बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी बीच, एनडीए गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री और हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बुधवार (8 अक्टूबर 2025) को एक ऐसा बयान दिया जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।#WATCH | दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, "सीटों को लेकर हमारे यहां कोई झगड़ा नहीं है। हम मान्यता प्राप्त सीटें मांग रहे हैं, यानी बिहार विधानसभा में हमारी पार्टी को मान्यता प्राप्त हो जाए, इसके लिए पर्याप्त सीटें चाहिए। यह अपेक्षा इसलिए है क्योंकि हम कोई… pic.twitter.com/ZgAjbnCIY2
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 8, 2025
मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी सीटों को लेकर कोई झगड़ा नहीं कर रही है, बल्कि उनका मकसद सिर्फ इतना है कि हम पार्टी को विधानसभा में मान्यता मिले। उन्होंने कहा, “हम न तो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, न उपमुख्यमंत्री। हमारी बस यही मांग है कि हमारी पार्टी को मान्यता प्राप्त हो सके।”
“अगर मान्यता नहीं मिली तो एक भी सीट पर नहीं लड़ेंगे”
मीडिया से बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि अगर उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई तो क्या वे चुनाव लड़ेंगे, तो मांझी ने बड़ा बयान देते हुए कहा, “अगर हमारी पार्टी को मान्यता के लायक सीटें नहीं मिलतीं, तो हम एक सीट पर भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे।” उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वे सीटों के मुद्दे पर दबाव की राजनीति नहीं, बल्कि सिद्धांत आधारित रुख अपनाए हुए हैं।
सीट शेयरिंग पर अभी भी जारी है मंथन
बिहार एनडीए में फिलहाल सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों ही अपने हिस्से को लेकर संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, मांझी को अब तक के फार्मूले में 7 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है, जबकि वे 15 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं। बीजेपी और जेडीयू जैसी बड़ी पार्टियां इतनी सीटें देने के मूड में नहीं हैं, जिसके कारण सीट शेयरिंग की घोषणा अब तक अटकी हुई है।
एनडीए से अलग होने की संभावना नहीं
मांझी के बयान से यह तो साफ हो गया है कि वे गठबंधन से बाहर जाने के मूड में नहीं हैं। उनका कहना है कि वे जो भी निर्णय होगा, उसे गठबंधन की भावना के साथ स्वीकार करेंगे। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एनडीए में कई छोटे दल अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मोलभाव कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मांझी इस बयान के जरिए एक संतुलित संदेश देना चाहते हैं—जहां वे अपनी पार्टी की उपस्थिति को मान्यता दिलाना चाहते हैं, वहीं गठबंधन की एकता भी बनाए रखना चाहते हैं।
सियासी हलचल और संभावनाएं
अब सबकी निगाहें एनडीए की अगली बैठक पर टिकी हैं, जहां सीट शेयरिंग का अंतिम फार्मूला तय किया जाएगा। मांझी का यह बयान राजनीतिक रूप से एक अहम संकेत है कि वे किसी भी कीमत पर एनडीए की परिधि से बाहर नहीं जाएंगे, भले ही उन्हें अपेक्षित सीटें न मिलें।
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