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एक महीने तक गेहूं की रोटी न खाने के प्रभाव: विशेषज्ञ की सलाह

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रोटी का महत्व

हर भारतीय घर में गेहूं की रोटी भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा होती है। इसके बिना भोजन अधूरा लगता है। हालांकि, कुछ लोग इसे अपनी डाइट से हटाने का विचार करते हैं। वहीं, कुछ लोग इसे विटामिन्स का अच्छा स्रोत मानते हैं और इसे छोड़ना उचित नहीं समझते। इस संदर्भ में यह जानना महत्वपूर्ण है कि यदि कोई व्यक्ति एक महीने तक गेहूं की रोटी का सेवन नहीं करता है, तो उसके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।


विशेषज्ञ की राय

लखनऊ के चरक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की आहार और पोषण विभाग की प्रमुख डाइटीशियन डॉ. इंदुजा दीक्षित ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गेहूं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। रोटी में पाया जाने वाला ग्लूटन एक प्रकार का प्रोटीन है, जो सामान्य व्यक्तियों के लिए नुकसानदायक नहीं होता। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित है, तो उसे ग्लूटन युक्त आहार से बचने की सलाह दी जा सकती है।


संतुलित आहार का महत्व

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किसी भी चीज की अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। चाहे वह दूध, दही या फल हों, अत्यधिक सेवन से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। डाक्टरों की सलाह के अनुसार, रोटी का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति दिन में कई बार केवल गेहूं की रोटी का सेवन करता है, तो यह हानिकारक हो सकता है। संतुलित आहार में रोटी के साथ चावल और दाल जैसे अन्य खाद्य पदार्थों का भी समावेश होना चाहिए।


गेहूं के पोषक तत्व

गेहूं में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जैसे पोटेशियम, फोलेट, विटामिन बी6, बी12, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और सोडियम। ये सभी तत्व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।


नियमित सेवन के लाभ

यदि कोई व्यक्ति एक महीने या उससे अधिक समय तक गेहूं की रोटी का सेवन नहीं करता है, तो उसके शरीर में ऊर्जा स्तर में कमी आ सकती है। इसके अलावा, एनीमिया, त्वचा पर रैशेज, होंठों में दरारें, मूड स्विंग्स, इम्यूनिटी में कमी और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


सही तरीके से सेवन

अधिकतर लोग गेहूं का आटा बहुत बारीक पिसवाते हैं और चोकर हटा देते हैं, जो कि सही नहीं है। हमेशा गेहूं को थोड़ा मोटा पिसवाना चाहिए और आटे को चोकर के साथ उपयोग करना चाहिए। रिफाइंड आटे का सेवन करने से शुगर लेवल बढ़ सकता है। इसलिए, रागी या बाजरे के आटे की तरह ही गेहूं का मोटा आटा उपयोग करना बेहतर होता है।


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