भूपति गैंग के 140 से ज्यादा नक्सलियों ने किया सरेंडर
देश में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे आत्मसमर्पण अभियान के तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। एक करोड़ के ईनाम पर कुख्यात नक्सली भूपति के सरेंडर के बाद, उसकी गैंग के 140 से अधिक नक्सलियों ने भी आज आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया है। इन नक्सलियों को बीजापुर जिले से जगदलपुर लाया जा रहा है, जहां वे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे।
यह आत्मसमर्पण अब तक का सबसे बड़ा नक्सली आत्मसमर्पण माना जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में दंडाकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के प्रवक्ता रूपेश का नाम भी शामिल है।
भूपति का सरेंडरएक दिन पहले, एक करोड़ के ईनाम का नक्सली नेता भूपति समेत कई बड़े नक्सलियों ने महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण किया था। इसके अलावा, बसव राजू जैसे कुछ प्रमुख नक्सली नेता मुठभेड़ में मारे गए हैं। भूपति समूह के 140 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया है।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में डीकेएसजेडसी का प्रवक्ता रुपेश भी शामिल है, जो नक्सली संगठनों की रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।
बीजापुर पुलिस के पास प्रस्तावइन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण का प्रस्ताव बीजापुर के पुलिस और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। आत्मसमर्पण के इच्छुक 140 से अधिक नक्सली बीजापुर जिले में इंद्रावती नदी के उस पार उसपरी घाट पर एकत्रित हैं। ये सभी भूपति गैंग के सदस्य माने जा रहे हैं।
सुरक्षा बलों की तैनातीइस बड़े आत्मसमर्पण के मद्देनजर, पुलिस, CRPF, कोबरा, डीआरजी और अन्य सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है। सभी नक्सलियों को हथियारों के साथ आत्मसमर्पण के लिए जगदलपुर ले जाने की तैयारी की जा रही है। इस संदर्भ में बीजापुर से जगदलपुर के बीच सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
सीएम की उपस्थिति में आत्मसमर्पणछत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में 17 अक्टूबर को जगदलपुर में 140 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे। नक्सली नेता रूपेश के नेतृत्व में ये नक्सली 100 से अधिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करेंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नक्सलियों का स्वागत करेंगे।
लाल आतंक का सफायामहाराष्ट्र, अंतागढ़ और सुकमा के बाद अब बीजापुर में लाल आतंक का सफाया शुरू हो गया है। इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद, नक्सली संगठनात्मक रूप से कमजोर हो जाएंगे और जो बचे खुचे नक्सली हैं, वे या तो अपने प्रदेशों की ओर लौट जाएंगे, या आत्मसमर्पण कर देंगे, या फिर सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाएंगे।
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