New Delhi, 11 सितंबर . जब भी हम दिल की बात करते हैं, जेहन में सबसे पहले वही अंग आता है जो हमारे सीने में धड़कता है. वो जो दिन हो या रात अथक अपना काम करता है. खून पंप करते हुए जीवन को गति देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर में एक और ‘दिल’ है, जो हमारी सेहत के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है? और यह दिल हमारे पैरों में होता है—हमारी पिंडलियों की मांसपेशियां, जिन्हें अंग्रेजी में काल्फ मसल्स कहा जाता है.
इन्हीं काल्फ मसल्स को चिकित्सा विज्ञान में अक्सर ‘दूसरा दिल’ कहा जाता है. लेकिन क्यों?
दरअसल, हमारा हृदय तो पूरे शरीर में खून पहुंचाने का काम करता है, लेकिन शरीर के निचले हिस्सों, खासकर पैरों में, जब खून नीचे पहुंचता है, तो उसे वापस ऊपर—दिल की ओर लौटने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. यह काम आसान नहीं होता, क्योंकि ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण हमेशा खून को नीचे की ओर खींचता है.
यहीं पर पिंडलियों की भूमिका शुरू होती है. जब हम चलते हैं, दौड़ते हैं, या सिर्फ पैरों को हल्का-सा भी हिलाते हैं, तो पिंडलियों की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं. यह सिकुड़न नसों पर दबाव बनाती है और एक तरह से खून को ऊपर की ओर ‘पंप’ करती है—ठीक उसी तरह जैसे दिल धड़क कर खून को पंप करता है. इस प्रक्रिया को ही ‘मसल पंप मैकेनिज्म’ (सीएमपी) कहा जाता है, और यही वजह है कि इन मांसपेशियों को “दूसरा दिल” कहा गया है.
मेयो क्लीनिक के एक बड़ी आबादी‑आधारित अध्ययन (जून 2024 में प्रकाशित) में पाया कि जिन लोगों में सीएमपी की कार्यक्षमता कम थी, उनकी मृत्यु दर अधिक थी. अध्ययन में देखा गया कि सीएमपी की कमी कई बीमारियों की जड़ बनी. 2020 में दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सा लाइब्रेरी ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में छपे शोध पत्र के मुताबिक अगर सीएमपी ठीक से काम नहीं करता तो कई बीमारियों की गिरफ्त में आप आ सकते हैं और हृदयाघात भी हो सकता है.
इस दूसरे दिल का ठीक से काम करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. यदि यह ठीक से काम न करे, तो पैरों में खून जमने लगता है, जिससे सूजन, भारीपन, दर्द और वैरिकोज नसों की समस्या हो सकती है. लंबे समय तक बैठे रहने या खड़े रहने की स्थिति में जब हम पैरों को नहीं हिलाते, तो यही समस्याएं और बढ़ जाती हैं. इसके अलावा, रक्त संचार में बाधा आने पर खून के थक्के बनने का खतरा भी बढ़ जाता है, जो फेफड़ों या दिल तक पहुंच कर जानलेवा साबित हो सकते हैं.
अगली बार जब आप चलें, रेस लगाएं या सीढ़ियां चढ़ें तो एक बार रुककर पैरों पर नजर जरूर दौड़ाएं और ठहरकर उनका आभार जताएं क्योंकि वे सिर्फ आपको आगे ही नहीं बढ़ाते, बल्कि दिल का बोझ भी बांटते हैं!
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केआर/
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