US News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद से ही एक के बाद एक ऐसे फैसले लिए हैं, जिनकी वजह से अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी के लिए जाना मुश्किल बन चुका है। जो लोग यहां जॉब कर रहे हैं, उनके लिए भी हालात चुनौतीपूर्ण ही बने हुए हैं। ट्रंप सरकार ने पिछले दो महीने में इमिग्रेशन को लेकर तीन ऐसे फैसले लिए हैं, जिनकी वजह से भारतीय स्टूडेंट्स-वर्कर्स प्रभावित हुए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि ग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए भी मुश्किलें बढ़ चुकी हैं।
अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने वाले लोगों में भारतीय भी शामिल हैं, जिन्हें कई सालों तक जॉब करने के बाद परमानेंट रेजिडेंसी मिल पाती है। इसी तरह से वर्क वीजा पाने में भी भारतीय सबसे आगे रहते हैं। H-1B वीजा होल्डर्स पाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की ही है। इसी तरह से स्टूडेंट वीजा पाने में भी भारतीय छात्र आगे हैं। अमेरिका में तीन लाख से ज्यादा भारतीय पढ़ाई भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि ट्रंप सरकार ने पिछले दो महीने में भारतीयों को प्रभावित करने वाले तीन कौन से फैसले लिए हैं।
(1.) ऑटोमैटिक EAD रिन्यूअल खत्म
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ( DHS) ने कुछ एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट यानी EAD के लिए ऑटोमैटिक रिन्यूअल खत्म कर दिया है। नए नियम 30 अक्टूबर से लागू हो चुके हैं। पहले विदेशी वर्कर्स EAD रिन्यूअल के लिए अप्लाई कर देते थे और जब तब उनका आवेदन प्रोसेस होता रहता था, तब तक वे काम करते रहते थे। H-1B वीजा होल्डर के जीवनसाथी और ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर काम कर रहे विदेशी स्टूडेंट्स को जॉब करने के लिए EAD मिलता है। ऑटोमैटिक रिन्यूअल खत्म होने की वजह से अब विदेशी वर्कर्स को तब तक जॉब की इजाजत नहीं होगी, जब तक उनका आवेदन प्रोसेस नहीं हो जाता है।
(2.) H-1B वीजा फीस बढ़ी
राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर को H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया। ये फीस उन सभी नई H-1B याचिकाओं पर दायर होगी, जो अमेरिका से बाहर से की जाएंगी। अब अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना महंगा हो गया है। इसकी वजह से भारतीयों के लिए अमेरिका में जॉब पाना मुश्किल हो गया है। इसकी वजह ये है कि अब अगर कोई अमेरिकी कंपनी भारत से किसी वर्कर को हायर करेगी, तो उसे 88 लाख की नई फीस देनी होगी। इस वजह से वे अब स्थानीय स्तर पर वर्कर्स को हायर करेंगे।
(3.) नागरिकता पाना हुआ मुश्किल
USCIS ने 20 अक्टूबर से नागरिकता के लिए होने वाले टेस्ट में नए सिविक टेस्ट को पेश किया है। ये उन लोगों पर लागू होगा, जो ग्रीन कार्ड होल्डर्स हैं और अब वे नागरिकता हासिल करना चाहते हैं। अब आवेदकों को नागरिकता के टेस्ट में पास होने के लिए 128 सवालों में से 20 सवाल के उत्तर देने होंगे और कम से कम 12 सवालों के सही उत्तर देने होंगे। टेस्ट में पास होने के लिए दो प्रयास मिलेंगे और अगर कोई दोनों बार टेस्ट में फेल हो जाता है, तो फिर उसे नागरिकता नहीं मिलेगी। इसके अलावा, ग्रीन कार्ड होल्डर्स सहित सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों के लिए अब देश में प्रवेश करते या बाहर जाते समय अपनी तस्वीर खिंचवानी होगी।
अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने वाले लोगों में भारतीय भी शामिल हैं, जिन्हें कई सालों तक जॉब करने के बाद परमानेंट रेजिडेंसी मिल पाती है। इसी तरह से वर्क वीजा पाने में भी भारतीय सबसे आगे रहते हैं। H-1B वीजा होल्डर्स पाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की ही है। इसी तरह से स्टूडेंट वीजा पाने में भी भारतीय छात्र आगे हैं। अमेरिका में तीन लाख से ज्यादा भारतीय पढ़ाई भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि ट्रंप सरकार ने पिछले दो महीने में भारतीयों को प्रभावित करने वाले तीन कौन से फैसले लिए हैं।
(1.) ऑटोमैटिक EAD रिन्यूअल खत्म
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ( DHS) ने कुछ एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्यूमेंट यानी EAD के लिए ऑटोमैटिक रिन्यूअल खत्म कर दिया है। नए नियम 30 अक्टूबर से लागू हो चुके हैं। पहले विदेशी वर्कर्स EAD रिन्यूअल के लिए अप्लाई कर देते थे और जब तब उनका आवेदन प्रोसेस होता रहता था, तब तक वे काम करते रहते थे। H-1B वीजा होल्डर के जीवनसाथी और ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर काम कर रहे विदेशी स्टूडेंट्स को जॉब करने के लिए EAD मिलता है। ऑटोमैटिक रिन्यूअल खत्म होने की वजह से अब विदेशी वर्कर्स को तब तक जॉब की इजाजत नहीं होगी, जब तक उनका आवेदन प्रोसेस नहीं हो जाता है।
(2.) H-1B वीजा फीस बढ़ी
राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर को H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया। ये फीस उन सभी नई H-1B याचिकाओं पर दायर होगी, जो अमेरिका से बाहर से की जाएंगी। अब अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना महंगा हो गया है। इसकी वजह से भारतीयों के लिए अमेरिका में जॉब पाना मुश्किल हो गया है। इसकी वजह ये है कि अब अगर कोई अमेरिकी कंपनी भारत से किसी वर्कर को हायर करेगी, तो उसे 88 लाख की नई फीस देनी होगी। इस वजह से वे अब स्थानीय स्तर पर वर्कर्स को हायर करेंगे।
(3.) नागरिकता पाना हुआ मुश्किल
USCIS ने 20 अक्टूबर से नागरिकता के लिए होने वाले टेस्ट में नए सिविक टेस्ट को पेश किया है। ये उन लोगों पर लागू होगा, जो ग्रीन कार्ड होल्डर्स हैं और अब वे नागरिकता हासिल करना चाहते हैं। अब आवेदकों को नागरिकता के टेस्ट में पास होने के लिए 128 सवालों में से 20 सवाल के उत्तर देने होंगे और कम से कम 12 सवालों के सही उत्तर देने होंगे। टेस्ट में पास होने के लिए दो प्रयास मिलेंगे और अगर कोई दोनों बार टेस्ट में फेल हो जाता है, तो फिर उसे नागरिकता नहीं मिलेगी। इसके अलावा, ग्रीन कार्ड होल्डर्स सहित सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों के लिए अब देश में प्रवेश करते या बाहर जाते समय अपनी तस्वीर खिंचवानी होगी।
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