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ऑपरेशन से पहले १ बार करें ये उपाय, चर्वी की गांठें, स्तन की गांठें चुटकी में पिघल जाएगी। सिर्फ़ 11 दिनों में दिखेगा रिजल्ट

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image क्या आपके शरीर पर छोटी-छोटी गांठें बन गई हैं?
image क्या माता-बहनों को स्तनों में गांठें महसूस हो रही हैं और मन में डर बैठ गया है कि कहीं यह कैंसर तो नहीं?
रुकिए! किसी भी ऑपरेशन से पहले — ये आयुर्वेदिक उपाय सिर्फ़ 11 दिन आज़माकर देखिए।
आयुर्वेद में वर्णित एक अद्भुत वनस्पति — पाथरी (गोलामिका) — आपके शरीर की चरबी वाली गांठों (लाइपोमा) को पूरी तरह घोल सकती है!

image चरबी की गांठें क्या होती हैं?

शरीर पर चरबी जमने से बनी मुलायम गांठों को लाइपोमा (Lipoma) कहा जाता है। ये आमतौर पर गर्दन, कंधे, पेट, जांघ या पीठ पर दिखाई देती हैं। हाथ से दबाने पर ये हल्की-हल्की हिलती हैं और रंग त्वचा जैसा ही होता है। शुरुआत में ये नुकसान नहीं करतीं, लेकिन समय पर ध्यान न दिया तो कैंसर जैसी जटिलता का कारण बन सकती हैं।

image ये गांठें क्यों बनती हैं?

  • हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Changes)
  • आनुवंशिक कारण (Genetic Factors)
  • मिलावटी या रासायनिक भोजन का सेवन
  • कुछ दुर्लभ सिंड्रोम्स — जैसे Down syndrome, Gardner syndrome

image लाइपोमा की पहचान कैसे करें?

  • स्पर्श करने पर गांठ मुलायम और हिलने वाली होती है।
  • त्वचा का रंग सामान्य रहता है।
  • वृद्धि धीरे-धीरे होती है।
  • दर्द नहीं होता।
    image लेकिन कैंसर वाली गांठ लालसर और दर्दयुक्त होती है।

image आयुर्वेदिक उपाय – पाथरी (गोलामिका) का जादुई प्रयोग

आयुर्वेद में गोलामिका नाम से वर्णित यह वनस्पति अनावश्यक चरबी और गांठों को पिघलाने में सक्षम है। यह आसानी से सड़कों के किनारे या बगीचों,या खेत में मिल जाती है।

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image 1. पाथरी का तेल बनाने की विधि

सामग्री:

  • पाथरी की 20–25 पत्तियाँ
  • अरंडी का तेल (Castor oil) – 200 मि.ली.

विधि:

  • पत्तियाँ अच्छी तरह धोकर पेस्ट बना लें।
  • इस पेस्ट को तेल में डालकर धीमी आंच पर उबालें।
  • जब पत्तियाँ गल जाएँ और तेल साफ़ हो जाए, तो छान लें।
  • यह तेल रोज़ गांठों पर लगाएँ और हल्के हाथ से मालिश करें।
  • image सबसे अच्छा समय: रात को सोने से पहले।

    image 2. पाथरी के रस या पत्तों का सेवन

    • सुबह खाली पेट 2–3 पत्तियाँ चबाकर खाएँ, या
    • उनका रस निकालकर 1 चम्मच पीएँ, या
    • सब्ज़ी में मिलाकर उपयोग करें।

    image सिर्फ़ 11 दिन नियमित उपयोग से शरीर या स्तन की गांठें धीरे-धीरे पिघल जाती हैं — किसी सर्जरी की ज़रूरत नहीं।

    image आयुर्वेद की राय

    आयुर्वेद के अनुसार गोलामिका (पाथरी) “मेध-विकार” यानी चरबी संबंधी रोगों पर कार्य करती है।
    यह शरीर में जमा अवरोधों को दूर करके रक्तशुद्धि और चरबी पिघलाने का काम करती है।

    image एक महत्वपूर्ण सलाह

    आज की भागदौड़ वाली ज़िंदगी में हार्मोनल असंतुलन और अस्वस्थ खानपान के कारण ऐसी गांठें आम हो गई हैं।
    प्रकृति की यह साधारण सी वनस्पति आपके स्वास्थ्य के लिए वरदान है — बस नियमितता ज़रूरी है।

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