पुलिस ने केस दर्ज कर जांच की तो 15 मरीजों के हेल्थ इंश्योरेंस का करोड़ों रुपये हड़पने का मामला सामने आया। इसमें अस्पताल संचालक शमशुल और उसके साथी प्रवीण को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। फिर दो अन्य लोगों को भी सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर कार्रवाई की गई।
यूपी के गोरखपुर के डिसेंट अस्पताल में बिना मरीज भर्ती किए ही 1.20 करोड़ रुपये के हेल्थ इंश्योरेंस जालसाजी मामले में पुलिस अब गिरोह में शामिल लोगों के खिलाफ सबूत जुटा रही है। पता चला है कि संचालक के खाते से लगभग डेढ़ महीने में 15 करोड़ रुपये की लेनदेन हुई है, लेकिन खाते में वर्तमान में महज नौ हजार रुपये ही मौजूद थे। यानी खाते में रुपये आते ही उसे बांट दिया जाता था। खबर है कि इस मामले में जल्द ही कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
बजाज आलियांस फाइनेंस की शिकायत के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच की तो 15 मरीजों के हेल्थ इंश्योरेंस का करोड़ों रुपये हड़पने का मामला सामने आया। इसमें अस्पताल संचालक शमशुल व उसके साथी प्रवीण को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। फिर दो अन्य लोगों को भी सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर कार्रवाई की गई। कम्प्यूटर की जांच में पुलिस को चार ईमेल आईडी मिले हैं जिसके आधार पर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। पता चला है कि संचालक के खाते में लगभग डेढ़ महीने में 15 करोड़ रुपये आए और फिर उसे आपस में बांटा गया है। अब कैश वालों की जानकारी सीसीटीवी कैमरों की मदद से जुटाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ऑनलाइन वालों का डाटा पुलिस को मिल गया है।
डॉक्टर ने तीन महीने पहले की थी शिकायतडिसेंट हॉस्पिटल के खिलाफ डॉक्टर ने मई में ही स्वास्थ्य विभाग में शिकायत की थी। पहले उन्होंने अपनी लेनदेन को लेकर प्रार्थना पत्र दिया था। इसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं किया और फिर हेल्थ इंश्योरेंस के हेराफेरी की शिकायत की थी लेकिन इसके बाद भी डिसेंट हॉस्पिटल संचालित होता रहा। जब पुलिस की कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची लेकिन दरवाजा न होने का हवाला देते हुए सील नहीं किया जा सका। महज नोटिस चस्पा कर संचालन न करने की चेतावनी दी गई है। अब पुलिस को जांच में कई और साक्ष्य मिले हैं जिसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।
डॉक्टर की ओपीडी का भुगतान डिसेंट अस्पताल ने बंद कर दिया था। इसे लेकर वह डीएम को प्रार्थना पत्र दिए थे और फिर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने हस्तक्षेप भी किया था। तब संचालक एक बार डॉक्टर के भुगतान के लिए तैयार हो गया था। लेकिन फिर मुकर गया। इसके बाद ही मई में डॉक्टर ने स्वास्थ्य विभाग में हेल्थ इंश्योरेंस में उनके फर्जी हस्ताक्षर की शिकायत की थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच बजाज आलियांस फाइनेंस कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।
कंपनी के अफसर ने बताया कि दिल्ली के रहने वाले सत्यदीप के नाम पर फर्जी तरीके से 1.80 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस का भुगतान हुआ है, जबकि जांच में पता चला है कि वह अस्पताल में कभी आए ही नहीं थे। इसकी पुष्टि खुद सत्यदीप ने की थी। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने डिसेंट अस्पताल के संचालक शमशुल और उसके पार्टनर प्रवीण उर्फ विकास त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया था।
हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में भी कई संदेहास्पद फाइलें मिलींअब इसमें शामिल कथित डॉक्टर और गगहा के नर्रे निवासी अफजल और मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन दोनों से पूछताछ में भी पता चला है कि जिस अस्पताल एपेक्स में मरीजों का फॉलोअप दिखाया गया था, वह अस्तित्व में ही नहीं है। वहीं डिसेंट हॉस्पिटल के रिकार्ड में भी कई संदेहास्पद फाइलें मिलीं। इससे साफ हो गया कि सुनियोजित तरीके से फर्जी मरीज दिखाकर क्लेम पास कराए जा रहे थे। अब पुलिस को कम्प्यूटर से कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं जिसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।
क्या बोली पुलिसएसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि पुलिस खातों की जांच भी कर रही है। गिरोह में शामिल सभी आरोपितों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। जांच और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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