उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा भूचाल आने वाला है। समाजवादी पार्टी के महासचिव और कद्दावर नेता आज़म ख़ान 23 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें सभी मामलों में जमानत दे दी है। एक तरफ जहां उनके समर्थक और सपा का मुस्लिम वोटबैंक उनकी रिहाई से उत्साहित है, वहीं राजनीतिक विश्लेषक इसे अखिलेश यादव के लिए ‘नई टेंशन’ मान रहे हैं। सवाल यह है कि जेल से बाहर आने के बाद आजम ख़ान का अगला कदम क्या होगा, और क्या वे पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे?
सपा के लिए ‘रामबाण’
आज़म ख़ान का जेल से बाहर आना पहली नजर में तो सपा की ताकत बढ़ाने वाला नजर आता है।
वे सिर्फ रामपुर ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी में मुस्लिम वोटबैंक के सबसे बड़े चेहरे हैं। 2022 में जब वे पहली बार जेल से बाहर आए थे, तब सपा को विधानसभा चुनावों में फायदा भी हुआ था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले आज़म ख़ान की रिहाई से सपा का मुस्लिम-यादव गठजोड़ और मजबूत होगा।
‘टेंशन’ का असली कारण
अखिलेश यादव की टेंशन का कारण रामपुर लोकसभा सीट है। इस चुनाव में सपा ने मोहिबबुल्लाह नकवी को उम्मीदवार बनाया, जो आजम खान के आलोचक माने जाते हैं। नकवी चुनाव जीतकर सांसद भी बन गए, जिससे यह संदेश गया कि अखिलेश ने सीधे आजम खान को उनके ही गढ़ में चुनौती दे दी है। जेल में रहते हुए, आज़म ख़ान ने एक पत्र जारी कर इंडिया गठबंधन पर हमला बोला था और उन पर मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में अखिलेश ने जेल जाकर उनसे मुलाकात की, लेकिन तनाव बरकरार रहा। आजम की पत्नी तंजीन फातिमा भी कह चुकी हैं कि उन्हें अब किसी पर भरोसा नहीं है, ‘केवल अल्लाह’ पर भरोसा है।
क्या होगा ‘अगला’ कदम?
विश्लेषकों का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद अगर आज़म ख़ान कोई ‘बगावती’ बयान नहीं देते हैं, तो सपा को फायदा होगा। लेकिन अगर वे इसके उलट कुछ करते हैं, तो पार्टी का मुस्लिम वोटबैंक बंट सकता है। आज़म ख़ान के बाहर आते ही उनके समर्थक जश्न की तैयारी में हैं, लेकिन अखिलेश यादव या सपा के किसी बड़े नेता का अभी तक कोई बयान नहीं आया है। यह चुप्पी भी कई तरह के सवालों को जन्म दे रही है। माना जा रहा है कि सपा आज़म ख़ान के जरिए बीजेपी को घेरने की कोशिश करेगी, खासकर उन पर दर्ज हुए 90 से अधिक मुकदमों को लेकर। आज़म ख़ान 18 अक्टूबर 2023 से जेल में थे, जब उन्हें उनकी पत्नी और बेटे के साथ सात साल की सजा सुनाई गई थी। अब सभी की निगाहें उन पर टिकी हैं कि जेल से बाहर आकर वे क्या कहते हैं और उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होता है।
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