यह खबर हर उस व्यक्ति के लिए अहम है जो सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन प्राप्त करता है। कल्पना कीजिए, आप अपने हक का अनाज लेने राशन की दुकान पर जाते हैं, और डीलर से कहते हैं — “मुझे अगस्त माह का गेहूं दे दीजिए।” डीलर आपके राशन कार्ड नंबर की पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन में एंट्री करता है, और जैसे ही आप अंगूठा लगाते हैं, वह कह देता है — “गेहूं खत्म हो गया है, अगली बार आइए।”
ऐसे मामलों की संख्या हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी है, और अब यह राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत लाखों परिवार हर महीने सब्सिडी दर पर गेहूं, चावल और चीनी प्राप्त करते हैं। लेकिन कई जिलों से शिकायतें मिल रही हैं कि डीलर पोस मशीन में उपभोक्ताओं का डेटा एंट्री करने के बाद यह कहकर राशन देने से मना कर रहे हैं कि “स्टॉक खत्म है” — जबकि रिकॉर्ड में वह वितरण दिखा दिया जाता है।
इससे उपभोक्ता दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर उन्हें अनाज नहीं मिल पाता, और दूसरी ओर सरकारी रिकॉर्ड में उनका कोटा “जारी” दिखा दिया जाता है। नतीजतन, अगली बार जब वे राशन लेने जाते हैं तो सिस्टम में उन्हें “महीने का कोटा प्राप्त” दर्शाया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, कई जिलों में ऐसे फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं जहाँ डीलर कार्डधारकों की जानकारी के बिना उनके नाम पर अनाज निकालकर काले बाजार में बेच देते हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि ऐसे मामलों पर सख्त नजर रखी जा रही है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने हाल ही में जिलों के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि यदि कोई उपभोक्ता शिकायत करता है कि उसे राशन नहीं मिला जबकि रिकॉर्ड में वितरण दिख रहा है, तो तत्काल जांच कर संबंधित डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि नई तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। जल्द ही ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी जिसमें राशन वितरण की रियल-टाइम निगरानी जिला स्तर पर होगी और हर ट्रांजैक्शन के बाद उपभोक्ता के मोबाइल पर एसएमएस भेजा जाएगा।
सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए जीवनरेखा है। ऐसे में यदि सिस्टम में तकनीकी या मानवीय गड़बड़ियों के कारण लोगों को उनका हक नहीं मिल रहा, तो यह गंभीर मामला है।
वहीं, कई उपभोक्ताओं ने बताया कि उन्हें एक-दो बार नहीं, बल्कि लगातार महीनों तक राशन नहीं मिला। कुछ लोगों ने तो डीलर की इस हरकत के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन कार्रवाई धीमी होने के कारण समस्या बनी हुई है।
सरकार ने साफ किया है कि किसी भी कार्डधारक को राशन से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर राशन दुकान का आकस्मिक निरीक्षण करें और POS मशीन से दर्ज रिकॉर्ड को भौतिक स्टॉक से मिलान करें।
फिलहाल, यह मुद्दा राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। गरीब उपभोक्ताओं की नजर अब सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी है — क्या सिस्टम बदलेगा, या फिर “गेहूं खत्म है” की यह कहानी आगे भी जारी रहेगी?
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