भोपाल: एम्स में प्रदेश का पहला सेंट्रलाइज्ड कैंसर ब्लॉक 2026 तक तैयार हो जाएगा, जिसमें गामा नाइफ और पीईटी-सीटी स्कैन जैसी एडवांस सुविधाएं एक ही जगह मिलेंगी। यह ब्लॉक हर साल भोपाल पहुंचने वाले 36 हजार से ज्यादा कैंसर मरीजों को जांच से लेकर कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, मेंटल हेल्थ काउंसलिंग और स्टेम सेल ट्रीटमेंट तक की सभी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराएगा, जिससे उन्हें अलग-अलग विभागों में भटकना नहीं पड़ेगा और गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मिल सकेगा।
2026 में शुरु होगा ब्लॉक
मध्यप्रदेश में कैंसर मरीजों के लिए एम्स भोपाल में प्रदेश का पहला सेंट्रलाइज्ड कैंसर ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। यह ब्लॉक 2026 तक शुरू हो जाएगा। इस मॉडर्न ब्लॉक में कैंसर के मरीजों को गामा नाइफ और पीईटी-सीटी स्कैन जैसी एडवांस सुविधाएं एक ही जगह पर मिलेंगी।
फिलहाल 6 महीने तक की वेटिंग
अभी सिटी स्कैन और एमआरआई जैसी जांच के लिए 6 माह से एक साल तक की वेटिंग है। इन परेशानियों से मरीजों को बचाने के लिए यह सेंट्रलाइज्ड ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। भोपाल एम्स में हर साल 36000 से ज्यादा कैंसर मरीज पहुंचते हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज अन्य जिलों से आते हैं।
एक ही जगह मिलेंगी सभी सुविधाएं
नए कैंसर ब्लॉक में मरीजों को जांच से लेकर ट्रीटमेंट तक की सभी सेवाएं एक ही स्थान पर मिलेंगी। इसमें कीमोथेरेपी, सर्जरी, टारगेट थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, मेंटल हेल्थ काउंसलिंग और स्टेम सेल ट्रीटमेंट की व्यवस्था होगी। एम्स प्रशासन का कहना है कि फिलहाल कैंसर मरीजों को अलग-अलग विभागों में भटकना पड़ता है। जांच एक जगह, सर्जरी दूसरी जगह और रेडिएशन तीसरी जगह होती है। लेकिन इस ब्लॉक के शुरू होने के बाद सभी विशेषज्ञ एक साथ मिलकर मरीज की स्थिति के अनुसार संयुक्त फैसले लेंगे।
स्क्रीनिंग यूनिट से पता चलेगा कैंसर
एम्स के इस नए ब्लॉक में स्मार्ट स्क्रीनिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है। अस्पताल में आने वाले हर मरीज को पहले एक स्क्रीनिंग यूनिट से गुजरना होगा। यहां डॉक्टर उनकी जांच करेंगे और यह तय करेंगे कि मरीज को कैंसर है या नहीं। जिन मरीजों में कैंसर की पुष्टि होगी, उन्हें गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। इससे जिन मरीजों की हालत गंभीर है, उन्हें कम वेटिंग में प्राथमिकता के आधार पर इलाज मिलेगा। वहीं, जिन मरीजों में सिर्फ कैंसर का संदेह होगा, उन्हें आवश्यक जांच के लिए अन्य संबंधित विभागों में भेजा जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
एम्स भोपाल के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 36 हजार से ज्यादा कैंसर मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से करीब 60% मरीज भोपाल के बाहर के हैं। सबसे ज्यादा केस आगर मालवा (3664), रायसेन (1776), विदिशा (1536), नर्मदापुरम (1216), सागर (1072), रीवा (944) जैसे जिले टॉप पर हैं। इसका एक बड़ा कारण भोपाल से भौगोलिक नजदीकी है। यह भी सवाल उठता है कि इन जिलों के सिविल अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में कैंसर इलाज की व्यवस्था मजबूत क्यों नहीं है?
2026 में शुरु होगा ब्लॉक
मध्यप्रदेश में कैंसर मरीजों के लिए एम्स भोपाल में प्रदेश का पहला सेंट्रलाइज्ड कैंसर ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। यह ब्लॉक 2026 तक शुरू हो जाएगा। इस मॉडर्न ब्लॉक में कैंसर के मरीजों को गामा नाइफ और पीईटी-सीटी स्कैन जैसी एडवांस सुविधाएं एक ही जगह पर मिलेंगी।
फिलहाल 6 महीने तक की वेटिंग
अभी सिटी स्कैन और एमआरआई जैसी जांच के लिए 6 माह से एक साल तक की वेटिंग है। इन परेशानियों से मरीजों को बचाने के लिए यह सेंट्रलाइज्ड ब्लॉक तैयार किया जा रहा है। भोपाल एम्स में हर साल 36000 से ज्यादा कैंसर मरीज पहुंचते हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज अन्य जिलों से आते हैं।
एक ही जगह मिलेंगी सभी सुविधाएं
नए कैंसर ब्लॉक में मरीजों को जांच से लेकर ट्रीटमेंट तक की सभी सेवाएं एक ही स्थान पर मिलेंगी। इसमें कीमोथेरेपी, सर्जरी, टारगेट थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, मेंटल हेल्थ काउंसलिंग और स्टेम सेल ट्रीटमेंट की व्यवस्था होगी। एम्स प्रशासन का कहना है कि फिलहाल कैंसर मरीजों को अलग-अलग विभागों में भटकना पड़ता है। जांच एक जगह, सर्जरी दूसरी जगह और रेडिएशन तीसरी जगह होती है। लेकिन इस ब्लॉक के शुरू होने के बाद सभी विशेषज्ञ एक साथ मिलकर मरीज की स्थिति के अनुसार संयुक्त फैसले लेंगे।
स्क्रीनिंग यूनिट से पता चलेगा कैंसर
एम्स के इस नए ब्लॉक में स्मार्ट स्क्रीनिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है। अस्पताल में आने वाले हर मरीज को पहले एक स्क्रीनिंग यूनिट से गुजरना होगा। यहां डॉक्टर उनकी जांच करेंगे और यह तय करेंगे कि मरीज को कैंसर है या नहीं। जिन मरीजों में कैंसर की पुष्टि होगी, उन्हें गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। इससे जिन मरीजों की हालत गंभीर है, उन्हें कम वेटिंग में प्राथमिकता के आधार पर इलाज मिलेगा। वहीं, जिन मरीजों में सिर्फ कैंसर का संदेह होगा, उन्हें आवश्यक जांच के लिए अन्य संबंधित विभागों में भेजा जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
एम्स भोपाल के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 36 हजार से ज्यादा कैंसर मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें से करीब 60% मरीज भोपाल के बाहर के हैं। सबसे ज्यादा केस आगर मालवा (3664), रायसेन (1776), विदिशा (1536), नर्मदापुरम (1216), सागर (1072), रीवा (944) जैसे जिले टॉप पर हैं। इसका एक बड़ा कारण भोपाल से भौगोलिक नजदीकी है। यह भी सवाल उठता है कि इन जिलों के सिविल अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में कैंसर इलाज की व्यवस्था मजबूत क्यों नहीं है?
You may also like

क्या इस G 20 समिट में अलग-थलग हो जाएगा 'त्रोइका' का एक पहिया? ट्रंप ने क्यों की बहिष्कार की घोषणा

राहुल गांधी ने X पर क्यों लिखा...दिल टूट सा गया है! MP आने से पहले उनकी एक पोस्ट से क्यों मचा हड़कंप, पढ़िए खबर

कुंडलिनी जागरण और ध्यान साधना से लें जीवन का आनंद

कांग्रेस की पोस्टर प्रदर्शनी: कांग्रेेस के दस साल और भाजपा के 15 साल के राज पर फोकस

जनकल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे कोई पात्र- जिलाधिकारी




