नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने देशभर में फैले जिस आतंकी मॉड्यूल का खुलासा किया उसने ये साफ हुआ है कि देशभर में वाइट कॉलर आतंकियों का नेटवर्क बढ़ा है। ये लोग शिक्षित होते हैं, अलग अलग पेशे में होते हैं और आम लोगों के बीच रहकर सामान्य जिंदगी जी रहे होते हैं।
संगठनों की बैकबोन होते हैं ये आतंकी
आतंकियों को सामान्य लोगों से अलग करना मुश्किल हो जाता है लेकिन ये वाइट कॉलर आतंकी, आतंकवादी संगठनों की बैकबोन होते हैं। हथियार उठाकर किसी हमले या आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले आतंकी जहां फ्रंट फेस होते हैं वहीं ये वाइट कॉलर आतंकवादी बाकी सारे सपोर्ट सिस्टम का हिस्सा होते हैं।
कैसे करते हैं वाइट कॉलर आतंकी काम
सिक्योरिटी एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि टेररिजम में जो टेरर होता है वो होते हैं हथियार थामने वाले आतंकी, इसका जो इज्म है वह है आतंकियों का पूरा सपोर्ट सिस्टम, ओवर ग्राउंड वर्कर, आतंकियों के समर्थक और आतंकियो से सहानुभूति रखने वाले लोग।
आतंकियों को देते हैं सपोर्ट
वाइट कॉलर आतंकवादी आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देते हैं, जानकारी और संदेश एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाते हैं, फंड जुटाते हैं और पूरे आतंकी संगठन को चलाने में मदद करते हैं।
संगठनों से जुड़े कम आतंकी
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सहित जम्मू-कश्मीर में सक्रिय दूसरे आतंकी संगठनों में सीधे तौर पर शामिल होने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। इनका रिक्रूटमेंट कम हुआ है। मतलब आतंकियों को ऐसे लोग कम मिले हैं जो सीधे इनके लिए हथियार थामें।
सिक्योरिटी एजेंसियों से मिला डेटा
सिक्योरिटी एजेंसियों से मिले डेटा के मुताबिक इस साल 2 आतंकी रिक्रूट हुए। पिछले साल 6 आतंकी रिक्रूट हुए थे। 2023 में 17, 2022 में 120, 2021 में 150 और 2020 में जम्मू-कश्मीर के 200 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे। सिक्योरिटी एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि ये रिक्रूटमेंट कम हुआ है लेकिन ओवर ग्राउंड वर्कर कितने हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ये लोग तभी पकड़ में आते हैं।
आतंकी संगठनों ने बढ़ाई ये खेप
जब किसी घटना को अंजाम देते हैं या इस तरह की कोई साजिश का खुलासा होता है। सिक्योरिटी एजेंसियां मान रही हैं कि आतंकवादी संगठनों ने पेशेवर लोगों में अपना पेनिट्रेशन बढ़ाया है और वाइट कॉलर आतंकियों की बड़ी खेप तैयार की है।
घुसपैठ की चार कोशिश नाकाम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से आतंकी घुसपैठ की कोशिश जारी रही। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब तक एलओसी पार से घुसपैठ की चार कोशिशों को भारतीय सेना ने नाकाम किया और घुसपैठ कर रहे 8 आतंकियों का मार गिराया।
पिछले कुछ महीनों में मारे गए इतने आतंकी
1 सितंबर को पुंछ सेक्टर में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे नाकाम किया गया और दो आतंकी मारे गए। 28 अगस्त को गुरेज सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को भारतीय सेना ने मार गिराया। 28 सितंबर को कुपवाड़ा में घुसपैठ की कोशिश हुई और 2 आतंकी मारे गए। 8 नवंबर को कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में दो आतंकियों का सुरक्षा बलों ने सफाया किया।
संगठनों की बैकबोन होते हैं ये आतंकी
आतंकियों को सामान्य लोगों से अलग करना मुश्किल हो जाता है लेकिन ये वाइट कॉलर आतंकी, आतंकवादी संगठनों की बैकबोन होते हैं। हथियार उठाकर किसी हमले या आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले आतंकी जहां फ्रंट फेस होते हैं वहीं ये वाइट कॉलर आतंकवादी बाकी सारे सपोर्ट सिस्टम का हिस्सा होते हैं।
कैसे करते हैं वाइट कॉलर आतंकी काम
सिक्योरिटी एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि टेररिजम में जो टेरर होता है वो होते हैं हथियार थामने वाले आतंकी, इसका जो इज्म है वह है आतंकियों का पूरा सपोर्ट सिस्टम, ओवर ग्राउंड वर्कर, आतंकियों के समर्थक और आतंकियो से सहानुभूति रखने वाले लोग।
आतंकियों को देते हैं सपोर्ट
वाइट कॉलर आतंकवादी आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देते हैं, जानकारी और संदेश एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाते हैं, फंड जुटाते हैं और पूरे आतंकी संगठन को चलाने में मदद करते हैं।
संगठनों से जुड़े कम आतंकी
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सहित जम्मू-कश्मीर में सक्रिय दूसरे आतंकी संगठनों में सीधे तौर पर शामिल होने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। इनका रिक्रूटमेंट कम हुआ है। मतलब आतंकियों को ऐसे लोग कम मिले हैं जो सीधे इनके लिए हथियार थामें।
सिक्योरिटी एजेंसियों से मिला डेटा
सिक्योरिटी एजेंसियों से मिले डेटा के मुताबिक इस साल 2 आतंकी रिक्रूट हुए। पिछले साल 6 आतंकी रिक्रूट हुए थे। 2023 में 17, 2022 में 120, 2021 में 150 और 2020 में जम्मू-कश्मीर के 200 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे। सिक्योरिटी एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि ये रिक्रूटमेंट कम हुआ है लेकिन ओवर ग्राउंड वर्कर कितने हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ये लोग तभी पकड़ में आते हैं।
आतंकी संगठनों ने बढ़ाई ये खेप
जब किसी घटना को अंजाम देते हैं या इस तरह की कोई साजिश का खुलासा होता है। सिक्योरिटी एजेंसियां मान रही हैं कि आतंकवादी संगठनों ने पेशेवर लोगों में अपना पेनिट्रेशन बढ़ाया है और वाइट कॉलर आतंकियों की बड़ी खेप तैयार की है।
घुसपैठ की चार कोशिश नाकाम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से आतंकी घुसपैठ की कोशिश जारी रही। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब तक एलओसी पार से घुसपैठ की चार कोशिशों को भारतीय सेना ने नाकाम किया और घुसपैठ कर रहे 8 आतंकियों का मार गिराया।
पिछले कुछ महीनों में मारे गए इतने आतंकी
1 सितंबर को पुंछ सेक्टर में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे नाकाम किया गया और दो आतंकी मारे गए। 28 अगस्त को गुरेज सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को भारतीय सेना ने मार गिराया। 28 सितंबर को कुपवाड़ा में घुसपैठ की कोशिश हुई और 2 आतंकी मारे गए। 8 नवंबर को कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में दो आतंकियों का सुरक्षा बलों ने सफाया किया।
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