इसराइल के वित्त मंत्री बेज़लेल स्मोत्रिच ने गुरुवार को कहा कि वह सऊदी अरब के साथ किसी राजनयिक संबंध बनाने वाले समझौते पर तभी राज़ी होंगे, जब उसमें फ़लस्तीन स्टेट की स्थापना की शर्त शामिल न हो.
उन्होंने तंज़ करते हुए कहा कि सऊदी के लोग 'ऊँटों पर सवारी करते रहें.'
स्मोत्रिच ने कहा, "अगर सऊदी अरब हमसे कहता है कि 'फ़लस्तीन एक राष्ट्र बनता है तभी रिश्ते सामान्य होंगे,' तो हमें ये नहीं चाहिए. उनका शुक्रिया. सऊदी अरब के लोग रेगिस्तान में ऊँटों पर सवारी करते रहिए. हम अपनी अर्थव्यवस्था, समाज और देश के विकास का काम करते रहेंगे."
इसराइली मंत्री ने यह बात 'टेक्नोलॉजी के दौर में हलाख़ा' नाम के सम्मेलन में कही. इसे ज़ोमेत इंस्टीट्यूट और माकोर रिशोन अख़बार ने आयोजित किया था.
स्मोत्रिच के बयान की कई विपक्षी नेताओं ने आलोचना की. उन्होंने मंत्री पर अज्ञानता और नुक़सान पहुँचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इसराइल का प्रतिनिधित्व नहीं करते और उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए.
स्मोत्रिच का बयान ऐसे समय पर आया है, जब इसराइल की संसद क्नेसेट ने वेस्ट बैंक पर इसराइली क़ानून लागू करने के लिए एक विधेयक के शुरुआती चरण को मंज़ूरी दी है.
हालाँकि प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनकी लिकुड पार्टी इस विधेयक के पक्ष में नहीं हैं.
बयान के बाद तीखी आलोचना
BBC इसराइल के सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के कई सदस्यों ने गुरुवार को वित्त मंत्री बेज़लेल स्मोत्रिच के बयान की आलोचना की.
पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता याएर लापिड ने एक्स (ट्विटर) पर अरबी में लिखा, "हमारे सऊदी अरब और मिडिल ईस्ट के दोस्तों के लिए, स्मोत्रिच इसराइल का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं."
पत्रकार खालिद मज्ज़ूब का कहना है कि स्मोत्रिच सिर्फ़ कट्टरपंथी नहीं हैं बल्कि खुले तौर पर नस्लभेदी, यहूदी-विरोधी और युद्ध भड़काने वाले व्यक्ति हैं, जो झंडे और बाइबिल के पीछे छिपे हैं.
उन्होंने एक्स पर लिखा, "इनका ताना- 'ऊँटों पर सवारी करते रहो', असल में औपनिवेशिक मानसिकता को राष्ट्रवाद के रूप में पेश करने की कोशिश है. इसमें वही घमंड और श्रेष्ठता की बदबू है, जो इसराइल के युद्ध अपराधों और उसके तथाकथित ईश्वरीय अधिकार के भ्रम को जन्म देती है. जब कोई मंत्री अरबों का मज़ाक उड़ाते हुए ज़मीन हड़पने की बात करता है, तो वह केवल एक समुदाय का अपमान नहीं करता, बल्कि इंसानियत की भावना का अपमान करता है."
अमेरिका में सऊदी अरब मिशन के लिए काम करने वाले सऊद बिन सलमान अलदोसरी ने कहा कि उन्हें अपनी संस्कृति और इतिहास पर गर्व है.
सऊद बिन सलमान अलदोसरी ने एक्स पर लिखा, "हम ऊँटों की सवारी करते रहेंगे क्योंकि दूसरों के उलट हमारी विरासत और हमारी संस्कृति हज़ारों सालों से वैसी ही बनी हुई है. आपकी माफ़ी का हमारे लिए कोई मतलब नहीं - जिस तरह आपका अपमान करने का प्रयास भी हमारे लिए अर्थहीन था. हमें अपने अस्तित्व पर, अपनी जड़ों पर और उस इतिहास पर गर्व है, जिसने हमें आकार दिया है."
डायस्पोरा (प्रवासी) मामलों और यहूदी-विरोधी विचारों से निपटने वाले मंत्री अमीख़ाई खिकली ने लिखा, "मैं फ़लस्तीन देश के गठन का सख़्त विरोध करता हूँ, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें किसी संभावित सहयोगी का अपमान करना चाहिए."
उन्होंने बताया कि इसराइल नेगव में बेदूईन समुदाय के साथ ऊँटों की दौड़ आयोजित करेगा.
उनका कहना है, "हम अपने सऊदी के दोस्तों को इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए निमंत्रण देते हैं."
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अपने बयान के कुछ घंटों बाद दक्षिणपंथी 'रिलिजियस ज़ायोनिज़्म' पार्टी के नेता स्मोत्रिच ने माफ़ी माँग ली, लेकिन एक शर्त के साथ.
उन्होंने कहा, "सऊदी अरब के बारे में मेरी टिप्पणी बिल्कुल अनुचित थी और इससे जो अपमान हुआ, उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ."
साथ ही उन्होंने जोड़ा, "मैं उम्मीद करता हूँ कि सऊदी हमें नुक़सान नहीं पहुँचाएगा. हमारी विरासत, परंपरा और यहूदी लोगों के जूडिया और समरिया में ऐतिहासिक अधिकारों से इनकार नहीं करेगा और हमारे साथ सच्ची शांति क़ायम करेगा."
बुधवार को क्नेसेट ने एक विधेयक के शुरुआती चरण को मंज़ूरी दी, जो वेस्ट बैंक की बस्तियों पर इसराइली संप्रभुता लागू करने से जुड़ा है.
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनकी लिकुड पार्टी ने इस क़दम का विरोध किया था.
इसराइल के प्रधानमंत्री ने इस क़दम को "विपक्ष की जानबूझकर की गई राजनीतिक उकसावे की कोशिश" बताया, जिसका मक़सद देश में मतभेद पैदा करना है.
नेतन्याहू के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, "उनकी दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी और उसके अति-रूढ़िवादी गठबंधन सहयोगियों ने विधेयक के पक्ष में मतदान नहीं किया, सिवाय एक असंतुष्ट लिकुड सदस्य के, जिसे हाल ही में क्नेसेट समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था."
इसमें कहा गया है, "लिकुड के समर्थन के बिना इन विधेयकों के कहीं भी पहुँचने की संभावना नहीं है."
15 अरब-इस्लामिक देशों ने की निंदासऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इसराइल की संसद क्नेसेट की ओर से वेस्ट बैंक पर इसराइली संप्रभुता लागू करने और अवैध बस्तियों को वैध ठहराने से जुड़े दो विधेयकों को प्रारंभिक मंज़ूरी देने की निंदा की है.
मंत्रालय ने इसे इसराइल के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों पर नियंत्रण मज़बूत करने की कोशिश बताया.
सऊदी अरब ने कहा कि वह इसराइली क़ब्ज़े वाली ताक़तों की ओर से की जा रही सभी बस्तियों और विस्तार से जुड़ी कार्रवाइयों को पूरी तरह अस्वीकार करता है.
सऊदी अरब ने एक बार फिर दोहराया कि फ़लस्तीनियों को 1967 की सीमाओं के आधार पर पूर्वी यरूशलम को राजधानी बनाकर अपने स्वतंत्र राज्य की स्थापना का वैध और ऐतिहासिक अधिकार है और यह अधिकार अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के अनुरूप है.
क़तर के विदेश मंत्रालय ने 15 अरब और इस्लामिक देशों का एक साझा बयान जारी किया है, जिसमें कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक को इसराइल में शामिल करने से जुड़े दो विधेयकों की निंदा की गई है.
बयान में कहा गया, "क़तर, जॉर्डन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, जिबूती, सऊदी अरब, ओमान, गांबिया, फ़लस्तीन, कुवैत, लीबिया, मलेशिया, मिस्र, नाइजीरिया, अरब लीग और ओआईसी ने इसराइली क्नेसेट की ओर से दो विधेयकों की मंज़ूरी की कड़ी निंदा की है."
इन देशों ने वेस्ट बैंक में इसराइली कब्ज़े को अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का 'खुला उल्लंघन' बताया है.
वेस्ट बैंक पर 1967 से इसराइल का कब्ज़ा है. पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने कहा था कि इसराइल का यह क़ब्ज़ा ग़ैरक़ानूनी है.
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Getty Images जेडी वांस ने इसराइल के इस क़दम को 'बेहद मूर्खतापूर्ण राजनीतिक स्टंट' बताया है अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इसराइल की संसद क्नेसेट में वेस्ट बैंक को अपने क़ब्ज़े में लिए जाने की दिशा में उठाए गए क़दम की आलोचना की है.
इसराइल यात्रा के अंत में वांस ने इस क़दम को 'बेहद मूर्खतापूर्ण राजनीतिक स्टंट' बताया.
वहीं रूबियो ने इसराइल रवाना होने से पहले चेतावनी दी थी कि विलय की दिशा में बढ़ना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग़ज़ा संघर्ष को समाप्त करने की योजना को ख़तरे में डाल सकता है.
नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में कई नेता पिछले महीने पश्चिमी देशों की तरफ़ से फ़लस्तीन को मान्यता दिए जाने के जवाब में इन इलाक़ों को इसराइल में मिलाने की मांग कर रहे हैं.
सितंबर की शुरुआत में स्मोत्रिच ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वेस्ट बैंक के 82 फ़ीसदी हिस्से को इसराइल में मिलाया जाना चाहिए.
क्षेत्र के कई देशों ने चेतावनी दी थी कि ऐसा क़दम इसराइल के मध्य पूर्व में एकीकरण को ख़त्म कर देगा.
यह मामला अमेरिका के साथ भी टकराव का कारण बन सकता है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे इसराइल वेस्ट बैंक का विलय करने की अनुमति नहीं देंगे. इसके बावजूद नेतन्याहू की सरकार के सहयोगी उनसे अमेरिका की बात अनसुनी करने की माँग कर रहे हैं.
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इस बीच, ट्रंप नवंबर में व्हाइट हाउस में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने वाले हैं, जहाँ दोनों देशों के बीच संभावित इसराइल-सऊदी समझौते पर चर्चा होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यह यात्रा क्राउन प्रिंस की अंतरराष्ट्रीय साख बहाल करने की कई सालों से जारी कोशिशों का हिस्सा है और इससे इसराइल के साथ संभावित संबंधों की नींव रखी जा सकती है.
मोहम्मद बिन सलमान की यह यात्रा 18 और 19 नवंबर को तय की गई है. उन्होंने आख़िरी बार 2018 की शुरुआत में अमेरिका का दौरा किया था.
यह दौरा उस समय हो रहा है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने ग़ज़ा में हमास के साथ इसराइल के दो साल लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए युद्धविराम कराया है.
युद्धविराम के पहले चरण के लागू होने के बाद, सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंध बहाल करने पर चर्चा अगले साल की शुरुआत में तेज़ होने की उम्मीद है.
सितंबर के अंत में राष्ट्रपति ट्रंप ने क़तर को, जो पहले से ही अमेरिका का प्रमुख ग़ैर-नेटो सहयोगी है, अतिरिक्त रक्षा सुरक्षा देने का आदेश साइन किया था.
उन्होंने यह भी कहा था कि वे अब्राहम समझौते के विस्तार की उम्मीद करते हैं, जिसके तहत इसराइल ने अपने पहले कार्यकाल में कई अरब देशों से संबंध सामान्य किए थे.
ट्रंप ने 16 अक्तूबर को फ़ॉक्स न्यूज़ से बातचीत में कहा, "मैं उम्मीद करता हूँ कि सऊदी अरब इसमें शामिल होगा, और मैं चाहता हूँ कि दूसरे देश भी शामिल हों. मुझे लगता है, वे बहुत जल्द इसमें शामिल होने वाले हैं."
जो बाइडन प्रशासन ने भी एक ऐसा समझौता लगभग अंतिम रूप तक पहुँचा दिया था, जिसमें अमेरिका की सुरक्षा संधि और सऊदी के लिए नागरिक परमाणु कार्यक्रम का समर्थन शामिल था. इसके बदले सऊदी अरब इसराइल के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करता.
लेकिन यह प्रक्रिया 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले और उसके बाद शुरू हुए इसराइल-हमास युद्ध के चलते रुक गई थी.
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