भारत बन रहा दुनिया का नया ‘मैन्युफैक्चरिंग बॉस’
भारत अब केवल एक बड़े बाजार के रूप में नहीं, बल्कि एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। हाल के महत्वपूर्ण घोषणाएं इस परिवर्तन को और भी मजबूत बना रही हैं। विश्व की प्रमुख औद्योगिक कंपनियां अब भारत में केवल स्थानीय उपयोग के लिए ही नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन, अनुसंधान और निर्यात के लिए भी अपने केंद्र स्थापित कर रही हैं।
फोर्ड का भारत में निवेशअमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने घोषणा की है कि वह अपने चेन्नई संयंत्र को उच्च गुणवत्ता वाले इंजन उत्पादन के लिए फिर से तैयार कर रही है। यहां से हर साल 2,35,000 से अधिक इंजन का उत्पादन किया जाएगा, जो अन्य देशों में भेजे जाएंगे, लेकिन अमेरिका में नहीं।
एचपी का भारत में उत्पादनइलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भी भारत की स्थिति मजबूत हो रही है। एचपी ने अपने सभी लैपटॉप भारत में बनाने की योजना बनाई है। एचपी के सीईओ ने हाल ही में कहा कि अगले तीन से पांच वर्षों में भारत में बेचे जाने वाले सभी पर्सनल कंप्यूटर यहीं निर्मित होंगे। इसके अलावा, भविष्य में लैपटॉप का निर्यात भी भारतीय संयंत्रों से किया जाएगा।
PLI योजना का प्रभावयह निर्णय सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को आकर्षित करना है। एचपी के लिए यह दोहरा लाभ है: एक तो वह अपने सबसे बड़े बाजार में उत्पादन कर सकेगी और दूसरा, भारत को चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के मुकाबले एक मजबूत निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।
भारत का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्रजहां अमेरिकी कंपनियां लागत और रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, वहीं दक्षिण कोरियाई कंपनियां भारत के साथ दीर्घकालिक औद्योगिक और तकनीकी संबंधों पर ध्यान दे रही हैं। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स भारत में भारी मशीनों के उत्पादन को स्थानांतरित करने पर विचार कर रही है, जो पहले कोरिया, चीन और वियतनाम में होता था।
इसके साथ ही, एलजी ग्रुप नोएडा में 1,000 करोड़ रुपये के निवेश से एक वैश्विक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित कर रहा है, जिससे लगभग 500 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
भारत की ओर झुकाव के कारणदुनिया का यह झुकाव भारत की ओर तीन मुख्य कारणों पर आधारित है:
- पहला, सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, पीएलआई योजना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी स्पष्ट औद्योगिक नीतियाँ, जिन्होंने कंपनियों को यहां उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया है।
- दूसरा, भारत की विशाल युवा आबादी, जो तकनीकी रूप से कुशल है और अंग्रेज़ी बोलती है। यह कार्यबल डिज़ाइन से लेकर उत्पादन तक हर क्षेत्र में सक्षम है।
- तीसरा, बदलता वैश्विक माहौल। अमेरिका-चीन के बीच तनाव और सप्लाई चेन को केवल एक देश (चीन) पर निर्भर न रखने की वैश्विक सोच ने भारत को एक रणनीतिक और भरोसेमंद विकल्प बना दिया है।
इन सभी कारणों से भारत अब चीन के सस्ते विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि वैश्विक बाजारों को सेवा देने वाले एक ‘समानांतर सक्षम केंद्र’ के रूप में अपनी पहचान बना रहा है.
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