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ब्रिटेन में इमिग्रेशन सुधार, नए नियमों से कैसा होगा भारतीय छात्रों पर असर? जानें फायदे-नुकसान

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UK Immigration White Paper: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने मई में 'इमिग्रेशन सिस्टम पर नियंत्रण बहाल करना' नामक एक व्हाइट पेपर जारी किया। इसमें ब्रिटेन में कानूनी तौर पर आने वाले रास्तों में सुधार के मकसद से कई प्रस्तावित बदलावों को जगह दी गई है। व्हाइट पेपर में बताए गए बदलावों की वजह से विदेशी छात्रों, रिसर्चर्स और हाल में ग्रेजुएट छात्रों के ब्रिटेन में एंट्री और रहने के तरीके को बदला जा सकता है। व्हाइट पेपर में बताए गए बदलावों का मकसद प्रवासन को कम करना और स्टडी एवं पोस्ट-स्टडी वीजा नियमों को कड़ा करना है।





क्या विदेशी छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा पाना मुश्किल होगा?

इसका जवाब हां है। सरकार यूनिवर्सिटीज और अकेडमिक स्पांसर्स के लिए शर्तें बढ़ा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशी छात्रों का एडमिशन ब्रिटेन के हितों की पूर्ति करे। यूनिवर्सिटीज को अब सख्त नियमों का पालन करना पड़ेगा, जिसमें बेसिक कंप्लायंस असेसमेंट पर उच्च पास थ्रेशोल्ड, एजेंट क्वालिटी फ्रेमवर्क में अनिवार्य भागीदारी और स्पांसर प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए एक नई लाल/एम्बर/हरी प्रणाली का उपयोग करके सार्वजनिक रेटिंग शामिल हैं।



क्या ग्रेजुएट रूट छोटा हुआ है?

ब्रिटेन में पहले ग्रेजुएट रूट के तहत ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को 2 साल का पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा मिलता था। अब इसे घटाकर 18 महीने तक कर दिया गया है। इस समय अवधि में छात्र ब्रिटेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद रुककर नौकरी ढूंढ सकता है या उसे कर सकता है। 2021 में ग्रेजुएट रूट की शुरुआत हुई थी। विदेशी छात्रों के बीच ये काफी पॉपुलर भी था। विदेशी छात्रों को एडमिशन देने वाली यूनिवर्सिटीज पर टैक्स लगाने की भी तैयारी की जा रही है।



क्या विदेशी छात्र आश्रितों (डिपेंडेंट) को ला सकते हैं?

विदेशी छात्रों को अपने साथ अपने परिवार के सदस्यों, खासतौर पर पति/पत्नी और बच्चों को लाने की इजाजत होती है। हालांकि, अब बहुत से मामलों में इन डिपेंडेंट को लाने की इजाजत नहीं है। व्हाइट पेपर में अभी इस पर प्रतिबंध की मांग है और ऐसे प्रतिबंध बढ़ने के संकेत हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिपेंडेंट वीजा की संख्या 2019 में सिर्फ 16,000 से बढ़कर 2023 में 1,43,000 हो गई। जबकि 2017-19 से केवल 5 प्रतिशत स्टडी वीजा डिपेंडेंट को जारी किए गए थे, 2021-23 से यह अनुपात बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया।



विदेशी छात्रों और डिपेंडेंट के लिए अंग्रेजी की जरूरत बढ़ेगी?

इसका जवाब हां है, क्योंकि अब सभी वीजा आवेदकों को अंग्रेजी भाषा का उच्च ज्ञान होना चाहिए। ज्यादातर स्टडी और वर्क वीजा के लिए B-1 लेवल की अंग्रेजी से काम चल जाता है। व्हाइट पेपर में B-2 लेवल की अंग्रेजी आना जरूरी बताया गया है, खासतौर पर वर्क वीजा के लिए। व्हाइट पेपर में लिखा है, "अंग्रेजी भाषा की आवश्यकताएं मुख्य वीजा धारकों के लिए B-2 तक बढ़ जाएंगी।"

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