New Delhi, 26 अक्टूबर . दत्ताजी राव गायकवाड़ का नाम India के उन क्रिकेटरों के रूप में लिया जाता है जिन्होंने अपने बेहतरीन खेल से देश में क्रिकेट की मजबूत नींव रखी. दत्ताजी राव बड़ौदा क्रिकेट के प्रतीक थे.
दत्ताजी राव गायकवाड़ का जन्म 27 अक्टूबर 1928 को बड़ौदा, Gujarat में हुआ था. घरेलू क्रिकेट बड़ौदा के लिए खेलने वाले दत्ताजी राव ने 1952 में भारतीय टीम के लिए वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था. भारतीय टीम के लिए राव ने 11 टेस्ट खेले और एक अर्धशतक की मदद से 350 रन बनाए. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 52 रन था. बल्लेबाजी के साथ-साथ वे मध्यम गति के गेंदबाज भी थे. India के लिए उन्होंने 6 विकेट लिए. दत्ताजी राव ने 1959 के इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में से चार में India की कप्तानी भी की थी. इस दौरे में टीम को पांचों मैच में शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
घरेलू क्रिकेट में दत्ताजी राव के आंकड़े बेहद शानदार हैं. रणजी ट्रॉफी में बड़ौदा के लिए खेलते हुए दत्ताजी ने कई मौकों पर अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से मैच का रुख पलटा. उनकी मौजूदगी में बड़ौदा ने 1957-58 में रणजी ट्रॉफी का पहला खिताब जीता था. फाइनल में दत्ताजी राव ने सेना के विरुद्ध शतकीय पारी खेल टीम को चैंपियन बनाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी.
क्रिकेट करियर के अलावा, दत्ताजी राव ने क्रिकेट प्रशासन में भी योगदान दिया. उन्होंने बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर खेल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके प्रयासों से बड़ौदा में क्रिकेट की नींव और मजबूत हुई. बड़ौदा क्रिकेट में उनका योगदान आज भी याद किया जाता है. 13 फरवरी 1924 को उनका निधन हो गया.
दत्ताजी राव गायकवाड़ के पुत्र अंशुमान गायकवाड़ ने उनकी क्रिकेट विरासत को आगे बढ़ाया. अंशुमान ने India के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे खेले.
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पीएके
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