
12 अक्टूबर 1911 को मुंबई में जन्मे विजय माधवजी मर्चेंट एक व्यापारी परिवार से थे। पिता की कई फैक्ट्रियां थीं।
यूं, तो बचपन में उनका नाम 'विजय ठाकरसे' था, लेकिन जब एक इंग्लिश टीचर ने उनसे पिता के काम को लेकर पूछा, तो विजय ने बताया कि वह 'मर्चेंट' हैं। ऐसे में टीचर नाम और प्रोफेशन को लेकर भ्रम में पड़ गईं। गलतफहमी की वजह से विजय ठाकरसे को 'विजय मर्चेंट' नाम मिल गया।
घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के चलते विजय मर्चेंट को करीब तीन वर्ष बाद ही टेस्ट टीम में मौका मिल गया। उस वक्त विजय महज 22 वर्ष के थे।
हालांकि, विजय मर्चेंट भारत के पहले इंटरनेशनल टेस्ट मैच के सदस्य बन सकते थे, लेकिन देशभक्ति की भावना और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने उस मैच को खेलने से इनकार कर दिया।
उस समय इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आ रही थी। मर्चेंट को टीम में चुन लिया गया, लेकिन महात्मा गांधी समेत कई स्वतंत्रता सेनानी उस वक्त जेल में थे। इसके विरोध में मर्चेंट ने मैच खेलने से इनकार कर दिया।
दिसंबर 1933 में मर्चेंट ने आखिरकार इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई में पहला टेस्ट खेला, क्योंकि तब तक स्वतंत्रता आंदोलन के सभी बड़े नेता जेल से रिहा किए जा चुके थे। विजय मर्चेंट ने अपने पहले ही मैच में 23 और 30 रन की पारी खेली।
विजय मर्चेंट का क्रिकेट करियर करीब 18 साल का रहा, लेकिन इस बीच करीब 10 वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध की भेंट चढ़ गए। ऐसे में मर्चेंट अपने करियर में सिर्फ 10 ही टेस्ट खेल सके, जिसमें 47.72 की औसत के साथ 859 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 3 शतक और इतने ही अर्धशतक देखने को मिले।
'लेट कट' और 'हुक्स' के महारथी विजय मर्चेंट ने अपने बल्लेबाजी के अंदाज से ही फैंस को दीवाना बना रखा था। वह बेहद आराम से पांव निकालकर ड्राइव लगाते।
अंग्रेज खिलाड़ी विजय मर्चेंट से इतना प्रभावित थे कि सीबी फ्रे ने कह दिया, "चलो हम विजय मर्चेंट को रंग देते हैं और उन्हें ऑस्ट्रेलिया ले चलते हैं, ताकि वह हमारी तरफ से ओपनिंग कर सकें।"
घरेलू क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड शानदार था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सर्वाधिक एवरेज के मामले में मर्चेंट आज भी दूसरे स्थान पर हैं। विजय मर्चेंट ने 150 फर्स्ट क्लास मुकाबलों की 234 पारियों में 71.64 की औसत के साथ 13,470 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 45 शतक और 52 अर्धशतक निकले।
इस लिस्ट में मर्चेंट से आगे सिर्फ डॉन ब्रैडमैन ही हैं, जिन्होंने 234 फर्स्ट क्लास मुकाबलों की 338 पारियों में 95.14 की औसत के साथ 28,067 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 117 शतक और 69 अर्धशतक लगाए।
घरेलू क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड शानदार था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सर्वाधिक एवरेज के मामले में मर्चेंट आज भी दूसरे स्थान पर हैं। विजय मर्चेंट ने 150 फर्स्ट क्लास मुकाबलों की 234 पारियों में 71.64 की औसत के साथ 13,470 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 45 शतक और 52 अर्धशतक निकले।
Also Read: LIVE Cricket Scoreइस बल्लेबाज ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है। क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते साल 1937 में विजय मर्चेंट को 'विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' से नवाजा गया। 27 अक्टूबर 1987 को 76 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक के चलते विजय मर्चेंट ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
Article Source: IANSYou may also like
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