बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं को आम आदमी की पहुंच में लाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है.
व्यक्तिगत बीमा, स्वास्थ्य बीमा से लेकर जीवनरक्षक दवाओं तक पर लगने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) को सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है.
56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में बुधवार को यह फ़ैसला लिया गया, जो 22 सितंबर से लागू होगा.
जीएसटी में राहत का संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके थे. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में उन्होंने कहा था, "इस साल दिवाली पर देशवासियों को बड़ा तोहफ़ा मिलने वाला है. हम अगले चरण के यानी नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधार लेकर आ रहे हैं."
यह एलान स्वास्थ्य सेवाओं और बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट के रूप में सामने आया है.
इस फ़ैसले से करोड़ों भारतीय परिवारों को सीधी आर्थिक राहत मिलने की उम्मीद है. स्वास्थ्य बीमा कितना सस्ता होगा, क्या हर कोई इसका लाभ ले पाएगा... जैसे कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब आप जानना चाहेंगे.
स्वास्थ्य बीमा कितना सस्ता होगा?पहले बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ता था. अब यह टैक्स नहीं लगेगा, जिससे प्रीमियम की कुल लागत कम हो जाएगी.
टैक्स एक्सपर्ट डीके मिश्रा उदाहरण देते हुए समझाते हैं, "30 साल का कोई व्यक्ति आज की तारीख़ में अगर अपने लिए 10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस लेता है तो उसे सालाना करीब 15 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं."
वे कहते हैं, "18 प्रतिशत जीएसटी खत्म होने के बाद अब उसे सालाना 2700 रुपए तक की बचत होगी."
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फैमिली फ्लोटर बीमा एक तरह का हेल्थ इंश्योरेंस प्लान है, जिसमें पूरे परिवार के लिए एक ही पॉलिसी ली जाती है.
अलग-अलग पॉलिसी लेने की तुलना में अगर कोई व्यक्ति फैमिली फ्लोटर लेता है तो उसे कम प्रीमियम देना पड़ता है. इसका फ़ायदा यह होता है कि बीमा राशि परिवार के किसी भी सदस्य के इलाज में इस्तेमाल हो सकती है.
उदाहरण के लिए अगर 30 साल का कोई व्यक्ति 20 लाख रुपए का फैमिली फ्लोटर लेता है. इसमें वह अपने साथ माता-पिता और पत्नी को शामिल करता है तो उसे सालाना करीब 70 हजार रुपए का प्रीमियम देना पड़ता है.
लेकिन अब व्यक्ति इसी प्लान को लेकर सालाना 12,600 रुपए तक की बचत कर सकता है.
वहीं अगर फैमिली फ्लोटर में 50 लाख रुपए का कवर लेते हैं तो उसका प्रीमियम सालाना एक लाख रुपए तक पहुंच जाता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सीधा 18 हजार रुपए तक की बचत होगी.
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लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसियों पर भी पहले जीएसटी देना पड़ता था. अब यह खर्च खत्म हो जाएगा. यानी लंबे समय तक प्रीमियम भरने पर लाखों रुपये की बचत होगी.
पहले अगर कोई व्यक्ति 20 हजार रुपए प्रीमियम वाली लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेता था, तो उस पर 18 प्रतिशत यानी 3600 रुपए जीएसटी लगता था. अब यह टैक्स पूरी तरह से हट जाएगा.
सीनियर सिटीजन को कैसे राहत मिलेगी?
बुजुर्गों की पॉलिसी आमतौर पर महंगी होती है. उस पर टैक्स का बोझ ज्यादा पड़ता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब टैक्स हटने से उनकी बीमा पॉलिसी 15 से 20 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएगी.
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एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम करीब 15 प्रतिशत तक सस्ते हो सकते हैं.
टैक्स एक्सपर्ट डीके मिश्रा का कहना है, "सरकार ने बीमा करने वाली कंपनियों को हिदायत दी है कि जो जीएसटी की रकम वह माफ़ कर रही हैं, वह लोगों तक पहुंचनी चाहिए. कंपनियों ने भी सरकार को आश्वस्त किया है कि हम बेनिफिट लोगों को देंगे और प्रीमियम नहीं बढ़ाएंगे."
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी हटने से इंश्योरेंस कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नहीं मिलेगा, जिससे प्रीमियम की लागत तीन से पांच प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
बीमा कंपनियां जब अपना बिज़नेस चलाती हैं तो उन्हें कई तरह की सेवाओं पर जीएसटी देना पड़ता है, जैसे- ऑफिस का किराया, आईटी सर्विसेज़, कॉल सेंटर, विज्ञापन और अन्य.
कंपनियां इस जीएसटी को इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर क्लेम कर सकती हैं. जो जीएसटी कंपनियों का पॉलिसी प्रीमियम पर मिलता है, उसमें वे अपना दिया हुआ जीएसटी एडजस्ट कर लेती हैं, लेकिन अब यह नहीं हो पाएगा. इससे कंपनियों का खर्च बढ़ जाएगा.
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जीएसटी काउंसिल ने 33 जीवनरक्षक दवाओं पर लगने वाले 12 प्रतिशत जीएसटी को पूरी तरह खत्म कर दिया है.
इसके अलावा कैंसर और रेयर बीमारियों की तीन बड़ी दवाइयां भी अब बिल्कुल टैक्स फ्री होंगी. पहले इन पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था.
इन्हें छोड़कर बाकि सभी दवाओं पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
दवाओं के अलावा मेडिकल, सर्जरी, दांतों के इलाज में काम आने वाले कई उपकरणों पर भी 18 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
कैंसर के मरीज़ को कितनी बचत?
राष्ट्रीय रोग सूचना एवं अनुसंधान केंद्र(एनसीडीआईआर) के मुताबिक भारत में साल 2022 में अनुमानित 14 लाख 61 हजार 427 नए कैंसर के मामले दर्ज किए गए थे.
एनसीडीआईआर का अनुमान है कि 2020 की तुलना में 2025 तक कैंसर के नए मामलों में करीब 12.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.
उदाहरण के लिए 33 जीवनरक्षक दवाओं में डाराटुमुमैब दवा भी शामिल है. यह दवा हड्डियों के कैंसर में इस्तेमाल होती है.
भारत में इस दवा की 400 एमजी वायल की कीमत करीब 65 हजार रुपए है. 12 प्रतिशत जीएसटी के साथ व्यक्ति को 7800 रुपए अधिक देने पड़ते हैं.
अगर मरीज़ को महीने में चार वायल लगते हैं तो पहले की तुलना में अब करीब 30 हजार रुपए की बचत होगी.
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वित्त मंत्रालय के मुताबिक साल 2019-20 में सरकार ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा सेवाओं पर 2,101 करोड़ का जीएसटी इकट्ठा किया था.
मंत्रालय के मुताबिक साल 2023-24 में यह बढ़कर 16 हजार 398 करोड़ हो गया था.
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि सिर्फ़ स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और री-इंश्योरेंस प्रीमियम से साल 2023-24 में 9 हजार 747 करोड़ रुपए का जीएसटी जमा किया गया था.
इसका मतलब यह हुआ कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी खत्म करने से भारत सरकार को सालाना 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा.
स्वास्थ्य खर्च में कमी?एक्सपर्ट्स का मानना है कि हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी हटाने से भारत में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च में कमी आ सकती है.
नेशनल हेल्थ अकाउंट्स के मुताबिक 2021-22 में भारत में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सालाना 6,602 रुपए खर्च हुए. साल 2013-14 में यह खर्च सिर्फ 3,638 रुपए था. करीब 10 साल में स्वास्थ्य खर्च में 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
इस 6,602 रुपए में सरकारी खर्च के साथ लोगों की जेब से निकला पैसा भी शामिल है. आसान भाषा में समझें तो इस रकम का आधा खर्च सरकार या बीमा कंपनियां करती हैं और बाकी परिवारों को खुद उठाना पड़ता है.
इसका मतलब यह हुआ कि सालाना हर व्यक्ति को करीब 2600 रुपए स्वास्थ्य पर खर्च करने पड़ते हैं.
टैक्स एक्सपर्ट डीके मिश्रा का कहना है, "जीएसटी नहीं होगा तो प्रीमियम की लागत कम आएगी और ज्यादा लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए प्रेरित होंगे."
जानकारों के मुताबिक जीएसटी हटने से स्वास्थ्य खर्च दस प्रतिशत तक घट सकता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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