New Delhi, 8 अक्टूबर . आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने Wednesday को कहा कि अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह काम किया, महंगाई बढ़ी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं हुआ.
ट्रंप के लिबरेशन डे टैरिफ की आलोचना करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि पिछले छह महीनों से स्कोरकार्ड नेगेटिव रहा है.
ट्रंप ने 2 अप्रैल को लिबरेशन डे घोषित किया, यह वह दिन था जब उन्होंने टैरिफ बढ़ाने को लेकर घोषणा की थी.
उन्होंने अमेरिकी व्यापार घाटे को लेकर नेशनल इमरजेंसी की घोषणा की और विदेशी आयातों पर व्यापक टैरिफ लगाने के लिए इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (आईईईपीए) लागू किया.
उनका उद्देश्य दशकों से चली आ रही अनुचित व्यापार बाधाओं को दूर करना था, जिससे अमेरिकी उत्पादकों को नुकसान हुआ था.
हालांकि, गोपीनाथ ने कहा कि जैसा कि ट्रंप ने दावा किया था पिछले छह महीनों में टैरिफ से न तो व्यापार संतुलन में सुधार हुआ और न ही अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं हुआ.
social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में गोपीनाथ ने कहा, लिबरेशन डे टैरिफ लागू हुए 6 महीने हो गए हैं. अमेरिकी टैरिफ से क्या हासिल हुआ है?”
उन्होंने कहा, क्या इससे Government के राजस्व में वृद्धि हुई? हां काफी हद तक, जो कि अमेरिकी कंपनियों द्वारा वहन किया गया और कुछ अमेरिकी उपभोक्ताओं को पास कर दिया गया. इस तरह ट्रंप के इस फैसले ने यूएस फर्म और उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह काम किया.
क्या महंगाई बढ़ी? हां, कुल मिलाकर थोड़ी मात्रा में. घरेलू उपकरणों, फर्नीचर, कॉफी के लिए महंगाई बढ़ी.
क्या व्यापार संतुलन में सुधार हुआ? अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है.
क्या अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में सुधार हुआ? अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है. कुल मिलाकर, स्कोर कार्ड अभी नकारात्मक बना हुआ है.
India पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था, उसके बाद अगस्त में रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया था.
26 सितंबर को ट्रंप ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मा प्रोडक्ट पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना की घोषणा की.
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एसकेटी/
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