नई दिल्ली: शेयर बाजार में इस समय काफी अधिक अस्थिरता देखने को मिल रही है. इस बीच अर्निंग सीजन की भी शुरुआत हो चुकी है. जो भारतीय शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं. विशेषकर ऑटो सेक्टर के नजरिये से बात करें तो उम्मीद की जा रही है कि फाइनेंशियल ईयर 2025 के मार्च क्वार्टर में ऑटोमोबाइल सेक्टर की ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर कंपनियों के तिमाही नतीजे कुछ खास नहीं रहने वाले हैं. दरअसल मार्च क्वार्टर (जनवरी-फरवरी–मार्च) के दौरान पैसेंजर व्हीकल की सेल्स में धीमापन देखा गया है इसके अलावा टू व्हीलर जैसे बाइक, स्कूटर आदि की बिक्री भी स्लो हुई है. कमर्शियल व्हीकल और ट्रैक्टर्स की बिक्री में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं देखा गया है. इन सभी कंडीशन को नोट करते हुए बाजार की टॉप ब्रोकरेज फर्म ने बाजार की टॉप ऑटो कंपनियों के मार्च क्वार्टर रिजल्ट से पहले उनके टारगेट प्राइस को कम कर दिया है. एचएसबीसी ने घटाया टारगेटइसी क्रम में एचएसबीसी सिक्योरिटीज एंड कैपिटल मार्केट्स इंडिया ने उम्मीद जताई है कि इस बार के मार्च क्वार्टर में ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियों का प्रदर्शन मिला-जुला रह सकता है. ब्रोकरेज ने कई ऑटो स्टॉक की टारगेट प्राइस में कटौती की है. जैसे Tata Motors शेयर के टारगेट को 840 रूपये से घटाकर 700 रूपये, Bajaj Auto शेयर के टारगेट 10,500 रूपये से घटाकर 9,500 रूपये, Ola Electric शेयर के टारगेट को 70 रूपये से घटाकर 60 रूपये, Mahindra & Mahindra शेयर के टारगेट को 3,520 रूपये से घटाकर 3,320 रूपये और Hyundai India शेयर के टारगेट को 2,200 रूपये से घटाकर 2,000 रूपये कर दिया है. एचएसबीसी रिसर्च में क्या बतायाएचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च के अनुसार इस बार के मार्च क्वार्टर में ऑटो सेक्टर की कंपनियों की सेल्स मिली जुली रही है आंकड़ों के मुताबिक टू व्हीलर सेल्स पिछले तिमाही से 4% गिरावट रिपोर्ट किया है हालांकि सालाना आधार पर 6% बढ़ोतरी हुई. थ्री व्हीलर की सेल पिछली तिमाही से 6% गिरावट हालांकि साल दर साल के आधार पर 5% बढ़त, पैसेंजर व्हीकल की सेल सालाना आधार पर 5 फ़ीसदी से बढ़ी है जबकि पिछली तिमाही से 6% बढ़त रिपोर्ट हुई है. कच्चे माल की लागत से मार्जिन पर होगा इंपैक्टइस बार के मार्च क्वार्टर में टू व्हीलर और फोर व्हीलर के कच्चे माल की लागत इंडेक्स क्रमशः 2.6% और 1.6% से बढ़ी है. जिस वजह से इन कंपनियों के मुनाफे के मार्जिन पर 50 से 30 बेसिस प्वाइंट का इंपैक्ट पड़ सकता है यानी कि मुनाफा कम हो सकता है.(डिस्क्लेमर– ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
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