अजमेर । राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक पुष्कर मेला बुधवार, 22 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है। सात नवंबर तक चलने वाले इस मेले में परंपरा, लोक संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। मेला तीन चरणों पशु मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक उत्सव में विभाजित रहेगा। जिला प्रशासन ने सुरक्षा, यातायात, चिकित्सा और स्वच्छता से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
मेले की शुरुआत से पहले ही पुष्कर के रेतीले धोरों में ऊंट पालकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। दूर-दराज़ के पशुपालक अपने ऊंटों और घोड़ों के साथ डेरा डाल चुके हैं। ऊंटों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं अश्वपालक अपने घोड़ों के लिए अस्थायी और स्थायी अस्तबल तैयार कर रहे हैं। मेला क्षेत्र में विदेशी सैलानियों की आमद भी शुरू हो गई है।
इस वर्ष मेले के मुख्य आयोजन 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक होंगे। इस दौरान पारंपरिक पशु प्रतियोगिताएं, शिल्पग्राम, फूड एंड क्राफ्ट महोत्सव और लोक-सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मेले की शोभा बढ़ाएंगी। राजस्थान की लोककला और संगीत के साथ राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की भागीदारी से मेला रंगारंग रूप लेगा।
इस बार पुष्कर मेले में कई नए आकर्षण भी जोड़े गए हैं। पहली बार कैमल और हॉर्स शो का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बीएसएफ के जवान ऊंटों के शानदार करतब दिखाएँगे। इसके साथ ही मिस्टर एंड मिस राजस्थान प्रतियोगिता भी मेले की विशेषता होगी। बॉलीवुड नाइट में प्रसिद्ध गायक रूप कुमार राठौड़ और सोनाली राठौड़ अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। पशुपालकों के लिए ऑनलाइन प्लॉट बुकिंग की सुविधा भी प्रारंभ की गई है।
प्रशासन ने मेले के दौरान सुरक्षा और यातायात के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। लगभग दो हजार पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, जबकि सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र की सतत निगरानी की जाएगी। भीड़ नियंत्रण के लिए वन-वे ट्रैफिक सिस्टम लागू किया गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए घाटों पर चेतावनी संकेतक और रस्सियाँ लगाई जा रही हैं। सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, स्वयंसेवक और मजिस्ट्रेटों की टीमें लगातार निगरानी में रहेंगी।
पशुपालन विभाग के मेला अधिकारी डॉ. सुनील घीया के अनुसार, 22 अक्टूबर को पशु मेला कार्यालय की स्थापना के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत होगी। 24 अक्टूबर को नए मेला मैदान और शहर के प्रवेश मार्गों पर पशु चौकियाँ स्थापित की जाएंगी। 2 नवंबर को विकास एवं गीर प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा, जो 4 नवंबर तक चलेगी। 5 नवंबर को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ पशु मेला संपन्न होगा, जबकि 7 नवंबर को पूरे मेले का भव्य समापन किया जाएगा।
बारिश के कारण इस वर्ष पुष्कर के 52 घाटों पर पानी की मात्रा अधिक है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए हैं ताकि कोई हादसा न हो।
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