Lucknow, 29 अगस्त . अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Friday को उत्तर प्रदेश की राजधानी Lucknow स्थित अपने घर पहुंचे. अपने बेटे को देख माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने कहा, “हमने बेटे से आने को कहा था और उसने व्यस्तता के बावजूद समय निकाला, हमारी बात मानी और मान बढ़ाया.” वहीं, शुभचिंतकों से घिरे शुभांशु भी काफी भावुक नजर आए.
वहीं, इस खास मौके पर शुभांशु के माता-पिता ने समाचार एजेंसी से बातचीत की. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पिता शंभु दयाल शुक्ला ने कहा कि हमें बहुत अच्छा लगा कि मेरा बेटा घर पर आया. उसके आने के बाद सभी के चेहरे खिल उठे. जैसे ही आसपास के लोगों को पता लगा, सब उससे मिलने के लिए आए. उसने सभी लोगों से बात की. उसका घर आना जरूरी था. हमें बहुत खुशी है. मेरे बेटे से कई विषयों को लेकर बात हुई. एक बार उसका कार्यक्रम पूरा हो जाए, तो इसके बाद हम Bengaluru जाएंगे.
शुभांशु की माता आशा ने कहा कि हमें बहुत अच्छा लगा कि हमारा बेटा घर आया. मैं लंबे समय से इंतजार कर रही थी. ऐसी स्थिति में हमें लग रहा था कि शायद उसका आना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन, जैसे ही हमें पता लगा कि वह आया है, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. Thursday को मैंने अपने बेटे से कहा था कि कैसे भी करके समय निकालकर घर आए और उसने हमारी बात का मान रखा.
ये पूछे जाने पर कि आपने अपने बेटे के लिए खास पकवान भी बनाया था, तो इस पर उन्होंने कहा कि नहीं, ऐसा कुछ मैंने नहीं बनाया था. हमारे घर में जो भी सामान्य तौर पर बनता है, वही बनाया था. वो तो मेरा बेटा है. जैसा मेरे लिए पहले था, वैसे ही आज भी है. हमें बहुत खुशी हुई कि वो समय निकालकर हमारे बीच में आया. हम अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं.
शुभांशु शुक्ला के चचेरे भाई आशीष ने कहा कि हमें बहुत अच्छा लगा कि शुभांशु हमारे बीच में आए और अपनी मां का बना खाना खाया. उसके लिए मठरियां बनाई गई थीं, जिसे उसने बहुत ही चाव से खाया था. हमने रुकने के लिए कहा, तो उसने कहा कि उसे किसी जरूरी काम से कहीं जाना है. ऐसी स्थिति में उसके लिए अभी यहां पर रुक पाना मुश्किल है. एक भाई होने के नाते मुझे लगता है कि उसे यहां पर आना चाहिए था. वह आया, और हमें बहुत खुशी मिली है. इस दौरान हमने उससे कहा कि Lucknow में एक एयरशो की जरूरत है. अगर ऐसा करते हैं, तो निश्चित तौर पर इससे आने वाली पीढ़ियों को व्यापक स्तर पर फायदा पहुंचेगा.
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एसएचके/केआर
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