पाकिस्तान सीमा से सटे थार के तपते रेगिस्तान में भारतीय सेना ने अपनी युद्धक क्षमता और सामरिक ताकत का शानदार प्रदर्शन किया। सेना ने दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर दोहरी मार करते हुए थलसेना की जमीनी और वायु शक्ति का ऐसा समन्वय दिखाया, जिसने हर किसी को गौरवान्वित कर दिया।
यह युद्धाभ्यास पश्चिमी सीमा पर भारत की तैयारियों और रणनीतिक मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है। अभ्यास में सेना की अग्रिम टुकड़ियों ने आधुनिक हथियारों, टैंकों, तोपों और हेलिकॉप्टरों की मदद से दुश्मन की स्थिति पर सटीक हमला किया।
🔹 दोहरी मार का प्रदर्शनसेना के अधिकारियों ने बताया कि “ऑपरेशन डबल स्ट्राइक” नाम से आयोजित इस अभ्यास में एक साथ दो मोर्चों पर कार्रवाई की रणनीति का अभ्यास किया गया। इसमें टैंकों की टुकड़ियों, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, आर्टिलरी रेजीमेंट और वायुसेना के अटैक हेलिकॉप्टरों ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन को अंजाम दिया।
अभ्यास के दौरान सैनिकों ने काल्पनिक दुश्मन के ठिकानों पर आगे बढ़कर प्रिसिजन स्ट्राइक (सटीक निशाना) किया। इसके बाद हेलिकॉप्टरों से हवाई सहायता दी गई, जिससे दुश्मन की स्थिति को पूरी तरह “निष्क्रिय” घोषित किया गया।
🔹 रेगिस्तान में तापमान और परिस्थितियों की परीक्षाथार के कठिन भौगोलिक हालात में यह अभ्यास भारतीय सेना की सहनशक्ति और त्वरित कार्रवाई की क्षमता की भी परीक्षा थी। रेतीले तूफानों और अत्यधिक तापमान के बावजूद जवानों ने अपनी गति और समन्वय बनाए रखा। अधिकारियों ने बताया कि यह अभ्यास सीमा क्षेत्र में किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया की तैयारियों को परखने के लिए आयोजित किया गया है।
🔹 अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शनइस दौरान सेना ने T-90 और अर्जुन टैंकों, BMP इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, 155mm हॉविट्जर तोपों और ALH ध्रुव हेलिकॉप्टरों का भी प्रदर्शन किया। लक्ष्य भेदने में भारतीय सेना की सटीकता और समन्वय ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को प्रभावित किया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम और तत्पर है। यह अभ्यास हमारी सामरिक तैयारी और संयुक्त बलों की ताकत को दर्शाता है।”
🔹 थल और वायु सेना का संयुक्त ऑपरेशनइस अभूतपूर्व अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाई। फाइटर जेट्स ने हवाई निगरानी और बमबारी अभ्यास किया, जबकि थल सेना ने जमीनी मोर्चे पर आगे बढ़ते हुए “क्लोज कॉम्बैट ऑपरेशन” संचालित किए। दोनों सेनाओं के बीच तालमेल ने “ज्वाइंट ऑपरेशन कैपेबिलिटी” की उत्कृष्ट मिसाल पेश की।
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