New Delhi, 30 अक्टूबर . लोकप्रिय खेल ‘टेनिस’ शारीरिक फुर्ती, मानसिक एकाग्रता और रणनीति का मेल है. ‘विंबलडन’ और ‘यूएस ओपन’ जैसी ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं के साथ इस खेल ने ‘कॉमनवेल्थ’ और ‘ओलंपिक’ गेम्स में भी अपनी छाप छोड़ी है.
11वीं शताब्दी में इस खेल को पहचान मिली थी. उस दौर में टेनिस जैसे इस खेल को फ्रांस में ‘जेयू डे पॉम’ के नाम से जाना गया. मठ के प्रांगण में इस खेल को दीवारों और ढलान वाली छतों में खेला जाता था. उस दौर में गेंद को हिट करने के लिए रैकेट के बजाय हथेली का उपयोग होता था. करीब 14-16 शताब्दी के बीच इसमें पहले दस्तानों और फिर रैकेट का इस्तेमाल होने लगा.
टेनिस के आधुनिक संस्करण की शुरुआत साल 1873 में हुई, जिसका श्रेय मेजर वाल्टर क्लॉप्टन विंगफील्ड को जाता है. उस समय इसे ‘स्पैरिस्टिके’ नाम से पेटेंट कराया गया था. इसे ही आधुनिक ‘लॉन टेनिस’ का शुरुआती संस्करण माना जाता है.
वाल्टर क्लॉप्टन अब इस खेल को सुलभ बना चुके थे. अब इसे बगीचों और खुले मैदानों में खेला जा सकता था. यही वजह रही कि यह तेजी से लोकप्रिय होने लगा. हालांकि, उस वक्त एक घंटे के इस खेल में नेट ऊंचा होता था. साल 1877 में इस खेल में कुछ बदलाव करते हुए ‘विंबलडन चैंपियनशिप’ के लिए कोर्ट को आयताकार बनाया गया.
यूं तो, टेनिस को 1896 एथेंस ओलंपिक में शामिल किया गया था, लेकिन विवाद के बाद इसे 1924 के बाद हटा लिया गया.
साल 1968 में अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ ने ‘ओपन एरा’ की शुरुआत की, जिसमें शौकिया और पेशेवर खिलाड़ियों को एक साथ खेलने की अनुमति मिली.
साल 1968 और 1984 में यह प्रदर्शन खेल के तौर पर फिर से ओलंपिक में लौटा और आखिरकार 1988 सोल ओलंपिक में मेडल इवेंट के तौर पर इस खेल की ओलंपिक में आधिकारिक वापसी हो गई. साल 2012 में पहली बार ओलंपिक में इस खेल में मिश्रित युगल इवेंट को जोड़ा गया.
टेनिस के खेल में सिंगल्स और डबल्स के लिए आयताकार कोर्ट बना होता है, जिसमें खिलाड़ी स्ट्रिंग वाले रैकेट की मदद से गेंद को हिट करके उसे नेट के ऊपर से दूसरी तरफ पहुंचाते हैं. गेंद एक तरफ सिर्फ एक ही बार उछल सकती है. उछाल के बाद उसे रैकेट से हिट करना अनिवार्य है.
एक गेम को जीतने के लिए चार अंक (15, 30, 40) की जरूरत होती है. अगर आप 40-30, 40-15 या 40-लव से आगे हैं और एक अंक और जीतते हैं, तो आप गेम जीतते हैं.
‘ड्यूस’ की स्थिति में लगातार दो अंक जीतने पर ही गेम अपने नाम किया जा सकता है. एक सेट अपने नाम करने के लिए 6 गेम जीतना और विपक्षी से 2 गेम आगे होना जरूरी है. मैच में आमतौर पर 3 या 5 सेट होते हैं.
रोजर फेडरर, राफेल नडाल, सेरेना विलियम्स, नोवाक जोकोविच, कार्लोस अल्कराज, डेनियल मेदवेदेव, कोको गौफ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के बीच इस खेल में लिएंडर पेस, सानिया मिर्जा, रोहन बोपन्ना, महेश भूपति, विजय अमृतराज और अख्तर अली जैसे भारतीय खिलाड़ियों ने अपना जलवा बिखेरा है.
भले ही लिएंडर पेस ओलंपिक में मेडल जीतने वाले इकलौते भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं, लेकिन इस खेल में ओलंपिक पदक जीते बगैर भी तमाम भारतीयों ने अपना लोहा मनवाया है.
टेनिस में India के भविष्य को उज्ज्वल माना जा रहा है. जूनियर स्तर पर भी नई प्रतिभाएं उभरकर सामने आई हैं. अगर बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय मंच मिले, तो यकीनन India जल्द ही विश्वस्तर पर बड़ी सफलता हासिल कर सकता है.
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आरएसजी/एबीएम
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