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वो मंदिर जहां विराजते हैं बिना सूंड वाले गणेश जी, वीडियो में जानिए इस अनोखे स्वरूप के पीछे का रहस्य

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भारत मंदिरों का देश है, जहां हर देवी-देवता को कई रूपों में पूजा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कहीं भगवान गणेश की बिना सूंड वाली मूर्ति स्थापित है और फिर भी लाखों भक्त वहां आकर प्रार्थना करते हैं? जी हां, यह कोई कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है और यह अनोखा मंदिर भारत के सांस्कृतिक वैभव और आध्यात्मिक विविधता का जीता जागता उदाहरण है।


यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आस्था और विश्वास की शक्ति का प्रतीक बन गया है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में विराजमान गणेश सभी कष्टों को दूर करते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं, भले ही उनकी मूर्ति पारंपरिक रूप से 'पूर्ण' न हो। यह मंदिर कई कारणों से खास है। इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति भी काफी अनोखी है। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करने की विधि भी थोड़ी अलग है। हम आपको भगवान गणेश के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां भक्त भगवान तक अपनी परेशानियां पहुंचाने के लिए अलग-अलग टोटके अपनाते हैं और भगवान उनका समाधान भी करते हैं। तो अगर आप भी इस मंदिर के आस-पास रहते हैं, तो इस मंदिर में जरूर जा सकते हैं।

कौन सा है यह मंदिर?
इस मंदिर को गढ़ गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है और यह भगवान गणेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. यह मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है. यह नाहरगढ़ और जयगढ़ किले के पास स्थित है. यह मंदिर करीब 300 साल पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था और उन्होंने ही यहां प्रख्यात पंडितों को बुलाकर अश्वमेध यज्ञ भी करवाया था. इसकी चढ़ाई करीब 500 मीटर लंबी है. कुल 365 सीढ़ियां चढ़ने के बाद भक्त इस मंदिर में बप्पा के दर्शन कर पाते हैं. कहा जाता है कि साल में जितने दिन होते हैं, उतनी सीढ़ियां चढ़कर आप गढ़ गणेश भगवान के दर्शन कर सकते हैं. इस मंदिर में हजारों भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.

क्यों दुर्लभ है यह मंदिर?
यह मंदिर कई कारणों से प्रसिद्ध है. इस मंदिर में 2 पत्थर के चूहे स्थापित हैं. भक्त इन दो चूहों के पास जाते हैं और अपने जीवन का दर्द उनके कानों में बयां करते हैं. वो चूहे भक्तों का दर्द भगवान गणेश तक पहुंचाते हैं, जिसके बाद भगवान गणेश भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. इसके अलावा इस मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में एक शिव मंदिर भी है। लोग सबसे पहले इस मंदिर में रुककर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उसके बाद मुख्य मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में बप्पा की पूजा करने का तरीका भी काफी अलग है।

भगवान को भक्त लिखते हैं पत्र
इस मंदिर में भगवान गणेश की पूजा के दौरान भक्त उन्हें पत्र लिखकर अपने दिल की बात बताते हैं। भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी बात भगवान तक पहुंचती है और भगवान अपने भक्तों के कष्ट दूर करते हैं। मान्यता है कि अगर आप लगातार 7 बुधवार भगवान के दर्शन करते हैं तो आपको मनचाहा फल भी मिलता है और इससे भगवान गणेश भी काफी प्रसन्न होते हैं।

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