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जिन्ना की फंडिंग में इस्तेमाल हुई संपत्ति पर अली खान महमूदाबाद के परिवार का हक भाजपा ने रोका : थिंक टैंक

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नई दिल्ली, 19 मई . ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने महमूदाबाद एस्टेट की विवादित विरासत को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है. उन्होंने दावा किया है कि 2017 में भाजपा सरकार की पहल से अली खान महमूदाबाद के परिवार को उनकी विशाल पैतृक संपत्ति का वारिस बनने से रोक दिया गया.

अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, जिन्हें हाल ही में एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया गया है.

अखिलेश मिश्रा ने ‘एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट’ के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि दिवंगत नेता अरुण जेटली पहले ही यह स्पष्ट कर चुके थे कि 1968 के इस कानून ने महमूदाबाद के राजा को भारत में उनकी सभी संपत्तियों से वंचित कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गलती से यह निर्णय दिया कि राजा का बेटा (जो भारत में रहता था) संपत्ति का वारिस बन सकता है, जबकि राजा स्वयं पाकिस्तान के नागरिक बन चुके थे.

मिश्रा के अनुसार, तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने की कोशिश में एक अध्यादेश लाया था, लेकिन “यूपीए की वोट बैंक राजनीति” के चलते वह अध्यादेश गिर गया. बाद में 2017 में भाजपा सरकार ने कानून बनाकर इस मामले का स्थायी समाधान किया और महमूदाबाद परिवार को संपत्ति मिलने से रोक दिया.

मिश्रा ने कहा, “भाजपा सरकार की इस कार्रवाई के चलते महमूदाबाद परिवार उस विशाल संपत्ति का वारिस नहीं बन सका, जिसे राजा महमूदाबाद ने जिन्ना और पाकिस्तान के विचार को समर्थन देने के लिए इस्तेमाल किया था.”

यह टिप्पणी उस समय आई है जब अली खान महमूदाबाद को हाल ही में गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी एक पोस्ट को लेकर देशद्रोह, संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है.

अखिलेश मिश्रा ने अली खान पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें “पाकिस्तान की भाषा बोलने वाला” बताया.

मिश्रा ने अली खान की फेसबुक पोस्ट पर कहा कि उसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर के तर्कों को भारत के संदर्भ में दोहराया गया. उन्होंने कहा, “उनकी भाषा, पाकिस्तान की सैन्य सोच को सीधे तौर पर प्रतिबिंबित करती है.”

डीएससी/जीकेटी

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