
पिछले सप्ताह खाड़ी देशों की अपनी यात्रा से वापस लौटने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से कहा वे 'चार दिन बहुत शानदार थे, बहुत ऐतिहासिक थे.'
सऊदी अरब, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का दौरा करने के बाद उन्होंने अपनी एक ट्रेडमार्क टिप्पणी की, "हमारे देश में नौकरियां और पैसा आ रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. "
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिका के लिए कुल दो ट्रिलियन डॉलर की डील की, लेकिन क्या यह दावा हकीक़त से मेल खाता है?
ट्रंप का यह दौरा बहुत नाटकीय था और खाड़ी के तीनों देशों ने भी उनका स्वागत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
लड़ाकू विमानों का एस्कॉर्ट, भव्य स्वागत समारोह, 21 बंदूकों की सलामी, टेस्ला साइबर ट्रकों का कारवां, शाही ऊंट, अरबी घोड़े और तलवार लिए डांसर्स, ये सब रंगारंग भव्य आयोजनों का हिस्सा थे.
यूएई ने ट्रंप को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद' से सम्मानित किया.
इस यात्रा का दृश्य आश्चर्यजनक थाः पेट्रोल की वजह से इलाक़े के सबसे धनी देशों ने अपनी सम्पन्नता का प्रदर्शन किया और दिखाया कि वे अपने आर्थिक हितों को बढ़ाने के साथ साथ अमेरिका से संबंध को मज़बूत करने में अपनी संपत्ति का कितना हिस्सा दांव पर लगाने को तैयार थे.
खुद को 'डीलमेकर इन चीफ़' बताने वाले ट्रंप को यात्रा शुरू करने से पहले ये मालूम था कि इस दौरे का मुख्य उद्देश्य अरबों डॉलर का निवेश हासिल करना है. ऊपरी तौर पर तो वह सफल रहे.
सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका-सऊदी साझेदारी में 600 अरब डॉलर निवेश के वादे को बार बार दोहराया.
इसके तहत बहुत सारे समझौतों का एलान हुआ जिनमें हथियार, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई), स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचे वाले प्रोजेक्ट, साइंस कोलैबोरेशन और विभिन्न सुरक्षा संबंधी समझौते शामिल हैं.
142 अरब डॉलर के इस रक्षा सौदे ने काफ़ी ध्यान खींचा, क्योंकि व्हाइट हाउस ने इसे अब तक की सबसे बड़ी हथियार डील क़रार दिया.
हालाँकि, इस बात पर कुछ संदेह बना हुआ है कि क्या ये निवेश के आंकड़े हकीक़त से मेल खाते हैं.
साल 2017 से 2021 तक अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने एलान किया था कि सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ 450 अरब डॉलर की डील पर रज़ामंदी दी है.
लेकिन अरब गल्फ़ स्टेट्स इंस्टीट्यूट द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 से 2020 के बीच वास्तविक व्यापार और निवेश 300 अरब डॉलर से भी कम था.
इस रिपोर्ट को सऊदी अरब में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के पूर्व मिशन प्रमुख और अरब गल्फ़ स्टेट्स इंस्टीट्यूट में विजिटिंग फ़ेलो टिम कैलन ने तैयार किया था.
कैलेन ने कहा, "इन नए सौदों की हकीक़त सामने आ जाएगी."
बीबीसी ने प्रतिक्रिया के लिए व्हाइट हाउस से संपर्क किया था.

क़तर में ट्रंप ने कम से कम 1.2 ट्रिलियन डॉलर के 'आर्थिक सहयोग' का एलान किया था. हालांकि, व्हाइट हाउस द्वारा जारी फ़ैक्ट शीट में दोनों देशों के बीच केवल 243.5 अरब डॉलर के सौदों का ज़िक्र था.
क़तर के साथ जिन समझौतों की बात बताई गई उनमें से एक था कि क़तर एयरवेज कंपनी संकटग्रस्त अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से 96 अरब डॉलर में 210 पैसेंजर जेट विमान खरीदेगी.
व्हाइट हाउस ने कहा कि इस सौदे से अमेरिका में हर साल उनके उत्पादन के दौरान 1,54,000 नौकरियों का सृजन होगा और इस सौदे के लाइफ़ टाइम में कुल 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी.
इसी यात्रा के दौरान यूएई ने अमेरिका से बाहर दुनिया के सबसे बड़े एआई कैंपस निर्माण के समझौते पर हस्ताक्षर किया. दावा है कि अगले साल की शुरुआत से अमेरिकी टेक कंपनी एनवीडिया से पांच लाख अत्याधुनिक माइक्रोचिप्स तक उसकी पहुंच हो जाएगी.
यह प्रोजेक्ट अगले एक दशक में अमेरिका में यूएई के 1.4 ट्रिलियन डॉलर के निवेश में शामिल है.
जो वादा किया गया है उसके अमल में चुनौती के अलावा, इन आंकड़ों में एक संभावित बाधा है तेल की क़ीमत.
अप्रैल में तेल के दाम चार साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गए क्योंकि ये आशंका बढ़ गई थी कि ट्रंप के टैरिफ़ से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है.
दामों में और कमी तब आई जब तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ ने अपना उत्पादन बढ़ाने की योजना की घोषणा की.
साल की शुरुआत से वैश्विक तेल की क़ीमतों में गिरावट ने सऊदी अरब की वित्तीय स्थिति को मुश्किल बना दिया है.
पिछले महीने, आईएमएफ़ ने साल 2025 में दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक इस देश की जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को 3.3% से घटाकर 3% कर दिया था.
कैलन ने कहा, "तेल की मौजूदा क़ीमतों के माहौल में सऊदी अरब को उस धन (600 अरब डॉलर) को जुटा पाना मुश्किल होगा."
अन्य विश्लेषकों का कहना है कि इस दौरे में जिन एमओयू पर हस्ताक्षर हुए वे बाध्यकारी नहीं है और ज़रूरी नहीं कि हमेशा ही वास्तविक अमल में आएं.
इसके अलावा, इन समझौतों में पहले घोषित कुछ समझौतों को भी शामिल किया गया है.
उदाहरण के लिए, सऊदी तेल कंपनी अरामको ने अमेरिकी कंपनियों के साथ 90 अरब डॉलर के 34 समझौतों का एलान किया था. हालांकि इनमें से अधिकांश गैर-बाध्यकारी एमओयू थे, जिनकी राशि के बारे में ज़िक्र नहीं किया गया था.
अमेरिकी कंपनी 'नेक्स्टडेकेड' से 20 सालों तक सालाना 12 लाख टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) ख़रीदने का उसका समझौता भी नए सौदों की सूची में शामिल था, हालांकि इसकी घोषणा महीनों पहले ही हो गई थी.
कुवैत यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफ़ेसर और थिंक टैंक चैथम हाउस में एसोसिएट फ़ेलो बदर अल सैफ़ कहते हैं, "ये सौदे संकेत देते हैं कि अमेरिका और खाड़ी देश भविष्य की योजना एक साथ बना रहे हैं और यह रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बदलाव था."
उन्होंने कहा कि यूएई और सऊदी अरब के साथ एआई सौदे, इस योजना के केंद्रीय तत्व थे क्योंकि 'वे स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे कोशिश कर रहे हैं कि नई वैश्विक व्यवस्था और चीजों को एक साथ करने का नया तरीक़ा कैसे निकाला जाए.'

एआई पर ज़ोर अमेरिकी डिप्लोमेसी में टेक्नोलॉजी की बढ़ती रणनीतिक अहमियत को बताता है.
इस दौरे में ट्रंप के साथ ओपनएआई के प्रमुख सैम आल्टमैन, एनवीडिया के जेनसेन हुआंग और ग्रोक एआई के मालिक एलन मस्क भी थे.
जो बाइडन के ज़माने में सबसे बेहतरीन एआई सिस्टम के लिए ज़रूरी अत्याधुनिक अमेरिकी सेमीकंडक्टर्स के एक्सपोर्ट पर कई तरह के बैन लगाए गए थे.
इस बैन की वजह से दुनिया के कुछ ही देशों तक इन अत्याधुनिक चिप्स की पहुंच , जबकि बाक़ियों को ये नसीब नहीं थे.
इस यात्रा की पूर्व संध्या पर ये प्रतिबंध रद्द कर दिए थे.
खाड़ी देशों को लगभग 120 देशों के ग्रुप में रखा गया था, जिन्हें बहुत सीमित संख्या में ही ये सेमीकंडक्टर आयात करने की अनुमति थी.
इसने हाईटेक बनने की तमन्ना रखने वाले सऊदी अरब जैसे देशों को निराश किया था.
सऊदी और यूएई दोनों बड़े पैमाने पर एआई डेटा सेंटर बनाने की होड़ में हैं, जबकि यूएई की राजधानी अबू धाबी का लक्ष्य वैश्विक एआई हब बनना है.
यूएई ने अमेरिका को भरोसे में लेने के कई प्रयास किए हैं, जैसे कि, अमेरिकी टेक्नोलॉजी फर्मों के साथ सहयोग बढ़ाना, चीनी कंपनियों के साथ संबंधों पर लगाम लगाना और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के साथ अधिक करीबी से जुड़ना.
दोनों ही खेमे इस यात्रा को जीत के तौर पर देख रहे हैं.
खाड़ी देशों और ख़ास तौर पर सऊदी अरब के लिए यह बाइडन के कार्यकाल में कमज़ोर हुए संबंधों को फिर से मज़बूत करने का मौक़ा था, साथ ही विश्व मंच पर दिग्गज खिलाड़ी बनने की उसकी महत्वाकांक्षा का संकेत देता है.
ट्रंप के लिए, नए निवेश का दावा इस समय की नज़ाकत है क्योंकि उनके टैरिफ़ वॉर ने वैश्विक व्यापार को धक्का पहुंचाया है और अमेरिकी उत्पादन को तीन सालों के सबसे निम्नतम स्तर पर पहुंचा दिया है.
खाड़ी के इन सौदों का इस तरह से प्रचार किया जाएगा जैसे कि उनकी आर्थिक नीति काम कर रही है.
अपनी इस यात्रा के अंत में ट्रंप इस बात से चिंतित थे कि उनके बाद व्हाइट हाउस में जो भी आएगा, वह इन सौदों के पूरे होने का श्रेय लेने का दावा करेगा.
उन्होंने कहा, "मैं घर पर रहूंगा, किसको पड़ी है कि मैं कहां होऊंगा, और मैं कहूंगा- ये मैंने किया था."
उन्होंने खुद की ओर इशारा करते हुए पत्रकारों से कहा, "इसका कोई और क्रेडिट लेने जा रहा है. याद रखना आप लोग, इस व्यक्ति ने ये सब किया था."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित