भारत की चिप बनाने की मेहनत को अब बड़ी सफलता मिल गई है। पहली बार, देश में बनाए गए चिप से चलने वाला एक टेलीकॉम सिस्टम को टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) से मंजूरी मिल चुकी है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे देश की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब भारत में बनाए गए चिप्स इतने भरोसेमंद और हाई क्वालिटी वाले हो गए हैं कि वे टेलीकॉम सिस्टम को आसानी से चला सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरते हैं।
TEC की मंजूरी का असली मतलब क्या है?
TEC की तरफ से मिली ये मंजूरी सिर्फ नियमों का पालन करने का सर्टिफिकेट नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि ये प्रोडक्ट बहुत अच्छे से काम करता है और सुरक्षित भी है। चूंकि टेलीकॉम डिवाइस हमारे देश की डिजिटल दुनिया के लिए बहुत जरूरी हैं, इसलिए इस मंजूरी का बड़ा मतलब है। इससे भारत में बनी चिप को दुनिया भर के अन्य बढ़िया चिप के बराबर माना जाएगा। इसका फायदा ये होगा कि ये चिप ना सिर्फ भारत में इस्तेमाल हो सकेंगे, बल्कि विदेशों में भी आसानी से बेचे जा सकेंगे।
अभी चिप के लिए विदेशों पर निर्भर है भारत
यह इसलिए खास है क्योंकि कई सालों तक भारत को चिप के लिए विदेशों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। चाहे स्मार्टफोन हो, टेलीकॉम टावर हो, कार हो या डेटा सेंटर, हर जगह इपोर्ट की गई चिप का इस्तेमाल होता है। TEC की मंजूरी का मतलब है कि अब भारत खुद अपने बनाए चिप पर भरोसा कर सकता है और विदेशों से चिप खरीदने की जरूरत धीरे-धीरे कम होगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे सरकार के बड़े लक्ष्य पूरे करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
हालांकि अभी भारत के पास बहुत बड़ी फैक्ट्रियां नहीं हैं, लेकिन देश में चिप डिजाइन, बनाना और चेक करने की कैपेसिटी धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। अभी भारत मुख्य रूप से उन चिप्स को बनाना चाहता है जो 28nm से 65nm टेक्नोलॉजी पर बेस्ड हैं। ये नए और सबसे आधुनिक तो नहीं हैं, लेकिन टेलीकॉम, गाड़ियों और फैक्ट्री में काम आने वाले उपकरणों के लिए बहुत जरूरी हैं।
छोटी चिप्स बना रही हैं दुनिया की बड़ी कंपनियां
दुनिया की बड़ी कंपनियां सबसे नई और छोटी चिप्स (जैसे 5nm वाली) बनाने की कोशिश कर रही हैं, जो खासकर स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम आती हैं। लेकिन भारत अभी थोड़ा पुरानी और अच्छी साबित हो चुकी टेक्नोलॉजी वाली चिप्स (28nm से 65nm तक) बनाने पर ध्यान दे रहा है। इस वजह से भारत उन चिप्स की आपूर्ति की कमी को पूरा कर सकता है जो अभी बाजार में कम पड़ रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि भारत के पास इतने हुनरमंद इंजीनियर और टेक्नोलॉजी हैं कि वह बड़े पैमाने पर चिप्स बना सकता है। भारत अपनी क्षमता बढ़ा रहा है ताकि दुनिया भर की जरूरतों को पूरा कर सके।
Big leap for India’s semiconductor story!
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 5, 2025
In a first, a telecom system running on ‘made in India’ chips has cleared the standards & quality tests (TEC certification). 🇮🇳 pic.twitter.com/tFQLF04Ool
TEC की मंजूरी का असली मतलब क्या है?
TEC की तरफ से मिली ये मंजूरी सिर्फ नियमों का पालन करने का सर्टिफिकेट नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि ये प्रोडक्ट बहुत अच्छे से काम करता है और सुरक्षित भी है। चूंकि टेलीकॉम डिवाइस हमारे देश की डिजिटल दुनिया के लिए बहुत जरूरी हैं, इसलिए इस मंजूरी का बड़ा मतलब है। इससे भारत में बनी चिप को दुनिया भर के अन्य बढ़िया चिप के बराबर माना जाएगा। इसका फायदा ये होगा कि ये चिप ना सिर्फ भारत में इस्तेमाल हो सकेंगे, बल्कि विदेशों में भी आसानी से बेचे जा सकेंगे।
अभी चिप के लिए विदेशों पर निर्भर है भारत
यह इसलिए खास है क्योंकि कई सालों तक भारत को चिप के लिए विदेशों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। चाहे स्मार्टफोन हो, टेलीकॉम टावर हो, कार हो या डेटा सेंटर, हर जगह इपोर्ट की गई चिप का इस्तेमाल होता है। TEC की मंजूरी का मतलब है कि अब भारत खुद अपने बनाए चिप पर भरोसा कर सकता है और विदेशों से चिप खरीदने की जरूरत धीरे-धीरे कम होगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे सरकार के बड़े लक्ष्य पूरे करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
हालांकि अभी भारत के पास बहुत बड़ी फैक्ट्रियां नहीं हैं, लेकिन देश में चिप डिजाइन, बनाना और चेक करने की कैपेसिटी धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। अभी भारत मुख्य रूप से उन चिप्स को बनाना चाहता है जो 28nm से 65nm टेक्नोलॉजी पर बेस्ड हैं। ये नए और सबसे आधुनिक तो नहीं हैं, लेकिन टेलीकॉम, गाड़ियों और फैक्ट्री में काम आने वाले उपकरणों के लिए बहुत जरूरी हैं।
छोटी चिप्स बना रही हैं दुनिया की बड़ी कंपनियां
दुनिया की बड़ी कंपनियां सबसे नई और छोटी चिप्स (जैसे 5nm वाली) बनाने की कोशिश कर रही हैं, जो खासकर स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काम आती हैं। लेकिन भारत अभी थोड़ा पुरानी और अच्छी साबित हो चुकी टेक्नोलॉजी वाली चिप्स (28nm से 65nm तक) बनाने पर ध्यान दे रहा है। इस वजह से भारत उन चिप्स की आपूर्ति की कमी को पूरा कर सकता है जो अभी बाजार में कम पड़ रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि भारत के पास इतने हुनरमंद इंजीनियर और टेक्नोलॉजी हैं कि वह बड़े पैमाने पर चिप्स बना सकता है। भारत अपनी क्षमता बढ़ा रहा है ताकि दुनिया भर की जरूरतों को पूरा कर सके।
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