नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जनवरी में बड़ी घोषणा की थी। इसने केंद्रीय कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ा दी थी। वैष्णव ने ऐलान किया था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। इस आयोग से लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। हालांकि, इस घोषणा के नौ महीने बाद भी आयोग की आधिकारिक अधिसूचना, टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) और सदस्यों की नियुक्ति पर कोई नया अपडेट नहीं आया है। कर्मचारी अभी भी इसके लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। पिछले आयोगों के समय को देखते हुए 8वें वेतन आयोग को पूरी तरह से लागू होने में 2028 तक का समय लग सकता है। आयोग के गठन के बाद रिपोर्ट तैयार होने और सरकार की ओर से मंजूरी मिलने में आमतौर पर दो से तीन साल लगते हैं।
कर्मचारी अभी भी 8वें वेतन आयोग के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जनवरी में घोषणा के बाद से नौ महीने बीत चुके हैं। लेकिन, अभी तक आयोग की आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। टीओआर भी तय नहीं हुए हैं। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं हुई है। इस देरी के कारण आयोग के पूरी तरह से लागू होने में और समय लग सकता है। पिछले वेतन आयोगों के अनुभव बताते हैं कि उनके गठन के बाद उन्हें लागू होने में लगभग दो से तीन साल का समय लगता है। साल 2025 खत्म होने में अब तीन महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में पिछले आयोगों के समय को ध्यान में रखते हुए 8वें वेतन आयोग के 2028 तक लागू होने की उम्मीद है।
क्यों होता है वेतन आयोग का गठन?
वेतन आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा और उसमें बदलाव की सिफारिश करने के लिए होता है। यह आयोग कई बातों पर विचार करता है। इनमें महंगाई, देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति और आय में असमानता जैसे फैक्टर शामिल हैं। इसके अलावा यह आयोग कर्मचारियों को मिलने वाले बोनस, भत्ते और अन्य लाभों की भी समीक्षा करता है। आयोग के गठन के बाद रिपोर्ट तैयार करने और उसे सरकार को सौंपने में लगभग दो साल का समय लगता है। रिपोर्ट जमा होने के बाद सरकार को उस पर विचार करने और उसे मंजूरी देने में भी समय लगता है। यही वजह है कि 8वें वेतन आयोग को लागू होने में भी इतना समय लगने की संभावना है।
8वें वेतन आयोग से बड़ी संख्या में लोगों को फायदा मिलेगा। लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, जिनमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं, इस आयोग से लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, लगभग 65 लाख केंद्रीय सरकारी पेंशनभोगी, जिनमें रक्षा सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं, वेतन संशोधन के बाद लाभ उठाएंगे। यह आयोग उनके वेतन और अन्य लाभों में सुधार करेगा। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
कैसा रहा है पहले का रिकॉर्ड?
आइए, यहां पिछले वेतन आयोगों के समय पर भी एक नजर डालते हैं। 5वें वेतन आयोग को अप्रैल 1994 में नियुक्त किया गया था। इसकी रिपोर्ट जनवरी 1997 तक सरकार को सौंप दी गई थी। इस आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 1996 से लागू हुईं। इस आयोग ने वेतनमानों को सरल बनाया और महंगाई राहत की पेशकश की।
इसके बाद छठे वेतन आयोग का गठन अक्टूबर 2006 में हुआ था। इसने अपनी रिपोर्ट मार्च 2008 में सरकार को सौंपी। सरकार ने अगस्त 2008 में इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू हुईं। इस आयोग के तहत न्यूनतम मासिक वेतन 7,000 रुपये तय किया गया था। यह पिछले आयोग से 4,450 रुपये की बढ़ोतरी थी। इस वेतन आयोग ने सरकारी वेतन में बड़ा बदलाव किया। इसने पे बैंड और ग्रेड पे की व्यवस्था लागू की, जिससे वेतन में काफी बढ़ोतरी हुई।
7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ था। इसके टीओआर मार्च 2014 तक तय कर लिए गए थे। आयोग ने अपनी रिपोर्ट नवंबर 2015 में सरकार को सौंपी। सरकार ने जून 2016 में इस रिपोर्ट को मंजूरी दी। इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 से प्रभावी हुईं। इन सभी उदाहरणों से पता चलता है कि वेतन आयोग की प्रक्रिया में काफी समय लगता है।
कर्मचारी अभी भी 8वें वेतन आयोग के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जनवरी में घोषणा के बाद से नौ महीने बीत चुके हैं। लेकिन, अभी तक आयोग की आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। टीओआर भी तय नहीं हुए हैं। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं हुई है। इस देरी के कारण आयोग के पूरी तरह से लागू होने में और समय लग सकता है। पिछले वेतन आयोगों के अनुभव बताते हैं कि उनके गठन के बाद उन्हें लागू होने में लगभग दो से तीन साल का समय लगता है। साल 2025 खत्म होने में अब तीन महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में पिछले आयोगों के समय को ध्यान में रखते हुए 8वें वेतन आयोग के 2028 तक लागू होने की उम्मीद है।
क्यों होता है वेतन आयोग का गठन?
वेतन आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा और उसमें बदलाव की सिफारिश करने के लिए होता है। यह आयोग कई बातों पर विचार करता है। इनमें महंगाई, देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति और आय में असमानता जैसे फैक्टर शामिल हैं। इसके अलावा यह आयोग कर्मचारियों को मिलने वाले बोनस, भत्ते और अन्य लाभों की भी समीक्षा करता है। आयोग के गठन के बाद रिपोर्ट तैयार करने और उसे सरकार को सौंपने में लगभग दो साल का समय लगता है। रिपोर्ट जमा होने के बाद सरकार को उस पर विचार करने और उसे मंजूरी देने में भी समय लगता है। यही वजह है कि 8वें वेतन आयोग को लागू होने में भी इतना समय लगने की संभावना है।
8वें वेतन आयोग से बड़ी संख्या में लोगों को फायदा मिलेगा। लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी, जिनमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं, इस आयोग से लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, लगभग 65 लाख केंद्रीय सरकारी पेंशनभोगी, जिनमें रक्षा सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं, वेतन संशोधन के बाद लाभ उठाएंगे। यह आयोग उनके वेतन और अन्य लाभों में सुधार करेगा। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
कैसा रहा है पहले का रिकॉर्ड?
आइए, यहां पिछले वेतन आयोगों के समय पर भी एक नजर डालते हैं। 5वें वेतन आयोग को अप्रैल 1994 में नियुक्त किया गया था। इसकी रिपोर्ट जनवरी 1997 तक सरकार को सौंप दी गई थी। इस आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 1996 से लागू हुईं। इस आयोग ने वेतनमानों को सरल बनाया और महंगाई राहत की पेशकश की।
इसके बाद छठे वेतन आयोग का गठन अक्टूबर 2006 में हुआ था। इसने अपनी रिपोर्ट मार्च 2008 में सरकार को सौंपी। सरकार ने अगस्त 2008 में इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू हुईं। इस आयोग के तहत न्यूनतम मासिक वेतन 7,000 रुपये तय किया गया था। यह पिछले आयोग से 4,450 रुपये की बढ़ोतरी थी। इस वेतन आयोग ने सरकारी वेतन में बड़ा बदलाव किया। इसने पे बैंड और ग्रेड पे की व्यवस्था लागू की, जिससे वेतन में काफी बढ़ोतरी हुई।
7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ था। इसके टीओआर मार्च 2014 तक तय कर लिए गए थे। आयोग ने अपनी रिपोर्ट नवंबर 2015 में सरकार को सौंपी। सरकार ने जून 2016 में इस रिपोर्ट को मंजूरी दी। इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 से प्रभावी हुईं। इन सभी उदाहरणों से पता चलता है कि वेतन आयोग की प्रक्रिया में काफी समय लगता है।
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