New Delhi, 8 नवंबर . Enforcement Directorate (ईडी) ने पीएफआई पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 67.03 करोड़ रुपए मूल्य की आठ अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. ये संपत्तियां विभिन्न ट्रस्टों और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के Political मोर्चे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नाम पर दर्ज थीं.
ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत यह कार्रवाई की है. जांच एजेंसी ने एनआईए की ओर से दर्ज First Information Report और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पीएफआई और उसके सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों के आधार पर जांच शुरू की थी. जांच में पता चला कि पीएफआई के पदाधिकारी, सदस्य और कार्यकर्ता India में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और उनके वित्तपोषण के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला और दान के माध्यम से India और विदेशों से धन जुटा रहे थे.
ईडी की जांच में सामने आया कि एसडीपीआई, पीएफआई का Political मोर्चा है और उसकी गतिविधियों का पूरा नियंत्रण पीएफआई के पास था. एसडीपीआई की नीतियां, दैनिक कार्य, चुनावी रणनीतियां और सार्वजनिक कार्यक्रमों का प्रबंधन पीएफआई के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा किया जाता था. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि पीएफआई ने एसडीपीआई के लिए किए गए खर्चों को गुप्त डेयरियों में दर्ज किया और इन्हें आधिकारिक खातों में नहीं दिखाया.
एजेंसी ने खुलासा किया कि पीएफआई और एसडीपीआई ने सामाजिक और राहत कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर फंड जुटाया, जिसे India में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया गया. ईडी ने बताया कि इन गतिविधियों का उद्देश्य India को एक इस्लामी राष्ट्र बनाना था, जिससे देश की एकता, अखंडता और धर्मनिरपेक्षता को गंभीर खतरा पैदा हुआ.
अब तक ईडी ने 28 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है, जिनमें एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी, महासचिव, अन्य पदाधिकारी और पीएफआई की राष्ट्रीय एवं राज्य कार्यकारी परिषद (एनईसी और एसईसी) के सदस्य शामिल हैं. इन गिरफ्तार व्यक्तियों में वे शारीरिक शिक्षा (पीई) प्रशिक्षक भी हैं जो पीएफआई के सदस्यों को हथियार प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास सिखाने में शामिल थे.
जांच में यह भी पता चला कि पीएफआई के कई विचारक और संस्थापक सदस्य पूर्व स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े थे. सिमी, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा थी, जिसे बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसी अवधि में पीएफआई के वरिष्ठ सदस्यों ने राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) के बैनर तले विभिन्न ट्रस्टों की स्थापना की और उन्हीं के माध्यम से संपत्तियों को पंजीकृत किया.
ईडी द्वारा जब्त किए गए अभिलेखों में पीएफआई के कई वित्तीय और संपत्ति रिकॉर्ड मिले हैं, जिनमें ट्रस्टों के नाम, संपत्ति के सर्वेक्षण नंबर, बिक्री विलेखों के मूल्य और बाजार दरों तक का विस्तृत ब्यौरा दर्ज था. यह दस्तावेजीकरण यह दर्शाता है कि पीएफआई ने संगठित और सुनियोजित तरीके से अपनी संपत्तियों का प्रबंधन किया.
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पीएफआई ने अपनी संपत्तियों पर ‘शारीरिक शिक्षा (पीई)’ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए, जिनमें विभिन्न हथियारों के उपयोग और आक्रामक-रक्षात्मक युद्धाभ्यास सिखाए जाते थे. इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य संगठन के जिहादी एजेंडे को आगे बढ़ाना और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों में करना था.
ईडी ने जिन 8 संपत्तियों को कुर्क किया है, उनमें ग्रीन वैली फाउंडेशन, अलप्पुझा सामाजिक सांस्कृतिक एवं शिक्षा ट्रस्ट, पंडालम शैक्षिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट, पथानामथिट्टा, इस्लामिक सेंटर ट्रस्ट, और वायनाड के नाम शामिल हैं.
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एएसएच/डीकेपी
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