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रेगिस्तान में जीवन की नई दस्तक — जैसलमेर के देगराय ओरण में दिखे दुर्लभ 'ग्रेट कॉर्मोरेंट' पक्षी

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रेगिस्तान की तपती रेत और जल संकट से जूझते जैसलमेर के इलाकों में इन दिनों प्रकृति का नया रंग दिखाई दे रहा है।
देगराय ओरण क्षेत्र के एक पुराने तालाब पर हाल ही में दुर्लभ प्रवासी पक्षी ‘ग्रेट कॉर्मोरेंट’ (बड़ा जलकाग) के दो जोड़े देखे गए हैं।
यह दृश्य न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए सुखद है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि रेगिस्तान के जलस्रोत एक बार फिर जीवन के प्रतीक बन रहे हैं।

🌿 रेगिस्तान में जैव विविधता का संकेत

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेट कॉर्मोरेंट आमतौर पर उत्तर भारत के जलसमृद्ध इलाकों, झीलों और नदियों में पाया जाता है।
जैसलमेर जैसे शुष्क इलाके में इनका दिखाई देना अपने आप में असाधारण घटना है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह पक्षी आमतौर पर तभी किसी जलस्रोत के आसपास बसता है जब वहां पर्याप्त मछलियां और स्वच्छ जल मौजूद हों।


इससे यह संकेत मिलता है कि देगराय ओरण क्षेत्र का यह तालाब अब पर्यावरणीय दृष्टि से संतुलन की दिशा में बढ़ रहा है।

🐠 मछलियां पकड़ने में माहिर

ग्रेट कॉर्मोरेंट एक मध्यम से बड़े आकार का जलपक्षी है, जिसकी लंबाई लगभग 90 सेंटीमीटर तक होती है।
यह अपनी तेज़ गोताखोरी की क्षमता के लिए जाना जाता है और तालाब की गहराई तक जाकर मछलियों को पकड़ता है।
इन पक्षियों की गर्दन लंबी और चोंच नुकीली होती है, जिससे वे पानी में तेजी से मछली को झपट लेते हैं।

📸 पक्षी प्रेमियों में उत्साह

देगराय ओरण के स्थानीय ग्रामीणों और पक्षी प्रेमियों ने इन दुर्लभ पक्षियों के आने को “प्रकृति की वापसी” बताया है।
स्थानीय फोटोग्राफर और बर्ड वॉचर गोविंद सिंह चारण ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से इस तालाब में स्थानीय पक्षियों की संख्या घट रही थी, लेकिन इस बार ग्रेट कॉर्मोरेंट का दिखना बहुत उत्साहजनक संकेत है।


उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब इतने लंबे सूखे के बाद इस क्षेत्र में इतने दुर्लभ प्रवासी पक्षी आए हैं।”

🌍 पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में कदम

वन विभाग का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ओरण क्षेत्र के तालाबों और चरागाहों का संरक्षण कार्य किया गया है।
इसी का परिणाम है कि अब यह क्षेत्र न केवल मवेशियों के लिए बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए भी उपयुक्त आवास बनता जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही इस क्षेत्र को “मिनी वेटलैंड जोन” के रूप में विकसित करने की योजना पर काम शुरू किया जाएगा।

🔚 निष्कर्ष

रेगिस्तान की प्यास बुझाने वाले इन छोटे-छोटे जलस्रोतों ने अब प्रकृति को पुनर्जीवित करने की राह खोल दी है।
देगराय ओरण में ग्रेट कॉर्मोरेंट जैसे दुर्लभ पक्षियों का आगमन यह दर्शाता है कि यदि जलस्रोतों की देखभाल हो, तो रेगिस्तान भी जीवन का ठिकाना बन सकता है।
स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार, यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि “पानी सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि के लिए जीवन है।”

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