नई दिल्ली: सेना पर राहुल गांधी की एक टिप्पणी ने विपक्ष के एक नेता को बेहद नाराज कर दिया। उन्होंने राहुल के बयान पर न सिर्फ हैरानी जताई, बल्कि कांग्रेस नेता को नसीहत भी दे डाली। विपक्ष के नेता ने राहुल गांधी के बयान पर निराशा भी व्यक्त की है। राहुल के बयान पर टिप्पणी किसी और ने नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी की पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने की है। यशवंत सिन्हा ने कहा कि सेना को जातिगत बहस में घसीटने की जरूरत नहीं है।
यशवंत सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि मैं राहुल गांधी के भारतीय सेना को जातिगत बहस में घसीटने से निराश हूं। भारतीय सेना की एकमात्र जाति देशभक्ति, साहस और बलिदान है। बता दें कि हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार के कुटुंबा में चुनाव प्रचार के दौरान सेना पर टिप्पणी की, जिसने विवाद को जन्म दे दिया है। राहुल गांधी ने दावा किया कि भारतीय सेना देश की 10 फीसदी आबादी के नियंत्रण में है। उनका मतलब सेना में ऊंची जातियों के प्रभुत्व से था।
नौकरशाही पर भी 10 आबादी का दबदबाराहुल गांधी ने भारत में आर्थिक असमानता के मुद्दे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 90% आबादी दलितों, महादलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों सहित हाशिए पर है। कॉर्पोरेट भारत, नौकरशाही, न्यायपालिका और अन्य प्रमुख संस्थानों में उनका प्रतिनिधित्व कम है। बैंकों का सारा पैसा उन्हीं (प्रभुत्व वालों) के पास जाता है, सारी नौकरियां उन्हीं को मिलती हैं, और नौकरशाही के ज्यादातर पदों पर भी उनका दबदबा है। सब कुछ उन्हीं के नियंत्रण में है। न्यायपालिका को ही देख लीजिए। वहां भी सब कुछ उन्हीं के हाथ में है। यहां तक कि सेना पर भी उनका नियंत्रण है।
500 कंपनियों का स्वामित्व कुलीनों के पासराहुल गांधी ने आगे कहा कि अडानी और अंबानी सहित भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों का स्वामित्व मुख्य रूप से एक छोटे से कुलीन समूह के व्यक्तियों के पास है, जो जनसंख्या का केवल 10% है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह समूह अनुपातहीन मात्रा में धन, बैंक ऋण और अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावशाली पदों पर नियंत्रण रखता है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इस देश में 90% लोग दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक समूहों से आते हैं। लेकिन अगर आप कॉर्पोरेट भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों, जैसे अडानी और अंबानी, को देखें, तो आपको उनमें पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, महादलित, अल्पसंख्यक या आदिवासी व्यक्ति नहीं मिलेगा।
यशवंत सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि मैं राहुल गांधी के भारतीय सेना को जातिगत बहस में घसीटने से निराश हूं। भारतीय सेना की एकमात्र जाति देशभक्ति, साहस और बलिदान है। बता दें कि हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार के कुटुंबा में चुनाव प्रचार के दौरान सेना पर टिप्पणी की, जिसने विवाद को जन्म दे दिया है। राहुल गांधी ने दावा किया कि भारतीय सेना देश की 10 फीसदी आबादी के नियंत्रण में है। उनका मतलब सेना में ऊंची जातियों के प्रभुत्व से था।
नौकरशाही पर भी 10 आबादी का दबदबाराहुल गांधी ने भारत में आर्थिक असमानता के मुद्दे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 90% आबादी दलितों, महादलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों सहित हाशिए पर है। कॉर्पोरेट भारत, नौकरशाही, न्यायपालिका और अन्य प्रमुख संस्थानों में उनका प्रतिनिधित्व कम है। बैंकों का सारा पैसा उन्हीं (प्रभुत्व वालों) के पास जाता है, सारी नौकरियां उन्हीं को मिलती हैं, और नौकरशाही के ज्यादातर पदों पर भी उनका दबदबा है। सब कुछ उन्हीं के नियंत्रण में है। न्यायपालिका को ही देख लीजिए। वहां भी सब कुछ उन्हीं के हाथ में है। यहां तक कि सेना पर भी उनका नियंत्रण है।
I am disappointed at Rahul Gandhi dragging the Indian Army into a caste debate. The only caste the Indian Army has is patriotism, courage and sacrifice.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) November 5, 2025
500 कंपनियों का स्वामित्व कुलीनों के पासराहुल गांधी ने आगे कहा कि अडानी और अंबानी सहित भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों का स्वामित्व मुख्य रूप से एक छोटे से कुलीन समूह के व्यक्तियों के पास है, जो जनसंख्या का केवल 10% है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह समूह अनुपातहीन मात्रा में धन, बैंक ऋण और अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावशाली पदों पर नियंत्रण रखता है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इस देश में 90% लोग दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक समूहों से आते हैं। लेकिन अगर आप कॉर्पोरेट भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों, जैसे अडानी और अंबानी, को देखें, तो आपको उनमें पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, महादलित, अल्पसंख्यक या आदिवासी व्यक्ति नहीं मिलेगा।
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