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जयपुर में परीक्षा केंद्रों पर अब निगरानी करेंगे अधिक कार्मिक

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जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार आमजन विशेषकर युवाओं के भविष्य को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

राज्य में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को गंभीरता, पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ आयोजित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए परीक्षा के दिन से पूर्व एवं परीक्षा के दिन के बाद तीन परीक्षा केंद्रों पर एक उप समन्वयक लगाए जाने एवं परीक्षा के दिन के लिए दो परीक्षा केंद्रों पर एक उप समन्वयक लगाने तथा यदि परीक्षा दो पारी में आयोजित होती है तो परीक्षा के दिन के लिए दो परीक्षा केंद्रों पर दो उप समन्वयक लगाए जाने की वित्त विभाग ने सहमति प्रदान की है।

वित्त विभाग की ओर से जारी आदेशों के अनुसार आमजन के भूमि संबंधी जटिल प्रकरणों के निस्तारण आसानी व तीव्रता से सम्पन्न करने के लिए वित्त विभाग ने डीजीपीएस सिस्टम लागू किया है।

इसे मूलरूप देने के लिए राज्य में भू सर्वे एवं सीमा प्रकरणों का जल्द से जल्द निस्तारण करने के लिए वित् विभाग ने भू प्रबंधन विभाग को 39 डीजीपीएस (differential global positioning system) मशीने ख़रीदने के लिए 7 करोड़ 80 लाख रूपये की वित्तीय सहमति प्रदान की है।

इसके अलावा राजकीय विभागों में कार्यरत महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर चिंता न हो ,इसके लिए शिशु पालना गृह स्थापित एवं संचालित किए जाते हैं । शिशु पालना गृह में छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों की देखभाल हेतु प्रति 3 बच्चों पर एक सहायिका का प्रावधान है एवं सहायिका का मानदेय 15 हज़ार रुपये प्रतिमाह रहेगा। अगर बच्चों की संख्या तीन से अधिक होगी तो मानदेय 2500 रुपये प्रतिमाह प्रति बच्चा होगा, जिसकी अधिकतम अधिकतम सीमा 45 हज़ार रुपये प्रति माह होगी। अब तक अधिकतम मानदेय 40,000 रुपये निर्धारित था।

मुख्यमंत्री के निर्देशन में प्रदेश के दिव्यांगजनों को संबल बनाने के लिए सेवा पखवाड़ा- 2025 के दौरान कृत्रिम अंगों एवं सहायक उपकरणों के वितरण के लिए वित्त विभाग ने विशेष योग्यजन विभाग को 15 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराने के लिए सहमति प्रदान की है। जिसका मुख्य उद्देश्य दिव्यांगता के विपरीत प्रभाव को कम करके दिव्यांगों के शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पुनर्वास में वृद्धि करना और उनकी आर्थिक क्षमता को बढ़ाना है।

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