार को इम्पोर्ट पर टैक्स लगाकर घरेलू उद्योग को बचाना चाहिए। यह बात उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से स्टील और एल्यूमीनियम के इम्पोर्ट पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के जवाब में कही थी। सभी दिग्गजों की एक थी राय SAIL के चेयरमैन अमरेन्दु प्रकाश ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की थी। पिछले दिनों उन्होंने NBT डिजिटल से बातचीत में कहा था कि अमेरिका की ओर से ज्यादा टैरिफ लगाने से ग्लोबल 'ट्रेड फ्लो' बदल सकता है। इसका मतलब है कि दुनिया भर में स्टील का व्यापार बदल सकता है। इससे भारत में स्टील इम्पोर्ट बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा, क्योंकि अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाले देश अपने शिपमेंट को भारत में भेज सकते हैं। धर का कहना था कि चीन इस समय दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है। अगर चीन को अमेरिका में बाजार नहीं मिलेगा तो उसे कहीं और जाना होगा। उन्होंने बताया था कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का इम्पोर्ट इसलिए बढ़ गया क्योंकि चीन ने 1 अरब टन से ज्यादा स्टील का उत्पादन किया। चीन में घरेलू खपत, उत्पादन क्षमता के साथ नहीं बढ़ पाई है। इसका मतलब है कि चीन जितना स्टील बना रहा है, उतना उसके देश में इस्तेमाल नहीं हो रहा है। पिछले साल चीन ने 110 मिलियन टन स्टील एक्सपोर्ट किया था। जिन देशों को चीन पहले एक्सपोर्ट करता था, उन्होंने अब अपनी स्टील उत्पादन क्षमता विकसित कर ली है। भारत ने भी अपनी स्टील उत्पादन क्षमता बढ़ाई है। इसलिए, अब बाजार में इम्पोर्टेड स्टील की कोई मांग नहीं है। उद्योग को थी 25% सेफगार्ड ड्यूटी की उम्मीदभारतीय स्टील उद्योग ने 25% सेफगार्ड ड्यूटी की उम्मीद की थी। सेफगार्ड ड्यूटी का मतलब है कि सरकार इम्पोर्ट पर टैक्स लगाकर घरेलू उद्योग को बचाती है। लेकिन, केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा, DGTR ने कुछ स्टील उत्पादों पर 200 दिनों के लिए 12% प्रोविजनल सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की सिफारिश की। इसका मकसद घरेलू कंपनियों को इम्पोर्ट में वृद्धि से बचाना है। हाल ही में, टाटा स्टील के एक अधिकारी ने बताया था कि कंपनी स्थिति का आकलन कर रही है और इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (JSPL) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि कंपनी अमेरिका की घोषणाओं के प्रभावों पर बारीकी से नजर रख रही है। उचित समय पर अपनी राय देगी। सेफगार्ड ड्यूटी क्या है?सेफगार्ड ड्यूटी एक अस्थायी उपाय है। इसे एक देश अपने घरेलू उद्योगों को आयात में अचानक बढ़ोतरी से बचाने के लिए लगाता है जिससे उन उद्योगों को गंभीर नुकसान हो सकता है या नुकसान का खतरा हो सकता है। यह ड्यूटी सभी देशों से किए गए आयात पर लगाई जाती है और इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को समायोजित होने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए समय देना है।
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